एड गुरु पीयूष पांडे का निधन: 70 वर्ष की आयु में संक्रमण से जूझते हुए कहा अलविदा, भारतीय विज्ञापन जगत का चेहरा रहे 'अबकी बार मोदी सरकार' के रचनाकार।
भारतीय विज्ञापन उद्योग के दिग्गज और ओगिल्वी इंडिया के पूर्व चेयरमैन पीयूष पांडे का निधन हो गया। 70 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। उनका निधन शुक्रवार
भारतीय विज्ञापन उद्योग के दिग्गज और ओगिल्वी इंडिया के पूर्व चेयरमैन पीयूष पांडे का निधन हो गया। 70 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। उनका निधन शुक्रवार सुबह, 24 अक्टूबर 2025 को हुआ। पिछले एक महीने से वे कोमा में थे और एक गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे। पांडे को भारतीय विज्ञापन का आर्किटेक्ट कहा जाता था। उन्होंने हिंदी और स्थानीय भाषाओं में विज्ञापनों को जीवंत बना दिया। फेविकॉल के 'जोर लगाकर हाईसी' से लेकर कैडबरी के 'कुछ खास है जोश में' तक, उनके स्लोगन आज भी घर-घर गूंजते हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में दिए 'अबकी बार मोदी सरकार' नारे ने राजनीति को भी छुआ। उनके निधन की खबर कॉलमिस्ट सुहेल सेठ ने एक्स पर शेयर की, जिसके बाद उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी। उनका अंतिम संस्कार शनिवार, 25 अक्टूबर को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर दोपहर 3:30 बजे होगा।
पीयूष पांडे का जन्म 18 जनवरी 1955 को जयपुर, राजस्थान में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके छोटे भाई प्रसून पांडे भी विज्ञापन जगत के प्रसिद्ध नाम हैं। बचपन से ही दोनों भाइयों ने रेडियो जिंगल्स के लिए आवाज दी। पीयूष ने जयपुर के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की। क्रिकेट के शौकीन थे। राजस्थान रणजी टीम के लिए खेल चुके थे। लेकिन चोट के कारण करियर छोड़ दिया। फिर चाय टेस्टिंग और निर्माण कार्य में हाथ आजमाया। 1982 में ओगिल्वी एंड माथर जॉइन किया। यहां से उनका सफर शुरू हुआ। शुरुआत में कॉपी राइटर थे। जल्दी ही क्रिएटिव डायरेक्टर बने। 2004 में कैनेज लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल के जूरी प्रेसिडेंट बने। पहले एशियन थे इस पद पर। 2012 में क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। 2016 में पद्मश्री से सम्मानित। ओगिल्वी को दुनिया की सबसे पुरस्कार जीतने वाली एजेंसी बनाया। 2018 में भाई प्रसून के साथ पहले एशियाई बने लायन ऑफ सेंट मार्क अवॉर्ड जीतने वाले। ग्लोबल चीफ क्रिएटिव ऑफिसर रहे। रिटायरमेंट के बाद भी सलाहकार बने रहे।
पांडे की सबसे बड़ी खासियत थी सादगी। उनका मूंछ वाला चेहरा और गर्मजोशी भरा हंसना जगजाहिर था। वे कहते थे कि विज्ञापन ब्रांड बेचने के लिए नहीं, कहानी सुनाने के लिए होता है। अंग्रेजी वाले विज्ञापनों को हिंदी और लोकल टच दिया। फेविकॉल का 'दो तरफा टेप' या 'जोर लगाकर हाईसी' आज भी हंसाता है। वोडाफोन का पग वाला ऐड 'हैप्पीनेस इज होमकमिंग' ने दिल जीता। एशियन पेंट्स का 'हर खुशी में रंग लाएगा' घर-घर पहुंचा। कैडबरी का 'डांसिंग गर्ल' और 'कुछ खास है जोश में' युवाओं का प्रतीक बना। अमूल का 'अमूल गर्ल' भी उनके समय में चला। राजनीति में भी हाथ आजमाया। 2014 में भाजपा के लिए 'अबकी बार मोदी सरकार' स्लोगन दिया। यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि चुनावी गीत बना। 2019 में भी काम किया। प्रसून पांडे ने सीबीआई फिल्म 'द गुनाहों का देवता' का कॉन्सेप्ट दिया। लेकिन पीयूष का योगदान सबसे बड़ा। उन्होंने कहा था कि विज्ञापन में सच्चाई होनी चाहिए।
उनके निधन की खबर सुहेल सेठ ने एक्स पर दी। सुहेल, उनके पुराने दोस्त हैं। उन्होंने लिखा, गहरा दुख है मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे के निधन से। भारत ने न सिर्फ महान विज्ञापन मैन खोया, बल्कि सच्चे देशभक्त और सज्जन व्यक्ति को भी। सुहेल ने कहा कि पीयूष का हंसना और कहानियां अमर रहेंगी। इस पोस्ट पर हजारों रिएक्शन आए। पीयूष की बहन इला पांडे ने स्टेटमेंट जारी किया। उन्होंने कहा, टूटे दिल से बता रही हूं कि आज सुबह हमारा सबसे प्यारा भाई पीयूष चला गया। प्रसून आगे डिटेल्स शेयर करेंगे। ओगिल्वी ने आधिकारिक बयान दिया। कहा, हमारे पूरे परिवार को अकल्पनीय दुख। पीयूष एक महीने से संक्रमण से लड़ रहे थे। सुबह शांतिपूर्ण तरीके से चले गए। हम उनके परिवार के साथ हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया। कहा, पीयूष के साथ मेरी बातचीत याद रहेगी। उन्होंने विज्ञापन और संचार जगत में ऐतिहासिक योगदान दिया। उनके निधन से दुखी हूं। परिवार और प्रशंसकों के साथ हूं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, दुखद खबर। पीयूष ने भारतीय विज्ञापन को रोजमर्रा की भाषा, हास्य और गर्मजोशी दी। वे एक टाइटन थे। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, विज्ञापन जगत का फिनोमेनन खो गया। आडानी ग्रुप के प्रणव आडानी ने लिखा, तबाह हूं। उनके विचार और क्रिएटिविटी प्रेरणा देंगे। अभिनेता आमिर खान ने कहा, पीयूष सर ने विज्ञापन को कला बना दिया। उनके बिना उद्योग सूना लगेगा। अनुपम खेर ने लिखा, महान कलाकार चले गए। उनकी विरासत बनी रहेगी।
विज्ञापन जगत में शोक सभा हुई। इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स ने मीटिंग बुलाई। कई ब्रांड्स ने उनके ऐड दोबारा चलाए। फेविकॉल ने ट्रिब्यूट वीडियो शेयर किया। ओगिल्वी ने उनके नाम पर अवॉर्ड शुरू करने का ऐलान किया। पीयूष की कहानियां मशहूर थीं। वे मीटिंग में जॉक्स सुनाते। कहा करते, विज्ञापन में दिल से बोलो, दिमाग बाद में लगेगा। उन्होंने युवा क्रिएटिव्स को ट्रेनिंग दी। कैनेज में जजिंग के दौरान कई भारतीयों को पुरस्कार दिलवाए। रिटायरमेंट के बाद भी वे मेंटर बने। 2020 में कोविड के समय 'मास्क पहनो' कैंपेन चलाया। राजनीति में उनका योगदान भी बड़ा। 2014 चुनाव में भाजपा को क्रिएटिव हेल्प दी। नारा इतना हिट हुआ कि आज भी इस्तेमाल होता है।
पीयूष का परिवार छोटा था। पत्नी अनन्या, बेटा अदित्य। अदित्य भी विज्ञापन में हैं। प्रसून सीबीआई चीफ हैं। बहन इला शिक्षाविद्। परिवार ने कहा कि पीयूष सादगी पसंद थे। अंतिम संस्कार में सिर्फ करीबी आएंगे। उद्योग ने उन्हें श्रद्धा दी। कई एजेंसी ने काम बंद रखा। सोशल मीडिया पर ट्रिब्यूट फ्लड हो गया। लोग उनके ऐड शेयर कर रहे। एक यूजर ने लिखा, पीयूष सर ने हमें हंसना सिखाया। उनका निधन एक युग का अंत है।
यह निधन विज्ञापन उद्योग के लिए बड़ा झटका है। पीयूष ने इसे ग्लोबल लेवल पर ले जाकर दिखाया। उनके आने से पहले विज्ञापन विदेशी लगते थे। उन्होंने लोकल फ्लेवर दिया। पद्मश्री के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड। कैनेज में चार ग्रैंड प्रिक्स जीते। ओगिल्वी को 15 साल तक नंबर वन रखा। रिटायरमेंट पर कहा था, अब नई पीढ़ी को मौका। लेकिन वे कभी दूर न हुए। युवाओं को सलाह देते रहे। उनका मंत्र था, कहानी पहले, सेल्स बाद में।
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