पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा तनाव समाप्त: दोहा में तत्काल सीजफायर पर सहमति, 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में होगी अगली वार्ता।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद ने हाल ही में हिंसक रूप ले लिया था। लेकिन अब एक सकारात्मक मोड़ आया है। कतर के दोहा में
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद ने हाल ही में हिंसक रूप ले लिया था। लेकिन अब एक सकारात्मक मोड़ आया है। कतर के दोहा में आयोजित उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान दोनों देशों ने तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई है। यह समझौता कतर और तुर्की की मध्यस्थता से संभव हुआ। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मौलवी साहिब मुहम्मद याकूब मुजाहिद ने इस पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने और सीमा पर शांति बनाए रखने का वादा किया है। अगली बैठक 25 अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल में होगी, जहां सीजफायर को स्थायी बनाने पर चर्चा होगी। यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
यह समझौता एक सप्ताह से अधिक समय चली हिंसा के बाद आया है। 11 अक्टूबर को अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डक जिले और पाकिस्तान के चमन जिले में सीमा पर गोलीबारी शुरू हुई। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि अफगान तालिबान बलों ने उसके बॉर्डर पोस्ट पर हमला किया। जवाब में पाकिस्तानी सेना ने हवाई हमले किए, जिसमें अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक में कई जगहों पर बमबारी हुई। अफगानिस्तान ने दावा किया कि इन हमलों में कम से कम 21 नागरिक मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी समूहों के ठिकानों पर किए गए थे। इन झड़पों में दोनों पक्षों के दर्जनों सैनिक और नागरिक मारे गए। संयुक्त राष्ट्र ने इस हिंसा की निंदा की और नागरिकों की सुरक्षा की अपील की।
15 अक्टूबर को अस्थायी राहत मिली जब दोनों देशों ने 48 घंटे के सीजफायर पर सहमति जताई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह अफगानिस्तान की मांग पर लागू किया गया। लेकिन यह संघर्षविराम ज्यादा समय नहीं टिका। 17 अक्टूबर को एक आत्मघाती हमले में पाकिस्तान के सात सैनिक मारे गए, जिसे अफगानिस्तान से प्रायोजित बताया गया। इसके बाद पाकिस्तान ने फिर से हवाई हमले किए, जिसमें अफगानिस्तान के अनुसार 10 नागरिक मारे गए। काबुल में विस्फोटों से 5 लोग मारे गए और 40 घायल हुए। इतालवी एनजीओ इमरजेंसी ने बताया कि घायलों में शрапनेल के घाव, चोटें और जलनें थीं। इन घटनाओं ने तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया, जबकि अफगान तालिबान ने पाकिस्तान पर झूठा प्रचार करने और आईएसआईएस जैसे समूहों को समर्थन देने का इल्जाम लगाया।
इस संकट के बीच कतर और तुर्की ने मध्यस्थता की पहल की। 18 अक्टूबर को दोहा में 14 घंटे चली वार्ता के बाद सीजफायर का ऐलान हुआ। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता सीमा पर तनाव समाप्त करने का महत्वपूर्ण कदम है। दोनों देशों ने सभी प्रकार की शत्रुतापूर्ण गतिविधियों जैसे गोलीबारी, हवाई हमले और घुसपैठ को तुरंत रोकने पर सहमति जानी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आसिफ ने एक्स पर पोस्ट किया कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर होने वाले आतंकी हमले तुरंत बंद होंगे। दोनों देश एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करेंगे। अफगान रक्षा मंत्री मुजाहिद ने कहा कि उनके बलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सीजफायर का पालन करें, जब तक दूसरा पक्ष उल्लंघन न करे। यह समझौता स्थानीय समयानुसार आधी रात से प्रभावी हो गया।
दोहा वार्ता में पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री आसिफ के अलावा आईएसआई प्रमुख जनरल आसिम मलिक शामिल हुए। अफगानिस्तान का प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री याकूब के नेतृत्व में था। कतर ने कहा कि दोनों पक्षों ने दीर्घकालिक शांति के लिए संयुक्त तंत्र बनाने पर सहमति जताई है। अनुवर्ती बैठकें होंगी ताकि सीजफायर का पालन सुनिश्चित हो। इस्तांबुल में 25 अक्टूबर को होने वाली अगली वार्ता में कार्यान्वयन के विवरण पर चर्चा होगी। तुर्की ने इसकी मेजबानी की पेशकश की है। संयुक्त राष्ट्र ने इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक है। सऊदी अरब और कतर जैसे क्षेत्रीय शक्तियों ने भी शांति की अपील की थी।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंध हमेशा जटिल रहे हैं। 2640 किलोमीटर लंबी डूरंड लाइन सीमा विवाद का केंद्र है, जिसे अफगानिस्तान मान्यता नहीं देता। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने उम्मीद की थी कि अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे समूहों पर कार्रवाई करेगा। लेकिन हमले बढ़ गए। 2021 से अब तक पाकिस्तान में 3800 से अधिक हताहत हुए। पाकिस्तान ने 200 फ्लैग मीटिंग और 800 औपचारिक विरोध दर्ज किए। अफगानिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान आईएसआईएस-के जैसे समूहों को पनाह देता है। हाल के महीनों में खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हिंसा बढ़ी। टीटीपी ने 2022 में अपना सीजफायर तोड़ा। पाकिस्तान ने अक्टूबर में तालिबान ठिकानों पर हमले किए, जिसमें 88 आतंकी मारे गए। लेकिन अफगानिस्तान ने नागरिक हताहतों का दावा किया।
यह सीजफायर क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण एशिया में आईएस और अल-कायदा जैसे समूह सक्रिय हैं। हिंसा से अस्थिरता बढ़ती। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि गेंद अब अफगानिस्तान के पाले में है। उन्होंने दो शर्तें रखीं: आतंकवाद रोकना और डूरंड लाइन का सम्मान। अफगान प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने कहा कि अफगानिस्तान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन सीमा उल्लंघन बर्दाश्त नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता पिछले प्रयासों से अलग है। 2014-2015 की वार्ताएं तालिबान की भूमिका पर अटकीं। अब चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। निगरानी चुनौतीपूर्ण होगी। दोनों पक्षों को विश्वास बहाल करना होगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं। पत्रकार हामिद मीर ने एक्स पर कहा कि कतर और तुर्की की मध्यस्थता सराहनीय है। कई यूजर्स ने इसे शांति की दिशा में कदम बताया। लेकिन कुछ ने सतर्कता बरतने की सलाह दी। पाकिस्तान ने सीमा पर सुरक्षा बढ़ाई है। अफगानिस्तान ने भी बलों को अलर्ट किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता हो। यह समझौता यदि सफल रहा तो व्यापार और आवागमन सुधरेगा। चमन बॉर्डर क्रॉसिंग बंद था, अब खुल सकता है। दोनों देशों के अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
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