मथुरा के बांके बिहारी मंदिर का 54 वर्ष बाद धनतेरस पर खुला तहखाना: सोने-चांदी के कलश और आभूषण मिले, सुप्रीम कोर्ट समिति की निगरानी में सुरक्षित।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में धनतेरस के शुभ अवसर पर एक ऐतिहासिक घटना घटी। मंदिर के गर्भगृह के ठीक नीचे बने तहखाने का ताला 54 वर्षों
उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में धनतेरस के शुभ अवसर पर एक ऐतिहासिक घटना घटी। मंदिर के गर्भगृह के ठीक नीचे बने तहखाने का ताला 54 वर्षों के बाद खोला गया। यह तहखाना लगभग 160 वर्ष पुराना है और इसे मंदिर का पवित्र कोषागार या तोशखाना कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सख्त निगरानी में यह प्रक्रिया पूरी हुई। अंदर सोने-चांदी के कलश, आभूषण, चांदी के बर्तन और प्राचीन वस्तुएं मिलीं। सुरक्षा बलों, वन विभाग और अग्निशमन टीम की मौजूदगी में सभी सामग्री को वीडियोग्राफी के साथ तोशखाने में सुरक्षित रखा गया। यह घटना न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि मंदिर प्रबंधन पर चल रहे विवादों को भी नई दिशा दे सकती है। भक्तों में उत्साह के साथ-साथ जिज्ञासा भी रही, क्योंकि इस तहखाने के रहस्य वर्षों से चर्चा का विषय बने हुए थे।
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जहां भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है। मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में संत स्वामी हरिदास के शिष्य जगन्नाथ गोस्वामी ने की थी। तहखाना 1864 में बनाया गया था, जो वैष्णव परंपरा के अनुसार गर्भगृह के सिंहासन के नीचे स्थित है। इसमें ठाकुर जी के दैनिक पूजा-उपहार रखे जाते थे। इतिहासकारों के अनुसार, ब्रिटिश काल में 1926 और 1936 में चोरी की घटनाओं के बाद इसे सुरक्षा कारणों से सील कर दिया गया था। अंतिम बार 1971 में तत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल की देखरेख में खोला गया था। उस समय मूल्यवान आभूषणों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर में स्थानांतरित कर दिया गया था। उसके बाद यह ताला बंद रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन विवाद पर 2025 में हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी गठित की, जिसने 29 सितंबर को तहखाने को खोलने का निर्णय लिया। मथुरा के डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने 17 अक्टूबर को आदेश जारी किया। धनतेरस का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह धन-समृद्धि का प्रतीक है और लक्ष्मी पूजन से जुड़ा है।
18 अक्टूबर को सुबह से ही मंदिर परिसर में सख्त सुरक्षा व्यवस्था की गई। मथुरा के सीओ सदर संदीप कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केवल समिति के सदस्यों को प्रवेश की अनुमति थी। जिला प्रशासन के अधिकारी, सिविल जज जूनियर डिवीजन शिप्रा दुबे, रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज मुकेश मिश्रा और डिस्ट्रिक्ट जज विकास कुमार मौजूद रहे। सेवायत गोस्वामी परिवार के चार सदस्य- शैलेंद्र गोस्वामी, वरदान गोस्वामी, दिनेश गोस्वामी और विजय कृष्ण गोस्वामी बाब्बू को भी अनुमति मिली। एडीएम वित्त एवं राजस्व पंकज वर्मा ने कहा कि पूरी प्रक्रिया वीडियोग्राफी से रिकॉर्ड की गई। मंदिर कार्यवाहक घनश्याम गोस्वामी ने पुष्टि की कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद ताले काटे गए। तहखाने में प्रवेश करने से पहले सभी ने मास्क और दस्ताने पहने, क्योंकि 54 वर्षों से बंद होने के कारण जहरीले जीव-जंतु होने का खतरा था। वन विभाग की स्नेक कैचर टीम ने दो सांपों को सुरक्षित पकड़ा। अग्निशमन विभाग ने बैकपैक फॉर्म के विशेष उपकरण तैनात किए, जो आग लगने पर ऑक्सीजन काट देते हैं। मंदिर परिसर को छावनी में बदल दिया गया था। एसएसपी श्लोक कुमार के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात रहा। एएसआई पुरातत्वविद् डॉ. स्मिता एस कुमार ने भी निरीक्षण किया।
तहखाने के अंदर का नजारा चौंकाने वाला था। अंदर पानी भरा हुआ था, कीचड़ फैला था और चूहे भी दिखाई दिए। सफाई का कार्य तुरंत शुरू हो गया। प्रारंभिक जांच में कुछ घड़े, चांदी के बर्तन, तीन संदूक, एक तिजोरी और सोने-चांदी के कलश व आभूषण मिले। सेवायत आभास गोस्वामी ने स्पष्ट किया कि यह कोई राजकीय खजाना नहीं था, बल्कि ठाकुर जी की पूजा-अर्चना के लिए प्राचीन सामग्री थी। इसमें तांबे या चांदी के पुराने पात्र, स्नान सामग्री और छोटे आभूषण शामिल थे। मूल्यवान वस्तुओं को तुरंत तोशखाने में स्थानांतरित कर दिया गया। गोस्वामी ने कहा कि ये वस्तुएं भगवान के सेवा में ही इस्तेमाल होंगी। समिति ने इनकी सूची तैयार की और बैंक लॉकर में रखने की प्रक्रिया शुरू की। यह खुलासा मंदिर के इतिहास को नई रोशनी देगा। इतिहासकार आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि तहखाना 12 सीढ़ियां उतरकर बाएं तरफ खुलता है। इसमें वैष्णव परंपरा के अनुसार भेंट चढ़ाई जाने वाली वस्तुएं रखी जाती थीं।
यह घटना मंदिर प्रबंधन पर चल रहे विवादों से जुड़ी है। 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य मंदिर का बेहतर प्रबंधन और आसपास के क्षेत्र का विकास है। विपक्ष ने इसे सरकारी हस्तक्षेप बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम समिति गठित की, जिसमें सेवायतों, प्रशासनिक अधिकारियों और पुरातत्व विशेषज्ञ शामिल हैं। कमेटी के सदस्यों में मथुरा कमिश्नर जग प्रवेश, एमवीडीए उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह भी थे। विवाद का केंद्र तहखाना ही था, जहां चोरी की पुरानी घटनाओं के बाद पारदर्शिता की मांग उठी। गोस्वामी परिवार ने कहा कि सुरक्षा के अभाव में तहखाना बंद किया गया था। अब इसे डिजिटल रूप से प्रबंधित करने की योजना है। मथुरा वीआईपी दर्शन पर भी प्रतिबंध लगा है। ब्रज सर्किट प्रोजेक्ट के तहत 440 करोड़ रुपये का विकास कार्य चल रहा है, जिसमें मंदिर की मरम्मत शामिल है।
सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई। एक्स पर हजारों यूजर्स ने इसे शेयर किया। कुछ ने इसे चमत्कार बताया, तो कुछ ने मंदिर की संपत्ति पर सवाल उठाए। एनआई न्यूज ने वीडियो पोस्ट किया, जिसमें तहखाने के अंदर का दृश्य दिखाया गया। सेवायतों ने कहा कि भगवान की कृपा से सब सुरक्षित है। विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने टिप्पणी की कि इतना लालच अच्छा नहीं। लेकिन भाजपा ने इसे पारदर्शिता का प्रतीक बताया। मंदिर के आसपास भक्तों की भारी भीड़ रही। वृंदावन में दीपोत्सव की तैयारी जोरों पर है। यह घटना धनतेरस के महत्व को और बढ़ाती है, जो गणेश, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा का दिन है। आयुर्वेद के देव धन्वंतरि का भी जन्मदिन माना जाता है।
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