सोनीपत: दिवाली पर सोन पापड़ी को तोहफे में पाकर फैक्ट्री कर्मचारियों का गुस्सा फूटा, गेट पर फेंके डब्बे। 

हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर इलाके में स्थित एक फैक्ट्री में दिवाली के मौके पर कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा। कंपनी ने कर्मचारियों को पारंपरिक बोनस या नकद इनाम देने के

Oct 23, 2025 - 12:27
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सोनीपत: दिवाली पर सोन पापड़ी को तोहफे में पाकर फैक्ट्री कर्मचारियों का गुस्सा फूटा, गेट पर फेंके डब्बे। 
सोनीपत: दिवाली पर सोन पापड़ी को तोहफे में पाकर फैक्ट्री कर्मचारियों का गुस्सा फूटा, गेट पर फेंके डब्बे। 

हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर इलाके में स्थित एक फैक्ट्री में दिवाली के मौके पर कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा। कंपनी ने कर्मचारियों को पारंपरिक बोनस या नकद इनाम देने के बजाय सिर्फ सोन पापड़ी के डब्बे बांटे। इससे नाराज होकर सैकड़ों कर्मचारियों ने फैक्ट्री के गेट के बाहर मिठाई के डब्बे फेंक दिए। पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने कर्मचारियों की निराशा और दिवाली गिफ्ट्स की संस्कृति पर बहस छेड़ दी है। यह घटना 21 अक्टूबर 2025 को हुई, जब दिवाली की तैयारियां चरम पर थीं। वीडियो में कर्मचारी एक-दूसरे को उकसाते नजर आ रहे हैं, जबकि जमीन पर बिखरे डब्बे दृश्य को और भावुक बना देते हैं।

घटना गन्नौर के औद्योगिक क्षेत्र में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में घटी। फैक्ट्री में ज्यादातर मजदूर स्थानीय हैं, जो साल भर कड़ी मेहनत करते हैं। दिवाली के समय कंपनियां अक्सर बोनस या छोटे-मोटे उपहार देती हैं, जो कर्मचारियों के लिए त्योहार की खुशी दोगुनी कर देते हैं। लेकिन इस बार प्रबंधन ने सिर्फ सोन पापड़ी के डब्बे वितरित किए। कर्मचारियों का कहना था कि पहले सालों में उन्हें नकद बोनस मिला करता था, लेकिन इस बार आर्थिक तंगी का हवाला देकर सिर्फ मिठाई थमा दी गई। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारी सैलरी भी समय पर नहीं मिलती, ऊपर से यह तोहफा। सोन पापड़ी तो हर घर में आती-जाती रहती है, लेकिन बोनस हमारा हक था। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कर्मचारी फैक्ट्री गेट पर इकट्ठा होकर डब्बे फेंक रहे हैं। कुछ लोग चिल्ला रहे हैं कि यह अपमान है, जबकि अन्य सहकर्मियों को शामिल होने के लिए बुला रहे हैं।

सोन पापड़ी भारतीय त्योहारों की एक प्रसिद्ध मिठाई है, जो बेसन और चीनी से बनी होती है। इसकी लंबी शेल्फ लाइफ के कारण इसे गिफ्ट के रूप में पसंद किया जाता है। लेकिन सोशल मीडिया पर यह मीम्स की शिकार बन चुकी है। लोग इसे सबसे कम पसंदीदा या दोबारा गिफ्ट की जाने वाली मिठाई कहते हैं। इस घटना ने सोन पापड़ी को फिर से हेडलाइंस में ला दिया। वायरल वीडियो को सबसे पहले एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यूजर कुशाग्र मिश्रा ने शेयर किया, जिसमें कैप्शन था, नॉट सो स्वीट दिवाली। वीडियो में दर्जनों डब्बे गेट पर बिखरे नजर आ रहे हैं। एक घंटे के अंदर ही इसे हजारों व्यूज मिल गए। अब तक लाखों लोग इसे देख चुके हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं। कुछ यूजर्स ने कर्मचारियों की कार्रवाई की निंदा की। एक यूजर ने लिखा कि खाना बर्बाद करना गलत है। सोन पापड़ी अच्छी मिठाई है, मीम्स की वजह से बदनाम हो गई। हिंदू धर्म में अन्न की बर्बादी पाप है। क्या कंपनी ने कुछ दिया ही नहीं? कम से कम तोहफा तो मिला। वहीं, कई ने कर्मचारियों का समर्थन किया। एक महिला यूजर ने कहा कि बोनस न मिलना कर्मचारियों का अपमान है। सोन पापड़ी तो रेगिफ्टिंग का प्रतीक है, कंपनी ने मजाक उड़ाया। महंगाई के दौर में सैलरी से घर चलाना मुश्किल है, बोनस से कुछ राहत मिलती। एक अन्य यूजर ने लिखा कि एचआर का आइडिया होगा, लेकिन कर्मचारियों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। बहस इतनी तेज हुई कि कुछ ने सोन पापड़ी का बहिष्कार करने की बात तक कही। एक मीम पेज ने पोस्ट किया, सोन पापड़ी अब दिवाली का सबसे बड़ा कांड।

फैक्ट्री प्रबंधन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुपरवाइजर्स ने कहा कि यह सिर्फ एक अच्छे इशारे के तौर पर दिया गया था। कंपनी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए बोनस नहीं दे सकें। कोई हिंसा या संपत्ति क्षति नहीं हुई। पुलिस ने भी हस्तक्षेप नहीं किया, क्योंकि यह शांतिपूर्ण विरोध था। गन्नौर औद्योगिक क्षेत्र में सैकड़ों फैक्टरियां हैं, जहां मजदूरों की संख्या हजारों में है। यहां की फैक्टरियां टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी हैं। कर्मचारी यूनियन ने कहा कि यह घटना अन्य कंपनियों के लिए चेतावनी है। दिवाली पर गिफ्ट्स सिर्फ रस्म नहीं, कर्मचारियों की मेहनत का सम्मान हैं।

यह घटना दिवाली 2025 की दूसरी छवि पेश करती है। एक तरफ पंजाब के एक उद्योगपति ने 51 एसयूवी गाड़ियां कर्मचारियों को गिफ्ट कीं, जो वायरल हो गई। वहीं, यहां सोन पापड़ी ने गुस्सा भड़का दिया। यह दोहरी तस्वीर कंपनियों की नीतियों पर सवाल उठाती है। कुछ कंपनियां भव्य उपहार देती हैं, तो कुछ टोकन गेस्चर तक सीमित रहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बोनस कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं, लेकिन यह कर्मचारी संतुष्टि के लिए जरूरी है। महंगाई बढ़ने से मजदूरों की उम्मीदें अधिक हैं। हरियाणा में औद्योगिक क्षेत्रों में लेबर डिस्प्यूट बढ़ रहे हैं। गत वर्ष भी सोनीपत में सैलरी विवाद पर हड़ताल हुई थी।

वीडियो के वायरल होने से सोन पापड़ी की बिक्री पर असर पड़ा। कुछ दुकानदारों ने कहा कि मीम्स की वजह से पहले से ही बिक्री कम थी, अब और घटी। लेकिन कुछ ने इसे मजाक में लिया। एक ब्रांड ने ट्वीट किया, हमारी सोन पापड़ी मीम क्वीन है, लेकिन स्वाद राजा। कर्मचारियों के परिवारों ने भी चिंता जताई। एक पत्नी ने बताया कि पति घर लौटे तो उदास थे। डब्बा फेंकना मजबूरी थी, लेकिन अब नौकरी का डर है। यूनियन लीडर ने कहा कि हम बातचीत करेंगे, लेकिन बोनस की मांग करेंगे। स्थानीय विधायक ने भी नोटिस लिया है। उन्होंने कहा कि मजदूरों की शिकायत सुनी जाएगी।

यह घटना भारत की कॉर्पोरेट कल्चर पर रोशनी डालती है। दिवाली पर गिफ्ट्स कर्मचारियों को मोटिवेट करते हैं। लेकिन जब अपेक्षाएं पूरी न हों, तो गुस्सा फूट पड़ता है। सोशल मीडिया ने ऐसी घटनाओं को आवाज दी है। पहले ये स्थानीय रहती थीं, अब राष्ट्रीय बहस बन जाती हैं। कुछ यूजर्स ने सुझाव दिया कि कंपनियां पारदर्शी नीति बनाएं। बोनस तय फॉर्मूले पर दें। अन्यथा, ऐसे विरोध बढ़ेंगे। सोन पापड़ी अब सिर्फ मिठाई नहीं, प्रोटेस्ट का सिंबल बन गई।

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