Special: 'पाकिस्तान जिंदाबाद' पोस्ट पर दो युवकों की गिरफ्तारी,पुलिस के इलाज के बाद मांगी माफी, ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के लगाए नारे। 

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सोशल मीडिया पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे और पाकिस्तानी झंडे की तस्वीरें पोस्ट करने वाले दो युवकों की गिरफ्तारी....

May 25, 2025 - 18:23
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Special: 'पाकिस्तान जिंदाबाद' पोस्ट पर दो युवकों की गिरफ्तारी,पुलिस के इलाज के बाद मांगी माफी, ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के लगाए नारे। 

मुख्य बिंदु:

  • पाकिस्तान जिंदाबाद पोस्ट कर हलचल मचाने की नाकाम कोशिश
  • पुलिस ने तुरंत एक्शन लेकर दोनों का इलाज किया बाद में हिंदुस्तान जिंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। 

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सोशल मीडिया पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे और पाकिस्तानी झंडे की तस्वीरें पोस्ट करने वाले दो युवकों की गिरफ्तारी ने शहर में सनसनी मचा दी। 18 मई 2025 को शुरू हुआ यह विवाद 24 मई तक सुर्खियों में रहा, जब पुलिस की सख्त कार्रवाई के बाद दोनों युवकों, मोहम्मद साजिद और इरफान, ने अपनी गलती स्वीकार की और ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। यह घटना भारत-पाकिस्तान के बीच हाल की तनातनी और पाहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद बढ़े तनाव के बीच सामने आई, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा और सोशल मीडिया पर देशविरोधी गतिविधियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस ने दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और कट्टरपंथी कनेक्शनों की जांच शुरू की। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना, बल्कि सोशल मीडिया पर भी व्यापक प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। बरेली के देवरनिया थाना क्षेत्र के गिर्धरपुर गांव निवासी मोहम्मद साजिद ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें पाकिस्तानी झंडे के साथ ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लिखा था। यह वीडियो भारत-पाकिस्तान के बीच हाल की सैन्य तनातनी और पाहलगाम आतंकी हमले के बाद की संवेदनशील स्थिति में वायरल हो गया। साजिद, जो पेशे से दर्जी है, ने इस पोस्ट में कथित तौर पर भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी कीं। उसी दौरान, एक अन्य युवक इरफान ने भी सोशल मीडिया पर पाकिस्तान समर्थक पोस्ट साझा की, जिसमें उसने देशविरोधी बयान दिए।इन पोस्ट्स को स्थानीय हिंदू संगठन के नेता अनिल शर्मा ने देखा, जिन्होंने तुरंत देवरनिया पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। शिकायत में कहा गया कि ये पोस्ट राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने वाली हैं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों युवकों को 18 मई को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक पूछताछ में साजिद और इरफान ने दावा किया कि उन्होंने यह पोस्ट “गलती से” या “मजाक में” साझा की थी।

गिरफ्तारी के बाद, दोनों युवकों को देवरनिया पुलिस स्टेशन लाया गया, जहां उनकी कथित तौर पर “सख्त पूछताछ” की गई। 24 मई 2025 को पुलिस ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें साजिद और इरफान को ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाते देखा गया। वीडियो में दोनों युवक लंगड़ाते हुए नजर आए और उन्होंने अपनी गलती के लिए माफी मांगी। साजिद ने कहा, “हमने गलती से वह पोस्ट की थी। हम देश के साथ हैं और दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे।” इरफान ने भी इसी तरह की माफी मांगी और देशभक्ति के नारे लगाए। इस वीडियो को पुलिस ने सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया।

देवरनिया थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर दिनेश शर्मा ने बताया, “मोहम्मद साजिद ने पाकिस्तानी झंडे के साथ ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा पोस्ट किया था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा था। शिकायत के आधार पर हमने मामला दर्ज किया और दोनों को गिरफ्तार किया। उनकी माफी और नारे लगाने का वीडियो उनकी गलती स्वीकार करने का सबूत है।” पुलिस ने दोनों के खिलाफ BNS की धारा 351(2) (राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालने) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। X पर एक यूजर ने लिखा, “बरेली पुलिस ने सही समय पर सही कदम उठाया। देश के खिलाफ बोलने वालों को सबक सिखाना जरूरी है।” वहीं, कुछ यूजर्स ने इस कार्रवाई को “दिखावटी” करार देते हुए सवाल उठाए कि क्या पुलिस ने दोनों पर अनुचित दबाव डाला। एक यूजर ने लिखा, “लंगड़ाते हुए माफी मांगना क्या संदेश देता है? पुलिस को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, न कि डर दिखाना।” राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी के स्थानीय नेता अनिल शर्मा ने कहा, “यह घटना दर्शाती है कि कुछ लोग देश के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई स्वागत योग्य है।” दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट्स को रोकने के लिए सरकार को व्यापक नीति बनानी चाहिए।

यह घटना उस समय हुई, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसमें 25 पर्यटक और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा और 10 मई को युद्धविराम पर सहमति बनी। इस संवेदनशील माहौल में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे नारे और पोस्ट्स ने जनता और प्रशासन की तीखी प्रतिक्रिया को भड़काया। हाल के महीनों में, भारत में सोशल मीडिया पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे नारे लगाने या पोस्ट करने के कई मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, 7 मई 2025 को मेरठ में दो युवकों को इंस्टाग्राम पर ऐसी पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह, 9 मई को पुणे में 19 वर्षीय खातिजा शेख को इंस्टाग्राम पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया। इन घटनाओं ने सोशल मीडिया पर देशविरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करने की चुनौती को उजागर किया है।

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साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता ने कहा, “सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री को रोकने के लिए कड़े कानून और तकनीकी निगरानी की जरूरत है। लेकिन साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि युवाओं को सोशल मीडिया के जिम्मेदार उपयोग के लिए जागरूक करना जरूरी है। बरेली में मोहम्मद साजिद और इरफान द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पोस्ट करने की घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को प्रभावित किया, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग और देशविरोधी गतिविधियों पर बहस का विषय बन गई। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और दोनों युवकों की माफी ने स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि संवेदनशील समय में ऐसी गतिविधियां कितना नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और पाहलगाम जैसे आतंकी हमलों के बाद, यह जरूरी है कि समाज और प्रशासन मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। बरेली की इस घटना ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। पहला, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट्स को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को और सतर्क रहने की जरूरत है। दूसरा, युवाओं को देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति शिक्षित करने के लिए स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। तीसरा, पुलिस को अपनी कार्रवाई में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, ताकि जनता का भरोसा बना रहे।

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