अशोक गहलोत के समर्थक ने कहा ‘डिफेंडर ले लो’, जवाब में बोले- ‘नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है’।

Viral News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत की सादगी और हाजिरजवाबी एक बार फिर चर्चा में है। 27 जुलाई 2025 को....

Jul 29, 2025 - 12:21
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अशोक गहलोत के समर्थक ने कहा ‘डिफेंडर ले लो’, जवाब में बोले- ‘नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है’।
अशोक गहलोत के समर्थक ने कहा ‘डिफेंडर ले लो’, जवाब में बोले- ‘नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है’।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत की सादगी और हाजिरजवाबी एक बार फिर चर्चा में है। 27 जुलाई 2025 को सीकर जिले के खंडेला में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक समर्थक ने उनकी गाड़ी रोककर उनसे ब्लैक डिफेंडर गाड़ी लेने की सलाह दी। समर्थक ने उत्साह में कहा कि गहलोत कई सालों से एक ही पुरानी गाड़ी में घूम रहे हैं, जबकि अन्य नेता हर कुछ महीनों में अपनी गाड़ियां बदल लेते हैं। इस पर गहलोत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अरे भाई, नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है!” उनकी यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग हंस पड़े, और इस मजेदार बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

27 जुलाई 2025 को अशोक गहलोत खंडेला में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे। कार्यक्रम के दौरान उनकी गाड़ी रास्ते में रुकी, और कई समर्थक उनके पास आ गए। इनमें से एक युवक, शंभू दयाल सैनी, जो खंडेला में गवर्नमेंट हॉस्टल के पास चाय की दुकान चलाता है, ने गहलोत से उत्साह में बात शुरू की। उसने कहा, “सर, आप 15 साल से एक ही गाड़ी में घूम रहे हैं। यह गाड़ी अब पुराने फैशन की हो गई है। आप मेरे प्रिय नेता हैं, मेरी हाथ जोड़कर विनती है, अबकी बार ब्लैक डिफेंडर गाड़ी ले लो।”

गहलोत ने पहले तो हंसते हुए पूछा, “डिफेंडर गाड़ी क्या होती है?” समर्थक ने बताया कि यह एक महंगी और आधुनिक एसयूवी है, जो आजकल कई नेताओं के पास होती है। उसने यह भी कहा कि वह रोज गहलोत के काफिले को देखता है और हर बार वही पुरानी सफारी गाड़ी नजर आती है। उसने मजाक में कहा, “नेता तो हर तीन-चार महीने में गाड़ी बदल लेते हैं, लेकिन आप हमेशा इसी गाड़ी में नजर आते हैं। अगली बार जब आप मुख्यमंत्री बनें, तो ब्लैक डिफेंडर में घूमना।”

इस पर गहलोत ने अपनी सादगी भरे अंदाज में जवाब दिया, “यह गाड़ी तो अच्छी है। लाखों लोग इसे इस्तेमाल करते हैं। डिफेंडर तो कुछ ही लोगों के पास होती है। नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है।” उनकी यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग मुस्कुराने लगे। शंभू दयाल ने फिर जोर देकर कहा, “सर, मेरी अपील है, अगली बार डिफेंडर ही लेना।” गहलोत ने हंसते हुए उसका नाम पूछा और उससे कहा कि वह अपनी चाय की दुकान पर अच्छा काम करे। इस पूरी बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और लोग गहलोत की सादगी की तारीफ कर रहे हैं।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने गहलोत की सादगी और उनके जवाब की जमकर तारीफ की। एक एक्स उपयोगकर्ता ने लिखा, “अशोक गहलोत ने 15 साल से एक ही सफारी गाड़ी इस्तेमाल की। समर्थक ने डिफेंडर लेने को कहा, लेकिन उनका जवाब कि ‘नेतागिरी काम से होती है’ दिल जीत लेता है।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “गहलोत साहब की सादगी आज के दिखावे वाले नेताओं के लिए एक सबक है।” न्यूज़ चैनल न्यूज़24 ने अपने एक्स हैंडल पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “पूर्व सीएम अशोक गहलोत की लड़कों ने रोकी गाड़ी ... बोले सर ‘डिफेंडर’ ले लो प्लीज।”

कुछ लोगों ने इस घटना को गहलोत की जनता से जुड़ाव की मिसाल बताया। एक यूजर ने लिखा, “गहलोत साहब की यह खासियत है कि वे रास्ते में रुककर आम लोगों से बात करते हैं। यह वीडियो उनकी सादगी और हाजिरजवाबी का सबूत है।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने मजाक में कहा कि गहलोत को डिफेंडर ले ही लेना चाहिए, क्योंकि उनकी पुरानी गाड़ी अब “युवाओं को अच्छी नहीं लगती।”

अशोक गहलोत लंबे समय से अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। इस घटना से पहले भी, 4 जुलाई 2025 को उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे जयपुर से हिंडौन जाते समय एक बाइक सवार को बिना हेलमेट देखकर रुके थे। उन्होंने युवक को हेलमेट पहनने की सलाह दी थी और कहा था, “लापरवाही मत करो, हेलमेट पहनना जरूरी है।” उस वीडियो को भी लोगों ने खूब सराहा था।

गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए भी सादा जीवन जिया। इस वायरल वीडियो में भी उन्होंने बताया कि वे 15 साल से एक ही सफारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान भी उनके पास थी। उनकी यह सादगी आज के दौर में खास मानी जाती है, जब कई नेता अपनी छवि चमकाने के लिए महंगी गाड़ियों और बड़े काफिलों का सहारा लेते हैं।

  • समर्थक शंभू दयाल सैनी कौन हैं?

वीडियो में गहलोत से बात करने वाले शंभू दयाल सैनी खंडेला के गवर्नमेंट हॉस्टल के पास चाय की दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि वे गहलोत के काफिले को रोज देखते हैं और हर बार उनकी वही पुरानी गाड़ी नजर आती है। शंभू ने मजाक में कहा कि वे गहलोत को मुख्यमंत्री बनने पर फिर मिलेंगे और तब तक वे डिफेंडर गाड़ी ले लें। उनकी इस बात पर गहलोत ने हंसते हुए कहा, “तुम अपनी चाय की दुकान अच्छे से चलाओ, मैं अपनी गाड़ी देख लूंगा।” इस हल्के-फुल्के संवाद ने वहां मौजूद लोगों का मनोरंजन किया।

अशोक गहलोत राजस्थान की राजनीति में एक बड़े नेता हैं। वे तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अपनी जन-केंद्रित नीतियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी सादगी और जनता से सीधा संवाद उनकी ताकत रहा है। इस वीडियो ने एक बार फिर उनकी इस छवि को मजबूत किया। गहलोत ने हमेशा काम को प्राथमिकता दी है, और उनका यह बयान कि “नेतागिरी गाड़ी से नहीं, काम से होती है” उनकी सोच को दर्शाता है।

हालांकि, गहलोत की सादगी को लेकर कुछ आलोचक यह भी कहते हैं कि यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी सादगी और जनता से जुड़ाव उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है।

  • राजनीति में दिखावे का दौर

आज के समय में कई नेता अपनी शक्ति और रुतबे का प्रदर्शन करने के लिए महंगी गाड़ियों, बड़े काफिलों और सुरक्षा घेरे का इस्तेमाल करते हैं। शंभू दयाल ने भी अपने संवाद में कहा कि कई नेता हर तीन-चार महीने में गाड़ी बदल लेते हैं, और डिफेंडर जैसी गाड़ियां आजकल नेताओं के बीच लोकप्रिय हैं। लेकिन गहलोत का जवाब इस बात को दर्शाता है कि वे दिखावे से ज्यादा काम पर यकीन करते हैं।

यह घटना उस समय हुई जब गहलोत खंडेला में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। उनकी गाड़ी रुकने पर समर्थकों की भीड़ जमा हो गई, और यह बातचीत उसी दौरान हुई। गहलोत की यह आदत कि वे रास्ते में रुककर लोगों से बात करते हैं, उनकी जनता से नजदीकी को दिखाती है।

गहलोत के इस तरह के वीडियो पहले भी वायरल हुए हैं। जुलाई 2025 में हिंडौन दौरे के दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे बिना हेलमेट बाइक चला रहे युवकों को रोककर सड़क सुरक्षा की सलाह दे रहे थे। इस तरह की घटनाएं उनकी सादगी और जिम्मेदारी की भावना को दर्शाती हैं।

2022 में भी गहलोत के कुछ वीडियो को लेकर विवाद हुआ था, जब उनके बयानों को एडिट करके गलत तरीके से वायरल किया गया। विश्वास न्यूज़ की जांच में यह साबित हुआ कि वह वीडियो भ्रामक था। इस बार का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से फैला, लेकिन इसकी प्रामाणिकता पर कोई सवाल नहीं उठा।

अशोक गहलोत और उनके समर्थक शंभू दयाल सैनी के बीच हुई यह मजेदार बातचीत न केवल उनकी सादगी को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वे जनता के बीच कितने लोकप्रिय हैं। समर्थक की डिफेंडर गाड़ी लेने की सलाह और गहलोत का जवाब कि “नेतागिरी काम से होती है” ने लोगों का दिल जीत लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और गहलोत की सादगी की मिसाल बन गया है।

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