ट्रंप की भारत को चेतावनी: रूसी तेल खरीद बंद न की तो लगेंगे भारी टैरिफ, मोदी के आश्वासन के दावे पर MEA ने खारिज किया दावा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत रूस से तेल की खरीद जारी रखता है, तो उसे भारी टैरिफ और आयात शुल्क का सामना करना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत रूस से तेल की खरीद जारी रखता है, तो उसे भारी टैरिफ और आयात शुल्क का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप का यह बयान 19 अक्टूबर 2025 को एयर फोर्स वन पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान आया। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया था कि भारत रूसी तेल की खरीद बंद कर देगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो शुल्क और बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने इसे यूक्रेन युद्ध में मॉस्को को आर्थिक सहायता पहुंचाने जैसा बताया। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई और भारत-अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग पर चर्चा जारी है, लेकिन रूसी तेल बंद करने का कोई वादा नहीं किया गया। यह विवाद वैश्विक ऊर्जा राजनीति को प्रभावित कर रहा है और भारत-अमेरिका संबंधों में नई चुनौतियां पैदा कर सकता है।
ट्रंप का यह बयान यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में आया है, जो 2022 से चल रहा है। रूस पर पश्चिमी देशों ने कई प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन भारत ने रूसी तेल सस्ते दामों पर खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी की हैं। 2025 में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जो कुल आयात का लगभग 34 प्रतिशत है। अक्टूबर में यह मात्रा 1.9 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच गई है। ट्रंप का मानना है कि यह खरीद रूस को युद्ध जारी रखने के लिए धन उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर उसे वैश्विक बाजार में बेचा भी है, जिससे लाभ कमाया। ट्रंप ने इसे रूस की आक्रामकता को बढ़ावा देने वाला बताया।
ट्रंप ने फरवरी 2025 में व्हाइट हाउस में मोदी के साथ बैठक के दौरान भी इस मुद्दे पर बात की थी। लेकिन हाल का दावा 15 अक्टूबर को ओवल ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया गया। उन्होंने कहा, "मैं भारत के तेल खरीदने से खुश नहीं था, लेकिन मोदी ने मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। यह एक बड़ा कदम है। अब चीन को भी ऐसा करने के लिए कहेंगे।" ट्रंप ने जोर दिया कि यह बदलाव तुरंत नहीं होगा, बल्कि कुछ समय लगेगा। उन्होंने इसे यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण बताया। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने भी जापान को रूसी ऊर्जा आयात बंद करने की चेतावनी दी। ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य रूस की ऊर्जा आय को कम करके मॉस्को पर दबाव बनाना है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने 16 अक्टूबर को स्पष्ट किया कि ट्रंप के दावे गलत हैं। प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कल कोई फोन कॉल या बातचीत नहीं हुई।" मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत तेल और गैस का बड़ा आयातक है। हमारी नीति उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने पर केंद्रित है। अस्थिर ऊर्जा बाजार में स्थिर कीमतें और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है। आयात नीतियां इसी उद्देश्य से तय होती हैं। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा चल रही है, लेकिन रूसी तेल बंद करने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया। भारत ने पश्चिमी देशों पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। कहा कि यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो का व्यापार किया, जिसमें एलएनजी आयात भी शामिल है। भारत ने कहा कि एकतरफा प्रतिबंधों का हम समर्थन नहीं करते।
यह विवाद व्यापार युद्ध से जुड़ा है। ट्रंप ने जुलाई 2025 में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए थे। अगस्त में रूसी तेल खरीद के कारण अतिरिक्त 25 प्रतिशत का दंडात्मक शुल्क जोड़ दिया, जिससे कुल 50 प्रतिशत हो गया। यह टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य प्रमुख निर्यातों पर लागू है। ट्रंप ने कहा कि अगर रूसी तेल खरीद जारी रही, तो टैरिफ और बढ़ाएंगे। भारत ने इन्हें अन्यायपूर्ण बताया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका का दबाव अनुचित है। उन्होंने यूरोप के रूस व्यापार का हवाला दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम किसानों और उपभोक्ताओं के हितों से समझौता नहीं करेंगे, भले ही कीमत चुकानी पड़े। गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, अगर 50 प्रतिशत टैरिफ बने रहे, तो भारत की जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह सकती है।
भारत की रूसी तेल खरीद की शुरुआत 2022 के यूक्रेन आक्रमण के बाद हुई। यूरोप ने रूसी तेल बंद किया, जिससे वैश्विक कीमतें बढ़ीं। भारत ने सस्ते रूसी तेल से लाभ उठाया। रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा 2021 में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 50 प्रतिशत हो गया। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार, फरवरी 2022 से जुलाई 2025 तक जामनगर ने 85.9 अरब डॉलर के परिष्कृत उत्पाद निर्यात किए, जिनमें से 42 प्रतिशत प्रतिबंधित देशों को गए। इससे भारत को विदेशी मुद्रा लाभ हुआ। लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे रूस को सहायता मानता है। भारत ने कहा कि हमारी खरीद वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद करती है।
रूस ने भी भारत का समर्थन किया। रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि हमारा तेल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक है। मॉस्को ने कहा कि अगर रूसी तेल पर प्रतिबंध लगे, तो मुक्त व्यापार के सिद्धांत टूटेंगे। रूस ने भारत को अच्छी गुणवत्ता का तेल कम दामों पर देने का आश्वासन दिया। भारत ने तेल आयात विविधीकरण पर जोर दिया। हम अमेरिका, सऊदी अरब और अन्य स्रोतों से भी खरीदते हैं। लेकिन रूसी तेल सस्ता होने से उपभोक्ताओं को राहत मिली। तेल खरीद के अनुबंध 4-6 सप्ताह पहले होते हैं, इसलिए तुरंत बंद करना मुश्किल है। केपलर डेटा के अनुसार, अक्टूबर में आयात 20 प्रतिशत बढ़ा है।
यह मुद्दा भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर रहा है। दोनों देश क्वाड और रक्षा सहयोग में साझेदार हैं। लेकिन व्यापार असंतुलन और रूसी तेल ने तनाव बढ़ाया। ट्रंप ने भारत को "मित्र" कहा, लेकिन टैरिफ से दबाव बनाया। भारत ने कहा कि हम राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का दावा राजनीतिक हो सकता है, ताकि यूक्रेन समर्थकों को खुश किया जाए। भारत ने कहा कि ऊर्जा निर्णय उपभोक्ता हितों पर आधारित हैं।
वैश्विक संदर्भ में, चीन भी रूसी तेल का बड़ा खरीदार है। ट्रंप ने कहा कि चीन को भी रोकेंगे। लेकिन चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध पहले से चल रहा है। यूरोपीय संघ ने रूसी गैस आयात कम किया, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं। यूके ने हाल ही में भारतीय रिफाइनरी नायरा पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, जिसे भारत ने अस्वीकार किया। भारत ने कहा कि ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड न अपनाए जाएं।
यह विवाद भारत की विदेश नीति को परख रहा है। मोदी सरकार ने रूस के साथ पारंपरिक संबंध बनाए रखे, जबकि अमेरिका से रक्षा सौदे बढ़ाए। अगस्त 2025 में शंघाई सहयोग संगठन में मोदी-पुतिन बैठक हुई। ट्रंप ने इसे नजरअंदाज किया। भारत ने कहा कि हम शांति के पक्षधर हैं, लेकिन ऊर्जा सुरक्षा जरूरी है। आने वाले महीनों में व्यापार वार्ता महत्वपूर्ण होंगी। अगर टैरिफ बने रहे, तो भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा। लेकिन भारत ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
ट्रंप का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कई ने इसे कूटनीतिक दबाव बताया। भारत ने शांतिपूर्ण जवाब दिया, ताकि संबंध खराब न हों। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी तेल बंद करने से भारत की तेल कीमतें बढ़ेंगी, जो महंगाई को प्रभावित करेगी। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और 2030 तक चीन को पीछे छोड़ सकता है। इसलिए विविधीकरण जरूरी है।
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