Trending: 49 वर्षीय लोला कायूमोवा ने 29 की दिखने के लिए कराई सात बार प्लास्टिक सर्जरी, लखनऊ सेक्स रैकेट का सनसनीखेज खुलासा।
लखनऊ के ओमेक्स R1 ऑर्किड अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 104 पर 20 जून 2025 को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) और लखनऊ पुलिस ...

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हाल ही में एक हाई-प्रोफाइल सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसने न केवल स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों को चौंका दिया, बल्कि चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। इस रैकेट की कथित सरगना, 49 वर्षीय उज्बेकिस्तानी नागरिक लोला कायूमोवा, अपनी जवानी और आकर्षण बनाए रखने के लिए सात बार प्लास्टिक सर्जरी कराने के कारण सुर्खियों में है। यह मामला न केवल मानव तस्करी और अवैध देह व्यापार से जुड़ा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे अपराधी अपनी पहचान छुपाने और अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आधुनिक तकनीकों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
- रैकेट का खुलासा: एक टिप-ऑफ ने उजागर की सच्चाई
लखनऊ के ओमेक्स R1 ऑर्किड अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 104 पर 20 जून 2025 को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) और लखनऊ पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के बाद इस सेक्स रैकेट का भंडाफाश हुआ। एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने छापा मारा, जहां दो उज्बेकिस्तानी महिलाएं, होलिडा और निलोफर, अवैध रूप से रहती पाई गईं। जांच में पता चला कि इस रैकेट की मुख्य संचालिका लोला कायूमोवा थी, जो पिछले सात वर्षों से भारत में अवैध रूप से रह रही थी। उसके पासपोर्ट की वैधता सितंबर 2023 में समाप्त हो चुकी थी, और वह नकली भारतीय पहचान पत्रों, जैसे आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस, का उपयोग कर रही थी। लोला के साथी, थ्रिजिन राज उर्फ अर्जुन राणा, जो खुद को GTS न्यूज का पत्रकार बताता था, और लखनऊ के एक नामी प्लास्टिक सर्जन, डॉ. विवेक गुप्ता, भी इस रैकेट में शामिल थे। पुलिस ने पाया कि यह तिकड़ी न केवल देह व्यापार का धंधा चला रही थी, बल्कि विदेशी महिलाओं को भारत में अवैध रूप से बसाने के लिए उनकी पहचान बदलने में भी मदद कर रही थी।
- लोला कायूमोवा: 49 की उम्र में 29 की दिखने की चाहत
लोला कायूमोवा, जो उज्बेकिस्तान सरकार द्वारा इंटरपोल के माध्यम से जारी लुकआउट नोटिस का सामना कर रही थी, इस रैकेट की मास्टरमाइंड थी। 49 वर्ष की आयु में वह 29 वर्ष की दिखना चाहती थी, जिसके लिए उसने सात बार प्लास्टिक सर्जरी कराई। इन सर्जरियों में चेहरे, अंडरआर्म्स, और यहां तक कि प्राइवेट पार्ट्स की सर्जरी भी शामिल थी। ये सर्जरियां डॉ. विवेक गुप्ता द्वारा की गईं, जिनके पास सुल्तानपुर रोड पर अहिमामऊ और गोमतीनगर के पत्रकारपुरम में मिनर्वा क्लीनिक हैं। लोला की इन सर्जरियों का उद्देश्य न केवल अपनी उम्र छुपाना था, बल्कि उसे और आकर्षक बनाकर अपने अवैध धंधे को और बढ़ावा देना भी था। X पर वायरल पोस्ट्स के अनुसार, लोला ने थाईलैंड में डॉ. विवेक गुप्ता से मुलाकात की थी, जहां से उनकी साझेदारी शुरू हुई। यह साझेदारी बाद में लखनऊ में एक संगठित अपराध नेटवर्क में तब्दील हो गई, जिसमें विदेशी महिलाओं को भारत लाकर देह व्यापार में धकेला जाता था।
- रैकेट का संचालन: पहचान बदलने की साजिश
इस रैकेट का सबसे चौंकाने वाला पहलू था विदेशी महिलाओं की पहचान बदलने की प्रक्रिया। लोला कायूमोवा अपने नेटवर्क के जरिए उज्बेकिस्तान की गरीब महिलाओं को भारत में नौकरी का लालच देकर लाती थी। भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिए जाते थे। इसके बाद, थ्रिजिन राज उन्हें नकली भारतीय पहचान पत्र, जैसे आधार कार्ड और वोटर आईडी, उपलब्ध कराता था। डॉ. विवेक गुप्ता इन महिलाओं की प्लास्टिक सर्जरी करके उनके चेहरों को भारतीय महिलाओं जैसा बनाता था, ताकि वे आसानी से स्थानीय आबादी में घुल-मिल सकें। होलिडा और निलोफर, जो इस रैकेट में पकड़ी गईं, ने पुलिस को बताया कि उनके यात्रा दस्तावेज दो साल पहले चोरी हो गए थे। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इसकी कोई औपचारिक शिकायत दर्ज की गई थी या नहीं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि लोला के माध्यम से कई अन्य विदेशी महिलाएं भारत आई थीं, जिनमें से कई ने डॉ. गुप्ता के क्लीनिक में सर्जरी कराई थी। यह रैकेट रात के समय सक्रिय रहता था, जिसमें विदेशी महिलाओं को स्थानीय टैक्सियों के जरिए शहर भर में ले जाया जाता था।
- पुलिस और FRRO की कार्रवाई
FRRO को मिली गुप्त सूचना के बाद इस रैकेट का खुलासा हुआ। छापेमारी के दौरान पुलिस ने थ्रिजिन राज का आधार कार्ड, बैंक दस्तावेज, पत्रकार आईडी, और लोला कायूमोवा का पासपोर्ट और आधार कार्ड बरामद किया। होलिडा और निलोफर को हिरासत में लिया गया है और उनकी डिपोर्टेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लोला कायूमोवा, थ्रिजिन राज, और डॉ. विवेक गुप्ता अभी फरार हैं, और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
लखनऊ पुलिस के सेंट्रल डीसीपी आशीष श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि इस रैकेट को स्थानीय सहायता के बिना चलाना संभव नहीं था। पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने में जुटी है। इसके अलावा, ओमेक्स R1 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इतनी बड़ी अनियमितता के बावजूद फ्लैट किराए पर कैसे दिया गया। इस मामले ने चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। डॉ. विवेक गुप्ता, जो एक प्रतिष्ठित प्लास्टिक सर्जन थे, ने बिना किसी कानूनी औपचारिकता के विदेशी महिलाओं की सर्जरी की। यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे अपराधी आधुनिक तकनीकों, जैसे प्लास्टिक सर्जरी, का उपयोग अपनी पहचान छुपाने और अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं।
X पर इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कई यूजर्स ने इसे "चौंकाने वाला" और "शर्मनाक" बताया, जबकि कुछ ने लखनऊ पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। यह मामला न केवल लखनऊ, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी और अवैध नागरिकता जैसे गंभीर अपराधों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। लखनऊ में उजागर हुआ यह सेक्स रैकेट मानव तस्करी, अवैध प्रवास, और चिकित्सा पेशे के दुरुपयोग का एक जटिल जाल है। लोला कायूमोवा की कहानी, जो अपनी उम्र को 20 साल कम दिखाने के लिए सात बार सर्जरी कराने से लेकर एक संगठित अपराध नेटवर्क चलाने तक गई, इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है। पुलिस और FRRO की कार्रवाई ने इस रैकेट की परतें उजागर की हैं, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं।
What's Your Reaction?






