Trending: 70 साल के लिव-इन के बाद 95 वर्षीय दूल्हे और 90 वर्षीय दुल्हन ने रचाई शादी, सच्चे प्यार की अनोखी मिसाल। 

राजस्थान के डूंगरपुर जिले के गलंदर गांव में एक ऐसी शादी हुई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि पूरे देश में एक अनोखी प्रेम कहानी के...

Jun 6, 2025 - 10:56
Jun 6, 2025 - 11:03
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Trending: 70 साल के लिव-इन के बाद 95 वर्षीय दूल्हे और 90 वर्षीय दुल्हन ने रचाई शादी, सच्चे प्यार की अनोखी मिसाल। 

4 जून 2025 को राजस्थान के डूंगरपुर जिले के गलंदर गांव में एक ऐसी शादी हुई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि पूरे देश में एक अनोखी प्रेम कहानी के रूप में चर्चा बटोरी। 95 वर्षीय रामा भाई अंगारी और 90 वर्षीय जीवली देवी, जो पिछले 70 साल से लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे थे, ने सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ सात फेरे लिए। इस जोड़े के आठ बच्चे—चार बेटे और चार बेटियां—और उनके नाती-पोते इस शादी के गवाह बने। बच्चों ने अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए पूरे उत्साह के साथ इस समारोह को आयोजित किया, जिसमें गांव वालों ने डीजे की धुनों पर जमकर नृत्य किया।

डूंगरपुर जिले के गलंदर गांव में 4 जून 2025 को रामा भाई अंगारी (95) और जीवली देवी (90) ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के साथ विवाह रचाया। यह जोड़ा पिछले सात दशकों से आदिवासी समाज की 'नाता' प्रथा के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा था। नाता प्रथा, जो राजस्थान और गुजरात के कुछ आदिवासी समुदायों में प्रचलित है, में जोड़े बिना औपचारिक विवाह के एक साथ रहते हैं और परिवार शुरू करते हैं। इस प्रथा के तहत रामा भाई और जीवली देवी ने 70 साल पहले अपना जीवन शुरू किया था और इस दौरान उनके चार बेटे (बाकु अंगारी, शिवराम अंगारी, कांतीलाल अंगारी, और लक्ष्मण अंगारी) और चार बेटियां (सुनीता, अनीता, और दो अन्य) हुए। इन बच्चों की शादियां हो चुकी हैं, और उनके नाती-पोते भी हैं।

इस शादी का विचार तब सामने आया जब रामा भाई और जीवली देवी ने अपने बच्चों के सामने औपचारिक विवाह की इच्छा जताई। उनके बेटे कांतीलाल अंगारी (52) ने बताया कि माता-पिता ने कहा कि वे उम्र के इस पड़ाव पर सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ अपने रिश्ते को औपचारिक रूप देना चाहते हैं। परिवार ने गांव के बुजुर्गों और अन्य सदस्यों से सलाह ली, और सभी ने इस निर्णय का समर्थन किया। 1 जून को हल्दी की रस्म के साथ शादी की तैयारियां शुरू हुईं, और 4 जून को 'बिनोला' समारोह के तहत शादी संपन्न हुई। इस समारोह में गांव में बिंदोरी (बारात) निकाली गई, जिसमें डीजे की धुनों पर परिवार और गांव वाले नाचे। रामा भाई और जीवली देवी ने एक-दूसरे का हाथ थामकर सात फेरे लिए, और इस पल को देखकर सभी की आंखें नम हो गईं।

  • नाता प्रथा

नाता प्रथा राजस्थान और गुजरात के आदिवासी समुदायों, खासकर गरासिया और भील समुदायों में प्रचलित एक परंपरा है। इस प्रथा में पुरुष और महिला बिना औपचारिक विवाह के एक साथ रहते हैं, और उनके रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति मिलती है। यह प्रथा आधुनिक लिव-इन रिलेशनशिप से मिलती-जुलती है, लेकिन इसका आधार सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर टिका है। नाता प्रथा में अक्सर युवा जोड़े एक-दूसरे को 'कोर्टशिप फेयर' जैसे आयोजनों में चुनते हैं, और फिर 'एलोप' करके साथ रहना शुरू करते हैं। इस प्रथा में दहेज की प्रथा नहीं होती, और महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान मिलता है।

रामा भाई और जीवली देवी का रिश्ता इसी प्रथा का हिस्सा था। उनके आठ बच्चों में से चार सरकारी नौकरी में हैं, और दो बहुएं भी सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। यह दर्शाता है कि इस जोड़े ने न केवल अपने परिवार को पाला-पोसा, बल्कि उन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर भी बनाया। उनके बच्चों ने इस शादी को आयोजित करके नाता प्रथा से औपचारिक विवाह की ओर बढ़ने की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की। यह शादी आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के बीच एक सेतु का प्रतीक है।

  • शादी का आयोजन और उत्सव

इस शादी को पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ आयोजित किया गया। 1 जून को हल्दी की रस्म हुई, जिसमें परिवार और गांव की महिलाओं ने रामा भाई और जीवली देवी को हल्दी लगाई। हल्दी समारोह में पीले वस्त्र पहने गए, जो इस रस्म का प्रतीक है। इसके बाद मेहंदी और बिंदोरी जैसे रिवाज निभाए गए। बिंदोरी में बारात निकाली गई, जिसमें गांव वालों के साथ-साथ रामा भाई के बेटे, बेटियां, और नाती-पोते शामिल हुए। डीजे की धुनों पर नृत्य और उत्सव का माहौल पूरे गांव में फैल गया।

शादी के दिन, रामा भाई और जीवली देवी ने गणपति पूजन के साथ समारोह शुरू किया, जो हिंदू विवाह में शुभता का प्रतीक है। मंगल कलश की स्थापना की गई, और पंडित ने वैदिक मंत्रों के साथ सात फेरों की रस्म पूरी की। इस दौरान गांव वालों ने जोड़े को आशीर्वाद दिया, और बच्चों ने अपने माता-पिता की इस नई शुरुआत को उत्सव के रूप में मनाया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और कई न्यूज चैनलों जैसे NDTV, Aaj Tak, और TV9 ने इस अनोखी प्रेम कहानी को कवर किया।

इस शादी ने कई सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। सबसे पहले, यह दर्शाता है कि प्रेम और समर्पण उम्र की सीमाओं से परे है। रामा भाई और जीवली देवी ने 70 साल तक एक-दूसरे का साथ निभाया, आठ बच्चों को पाला, और फिर भी अपने रिश्ते को सामाजिक मान्यता देने का निर्णय लिया। यह आधुनिक समाज के लिए एक प्रेरणा है, जहां लिव-इन रिलेशनशिप को अक्सर सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ता है।

दूसरा, यह शादी नाता प्रथा की सकारात्मक विशेषताओं को उजागर करती है। सामाजिक वैज्ञानिक राजीव गुप्ता के अनुसार, गरासिया समुदाय में दहेज मृत्यु और बलात्कार जैसी घटनाएं कम होती हैं, क्योंकि इस प्रथा में महिलाओं को समान दर्जा दिया जाता है। रामा भाई और जीवली देवी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि नाता प्रथा न केवल रिश्तों को मजबूत करती है, बल्कि सामाजिक समानता को भी बढ़ावा देती है।

तीसरा, इस शादी ने ग्रामीण और शहरी भारत के बीच एक संवाद को जन्म दिया। शहरी क्षेत्रों में लिव-इन रिलेशनशिप को आधुनिकता से जोड़ा जाता है, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि यह प्रथा आदिवासी समुदायों में सदियों से चली आ रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इस जोड़े की प्रशंसा करते हुए इसे “सच्चे प्यार की मिसाल” करार दिया। @GaganPratapMath ने मजाकिया अंदाज में लिखा, “इस कपल को 21 तोपों की सलामी,” जबकि @punjabkesari ने इसे “दिल को छू लेने वाली कहानी” बताया।

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रामा भाई और जीवली देवी की कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और विश्वास किसी भी रिश्ते की नींव होते हैं। उन्होंने न केवल 70 साल तक एक-दूसरे का साथ निभाया, बल्कि अपने बच्चों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया। उनकी शादी इस बात का प्रतीक है कि सामाजिक रीति-रिवाज और व्यक्तिगत इच्छाएं एक साथ चल सकती हैं। यह कहानी उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है, जो लिव-इन रिलेशनशिप को सामाजिक स्वीकृति देने में हिचकिचाते हैं।

इसके अलावा, इस शादी ने परिवार और समुदाय की एकता को भी रेखांकित किया। बच्चों ने अपने माता-पिता की इच्छा को सम्मान दिया और पूरे गांव ने इस उत्सव में हिस्सा लिया। यह दर्शाता है कि सामुदायिक समर्थन और पारिवारिक एकता किसी भी रिश्ते को और मजबूत बना सकती है।

रामा भाई अंगारी और जीवली देवी की शादी एक ऐसी कहानी है, जो प्रेम, समर्पण, और सामाजिक स्वीकृति की ताकत को दर्शाती है। 70 साल के लिव-इन रिलेशनशिप के बाद 95 और 90 साल की उम्र में सात फेरे लेना न केवल एक अनोखा रिकॉर्ड है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सच्चा प्यार समय और उम्र की सीमाओं से परे है।

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