छठ पर्व की शुरुआत: नहाय-खाय के साथ सूर्य उपासना का महापर्व शुरू, बिहार से दिल्ली तक श्रद्धा का सैलाब।
बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में आज शुक्रवार 25 अक्टूबर 2025 से छठ महापर्व की विधिवत शुरुआत हो गई। नहाय-खाय के साथ व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों
बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में आज शुक्रवार 25 अक्टूबर 2025 से छठ महापर्व की विधिवत शुरुआत हो गई। नहाय-खाय के साथ व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों ने पवित्र स्नान कर सूर्य देव और छठी मइया की पूजा-अर्चना की। घरों में सात्विक भोजन तैयार हुआ, जिसमें कद्दू-चावल, चने की दाल और अरहर की दाल प्रमुख रहे। सूर्योदय के समय गंगा, यमुना, कोसी, गंडक और अन्य नदियों के घाटों पर हजारों श्रद्धालु एकत्र हुए। दिल्ली के यमुना घाट, पटना के गंगा घाट और वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर भारी भीड़ देखी गई। यह चार दिवसीय पर्व 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा।
नहाय-खाय छठ पर्व का पहला दिन है। सुबह से ही व्रतधारी घर की सफाई करते हैं और नए बर्तनों में भोजन पकाते हैं। महिलाएं स्नान के बाद साफ कपड़े पहनती हैं और पूजा स्थल पर दीप जलाती हैं। भोजन में नमक, लहसुन और प्याज का प्रयोग वर्जित है। कद्दू की सब्जी को प्रसाद के रूप में सभी को बांटा जाता है। परिवार के सभी सदस्य इसे ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहीं से संतान, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
पटना में गंगा घाट पर सुबह छह बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं। प्रशासन ने 200 से अधिक घाटों पर विशेष व्यवस्था की। पुलिस बल तैनात किया गया और नावों से निगरानी रखी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद गंगा घाट का दौरा किया और व्रतधारियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान है और सरकार हर साल इसे भव्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली में यमुना घाट पर बिहार और यूपी के प्रवासियों की भीड़ उमड़ी। वहां बांस के डंडों से बने अस्थायी घाट बनाए गए हैं।
छठ पर्व की परंपरा प्राचीन है। ऋग्वेद में सूर्य उपासना का उल्लेख मिलता है और महाभारत में द्रौपदी द्वारा सूर्य देव की पूजा का वर्णन है। लोक कथाओं के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान कुंती ने सूर्य से संतान प्राप्ति की कामना की थी। बिहार में यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। चार दिन चलने वाले इस पर्व में नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य प्रमुख हैं। व्रतधारी 36 घंटे तक निर्जला रहते हैं और केवल प्रसाद ग्रहण करते हैं।
दूसरे दिन यानी 26 अक्टूबर को खरना होगा। इसमें व्रतधारी दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाते हैं। यह प्रसाद पड़ोसियों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, जिसमें डूबते सूर्य को दूध और ठेकुआ का अर्घ्य चढ़ाया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। इसके बाद पारण किया जाता है, जिसमें अदरक, चावल और गुड़ का सेवन किया जाता है।
इस बार छठ पर्व पर मौसम अनुकूल है। भारतीय मौसम विभाग ने बिहार और यूपी में हल्की बारिश की संभावना जताई है, लेकिन घाटों पर कोई बाधा नहीं आएगी। प्रशासन ने 500 से अधिक अस्थायी घाट बनाए हैं। पटना में 72 घाट, गया में 45 और मुजफ्फरपुर में 38 घाट तैयार किए गए हैं। दिल्ली में 12 घाटों पर विशेष इंतजाम हैं। सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे और गोताखोर तैनात हैं। कोविड के बाद यह पहला छठ है जब पूरी छूट के साथ पर्व मनाया जा रहा है।
छठ पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। अमीर-गरीब सभी एक साथ घाटों पर पूजा करते हैं। महिलाएं साड़ी पहनकर बांस की टोकरी में प्रसाद सजाती हैं। ठेकुआ, लड्डू, फल और गन्ना इसमें शामिल होते हैं। बच्चे भी उत्साह से हिस्सा लेते हैं। गांवों में मेले लगते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। भोजपुरी, मगही और मैथिली गीत गूंजते हैं। लोक गायिका शारदा सिन्हा के छठ गीत हर घर में बज रहे हैं।
प्रशासन ने स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया है। नदियों में सीवेज रोकने के लिए अस्थायी बैरियर लगाए गए हैं। प्लास्टिक प्रतिबंधित है और बांस के डोंगे का प्रयोग बढ़ावा दिया जा रहा है। रेलवे ने 50 विशेष ट्रेनें चलाई हैं, जिनमें बिहार और यूपी के लिए 20 हजार सीटें आरक्षित हैं। पटना, गया और वाराणसी हवाई अड्डों पर अतिरिक्त उड़ानें शुरू की गई हैं। बस स्टैंडों पर भीड़ प्रबंधन के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।
छठ पर्व में महिलाओं की भूमिका अहम है। वे व्रतधारी होती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कठोर तप करती हैं। कई महिलाएं पहली बार व्रत रख रही हैं, जिन्हें मायके से मान मनुहार मिलता है। पुरुष भी सहयोग करते हैं और प्रसाद बनाने में मदद करते हैं। शहरों में अपार्टमेंट की छतों पर भी पूजा हो रही है। लोग कृत्रिम तालाब बनाकर सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी इस पर्व से जुड़ा है। बांस, मिट्टी के बर्तन और प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग होता है। कई एनजीओ नदियों की सफाई अभियान चला रहे हैं। पटना में गंगा प्रहरी संगठन ने 10 टन कचरा हटाया। वाराणसी में नमामि गंगे परियोजना के तहत घाटों की सफाई की गई।
छठ पर्व प्रवासी भारतीयों के लिए भी भावनात्मक बंधन है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में बिहारी समुदाय इसे मनाता है। वाशिंगटन में यमुना नदी के किनारे और लंदन में टेम्स नदी पर छठ पूजा हो रही है। सोशल मीडिया पर ChhathPuja2025 ट्रेंड कर रहा है। लोग अपने घाटों की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर रहे हैं।
सरकार ने व्रतधारियों के लिए विशेष सुविधाएं दी हैं। बिहार में सभी सरकारी कार्यालय 27 और 28 अक्टूबर को बंद रहेंगे। रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त पानी और प्रसाद वितरण की व्यवस्था है। अस्पतालों में इमरजेंसी टीम तैनात हैं। कई राजनेता घाटों पर पहुंचकर श्रद्धालुओं से मुलाकात कर रहे हैं।
छठ पर्व सूर्य और प्रकृति की कृतज्ञता का पर्व है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में संयम, स्वच्छता और समर्पण जरूरी है। चार दिन का यह पर्व परिवार को एकजुट करता है और समाज में भाईचारा बढ़ाता है। बिहार के गांवों से लेकर महानगरों तक, हर जगह छठी मइया की जयकारे गूंज रहे हैं।
आने वाले दिनों में खरना और अर्घ्य की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में ठेकुआ, फल और गन्ने की बिक्री बढ़ गई है। कारीगर रात-दिन डोंगे और सूप बना रहे हैं। यह पर्व न केवल आस्था का, बल्कि अर्थव्यवस्था का भी हिस्सा है। छोटे व्यापारी और कारीगर इस मौके पर अच्छी कमाई करते हैं।
What's Your Reaction?










