दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकर कॉलेज में प्रोफेसर पर थप्पड़, डीयूएसयू संयुक्त सचिव दीपिका झा ने मानी गलती।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे शिक्षण जगत को हिलाकर रख दिया। यहां की अनुशासन समिति की
दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे शिक्षण जगत को हिलाकर रख दिया। यहां की अनुशासन समिति की बैठक के दौरान डीयूएसयू की संयुक्त सचिव और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नेता दीपिका झा ने वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर सुजीत कुमार को थप्पड़ मार दिया। यह घटना 16 अक्टूबर 2025 को कॉलेज के प्रिंसिपल कार्यालय में हुई, जहां दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद थे। वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में बहस छिड़ गई है। एक तरफ छात्र संगठनों के बीच राजनीतिक रंजिश, दूसरी तरफ शिक्षकों का सम्मान। विश्वविद्यालय ने इसकी जांच के लिए छह सदस्यीय समिति गठित की है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि कैंपस में हिंसा कैसे बढ़ रही है।
घटना की शुरुआत कॉलेज में हाल ही में हुई छात्र संघ चुनाव से जुड़ी है। कॉलेज काउंसिल के चुनाव में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के उम्मीदवार ने अध्यक्ष पद जीता था, जबकि एबीवीपी समर्थित उम्मीदवारों को दो अन्य पद मिले। आरोप है कि एबीवीपी के कुछ छात्रों ने एनएसयूआई अध्यक्ष को पीटा। इसकी शिकायत पर प्रोफेसर सुजीत कुमार, जो अनुशासन समिति के संयोजक हैं, ने जांच शुरू की। 16 अक्टूबर को फ्रेशर्स पार्टी और शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी हंगामा हो गया। प्रोफेसर कुमार ने बताया कि एबीवीपी के 50-60 छात्र बिना न्योते के कॉलेज में घुस आए और हंगामा करने लगे। उन्होंने पुलिस बुलाई, लेकिन छात्रों ने उन्हें घेर लिया। एक शिक्षक राकेश यादव ने कथित तौर पर छात्रों का पक्ष लिया। पुलिस ने प्रोफेसर को बचाया और प्रिंसिपल के कार्यालय ले गई।
प्रिंसिपल के कमरे में डीयूएसयू अध्यक्ष आर्यन मान और संयुक्त सचिव दीपिका झा सहित कई छात्र पहुंचे। प्रोफेसर कुमार के मुताबिक, छात्रों ने उन पर दबाव डाला कि वह समिति से इस्तीफा दें। डर के मारे उन्होंने इस्तीफा लिख दिया। उसके बाद दीपिका झा ने उन पर थप्पड़ मारा। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि प्रोफेसर सोफे पर बैठे हैं, दीपिका उनके बगल में हैं। बहस गर्म होने पर दीपिका खड़ी हुईं और थप्पड़ जड़ दिया। कमरे में चार पुलिस जवान मौजूद थे, लेकिन उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया। एक महिला कांस्टेबल ने दीपिका को रोका और उन्हें अलग बैठाया। एक अन्य व्यक्ति ने प्रोफेसर को पीछे धकेला। प्रोफेसर कुमार ने एएनआई को बताया, मैंने सिर्फ एनएसयूआई उम्मीदवार के साथ दुर्व्यवहार करने वाले छात्र पर कार्रवाई की थी। छात्रों ने मुझे घेर लिया, पुलिस ने बचाया। प्रिंसिपल के कमरे में दबाव डाला गया और थप्पड़ मारा गया। यह मेरे 30 साल के करियर में पहली घटना है।
दीपिका झा ने घटना स्वीकार की है, लेकिन उन्होंने प्रोफेसर पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि छात्रों ने उन्हें कॉलेज बुलाया था, जहां प्रोफेसर ने राजनीतिक पूर्वाग्रह से छात्रों पर दुर्व्यवहार किया। प्रिंसिपल के कमरे में प्रोफेसर ने उन्हें धमकाया, गाली दी और घूरा। मैंने उन्हें सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीते देखा था, जो छात्रों पर बुरा असर डालता है। उन्होंने गाली दी, मुस्कुराए, जिससे गुस्सा आ गया। मैंने आवेश में थप्पड़ मार दिया, लेकिन अब पछतावा है। उन्होंने शिक्षक समुदाय से माफी मांगी और कहा कि मेरा इरादा कभी सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था। दीपिका ने आगे आरोप लगाया कि प्रोफेसर शराब के नशे में थे। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए बयान में उन्होंने कहा, वह लगातार 15-20 मिनट घूर रहे थे। धमकी और अपशब्दों से असुरक्षित महसूस हुआ। आवेश में हाथ उठ गया।
यह घटना वायरल वीडियो के जरिए सामने आई। 32 सेकंड का क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से फैला, जिसमें थप्पड़ साफ दिख रहा है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर हजारों यूजर्स ने इसे शेयर किया। कुछ ने दीपिका की निंदा की, कहा कि यह शिक्षकों का अपमान है। अन्य ने लिंग भेदभाव का मुद्दा उठाया, कहा कि अगर पुरुष छात्र ने महिला प्रोफेसर को थप्पड़ मारा होता तो राष्ट्रीय महिला आयोग हस्तक्षेप करता। डीटीएफ ने एबीवीपी पर हूलिगनिज्म का आरोप लगाया। एनएसयूआई ने इसे एबीवीपी की गुंडागर्दी बताया और दीपिका की गिरफ्तारी की मांग की। डीयू टीचर्स एसोसिएशन ने वाइस चांसलर को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि यह शिक्षकों की गरिमा पर हमला है। हमें तत्काल और पारदर्शी जांच चाहिए। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने कहा कि समिति हिंसा की जांच कर रही थी, उसी दौरान हमला हुआ। कई शिक्षकों को धक्का दिया गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने 17 अक्टूबर को छह सदस्यीय जांच समिति गठित की। इसका नेतृत्व जूलॉजी विभाग की प्रोफेसर नीता सहगल करेंगी। अन्य सदस्यों में जॉइंट प्रॉक्टर ज्योति त्रेहन शर्मा, हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रमा, प्रोफेसर स्वाति दिवाकर, पीजीडीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दर्विंदर कुमार और जॉइंट प्रॉक्टर अवधेश कुमार शामिल हैं। समिति को रिपोर्ट जल्द सौंपनी है। पुलिस ने शिकायत दर्ज की है और सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। प्रोफेसर कुमार ने कहा कि उन्हें धमकी मिल रही है, सुरक्षा चाहिए। एबीवीपी ने बयान जारी कर कहा कि हम शिक्षकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन नहीं करते। लेकिन छात्रों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
यह घटना दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति को उजागर करती है। डीयूएसयू चुनाव सितंबर में हुए थे, जहां एबीवीपी ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद जीते। एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष और सचिव पद हासिल किया। कैंपस में छात्र संगठनों के बीच रंजिश पुरानी है। फ्रेशर्स पार्टी जैसे आयोजनों में अक्सर झड़पें होती हैं। डीटीएफ के अनुसार, यह हिंसा का सिलसिला है, जो कैंपस संस्कृति को खराब कर रहा है। एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, छात्र नेता बनने के बाद जिम्मेदारी बढ़ती है, न कि हिंसा। अगर ऐसे ही चलेगा तो पढ़ाई प्रभावित होगी। एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा, यह शैक्षणिक समुदाय पर हमला है। एबीवीपी नेताओं की हिंसा पुलिस की मौजूदगी में हुई, जो शर्मनाक है।
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