युवाओं में हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा: जीवनशैली बदलाव से दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं।

आज के दौर में दिल से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। पहले ये समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब युवा और बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। भारत में हृदय रोग

Oct 17, 2025 - 11:45
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युवाओं में हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा: जीवनशैली बदलाव से दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं।
युवाओं में हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा: जीवनशैली बदलाव से दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं।

आज के दौर में दिल से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। पहले ये समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब युवा और बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। भारत में हृदय रोग मौत का प्रमुख कारण बन चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हृदय रोगों से 17.7 मिलियन मौतें होती हैं, जिसमें भारत का हिस्सा एक-पांचवां है। खासकर युवाओं में ये बीमारियां चिंता का विषय बनी हुई हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि हार्ट अटैक से 32,457 मौतें हुईं, जो पिछले साल से 14 प्रतिशत अधिक हैं। 2025 तक भारत में हृदय रोगों के मामलों में दोगुनी वृद्धि की आशंका है। इसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली है। व्यस्त दिनचर्या, तनाव, अस्वास्थ्यकर भोजन और शारीरिक निष्क्रियता ने युवाओं को प्रभावित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण एशियाई लोगों में आनुवंशिक रूप से हृदय रोग का खतरा अधिक होता है, जिससे 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में 25 प्रतिशत हार्ट अटैक दर्ज हो रहे हैं।

हार्ट अटैक को चिकित्सकीय भाषा में मायोकार्डियल इन्फार्क्शन कहा जाता है। यह तब होता है जब हृदय की धमनियों में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। इससे हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। भारत में हृदय रोगों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। 2000 में 118 मिलियन मामलों से यह 2025 तक 213.5 मिलियन तक पहुंच सकता है। शहरी इलाकों में इसका प्रसार 13.2 प्रतिशत तक है। युवाओं में यह समस्या इसलिए चिंताजनक है क्योंकि वे इसे गंभीरता से नहीं लेते। एक अध्ययन के अनुसार, 50 वर्ष से कम उम्र के 50 प्रतिशत हार्ट अटैक के शिकार युवा हैं। कोविड-19 महामारी ने भी स्थिति बिगाड़ दी। कई युवाओं में वायरस के बाद हृदय संबंधी जटिलताएं बढ़ीं। डॉक्टरों का कहना है कि स्मोकिंग, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसे कारक युवाओं को अधिक प्रभावित कर रहे हैं। दक्षिण एशियाई लोगों में हृदय रोग 10 वर्ष पहले ही शुरू हो जाते हैं।

हार्ट अटैक के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख है अस्वास्थ्यकर जीवनशैली। फास्ट फूड, प्रोसेस्ड खाना और चीनी युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन मोटापा बढ़ाता है। मोटापा हृदय रोग का बड़ा जोखिम कारक है। शारीरिक गतिविधि की कमी से धमनियां संकुचित हो जाती हैं। तनाव भी बड़ा दुश्मन है। काम का दबाव, नींद की कमी और मानसिक तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो रक्तचाप को प्रभावित करता है। धूम्रपान और शराब का सेवन धमनियों में प्लाक जमा करता है। डायबिटीज वाले युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा दोगुना होता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप भी मुख्य कारण हैं। आनुवंशिक कारक महत्वपूर्ण हैं। यदि परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो, तो युवा उम्र में ही सावधानी बरतनी चाहिए। कोकीन जैसी नशीली दवाओं का दुरुपयोग भी युवाओं में हार्ट अटैक को आमंत्रित करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन कारकों को नियंत्रित करने से 80 प्रतिशत हार्ट अटैक रोके जा सकते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं, खासकर युवाओं में। सबसे आम लक्षण सीने में दर्द है। यह दबाव, जकड़न या भारीपन जैसा महसूस होता है। दर्द कुछ मिनटों तक रहता है और फिर चला जाता है। कई बार यह बाएं हाथ, कंधे, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल जाता है। सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना और मतली भी आम हैं। युवाओं में लक्षण हल्के होते हैं, जैसे थकान या अपच। महिलाओं में जबड़े या पीठ में दर्द अधिक होता है। कभी-कभी हार्ट अटैक का पहला संकेत अचानक हृदय गति रुकना होता है। डॉक्टर बताते हैं कि हार्ट अटैक आने से 10 दिन पहले ही संकेत मिलने लगते हैं। जैसे बार-बार चक्कर आना, रात में नींद न आना या सीने में हल्का दर्द। यदि ये लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी से शुरुआती जांच हो सकती है। देरी से स्थिति गंभीर हो जाती है।

हार्ट अटैक का इलाज समय पर हो तो जान बचाई जा सकती है। प्राथमिक उपचार में एस्पिरिन या नाइट्रोग्लिसरीन दी जाती है। एंजियोप्लास्टी से रक्त प्रवाह बहाल किया जाता है। स्टेंट लगाना आम है। गंभीर मामलों में बाईपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है। दवाओं जैसे बीटा ब्लॉकर्स और स्टेटिन्स से जोखिम कम होता है। युवाओं में जल्दी हस्तक्षेप से रिकवरी तेज होती है। लेकिन इलाज के बाद जीवनशैली बदलना जरूरी है। कार्डियक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम मददगार होते हैं।

प्रिवेंशन ही सबसे अच्छा इलाज है। युवाओं को 40 वर्ष की उम्र से नियमित जांच करानी चाहिए। रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर चेकअप अनिवार्य हैं। स्वस्थ आहार लें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला भोजन अपनाएं। जंक फूड से दूर रहें। रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें। वॉकिंग, जॉगिंग या योग लाभकारी हैं। धूम्रपान छोड़ें। तनाव प्रबंधन के लिए मेडिटेशन अपनाएं। नींद पूरी लें। यदि डायबिटीज या उच्च रक्तचाप हो, तो दवाएं समय पर लें। परिवारिक इतिहास हो तो स्क्रीनिंग जल्दी शुरू करें। सरकार और स्वास्थ्य संगठन जागरूकता अभियान चला रहे हैं। विश्व हृदय दिवस पर विशेष जोर दिया जाता है।

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