UP IPS Transfers- हरदोई SP नीरज जादौन बने अलीगढ़ SSP, सोनभद्र के अशोक कुमार मीणा को मिली हरदोई की कमान

हरदोई में नीरज जादौन ने 14 जुलाई 2024 को पदभार संभाला। यह तबादला बिजनौर से हुआ था, जब पूर्व SP केशव चंद्र गोस्वामी का 10 महीनों में स्थानांतरण हो गया था। हरदोई में अपराध ग्राफ

Sep 18, 2025 - 13:21
Sep 18, 2025 - 15:25
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UP IPS Transfers- हरदोई SP नीरज जादौन बने अलीगढ़ SSP, सोनभद्र के अशोक कुमार मीणा को मिली हरदोई की कमान
UP IPS Transfers- हरदोई SP नीरज जादौन बने अलीगढ़ SSP, सोनभद्र के अशोक कुमार मीणा को मिली हरदोई की कमान

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को एक और बड़े पुलिस फेरबदल की घोषणा की है। इस बार 16 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं, जिसमें 10 जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) की जगहें बदली गई हैं। इस फेरबदल का सबसे प्रमुख चेहरा हरदोई के वर्तमान SP नीरज कुमार जादौन हैं, जिन्हें अलीगढ़ का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बनाया गया है। उनकी जगह सोनभद्र के SP अशोक कुमार मीणा को हरदोई की कमान सौंपी गई है। यह तबादला त्योहारों के मद्देनजर कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है, जिसमें आजमगढ़, कुशीनगर, देवरिया, अलीगढ़, हरदोई, सोनभद्र, उन्नाव, प्रतापगढ़, अंबेडकरनगर और औरैया जैसे जिलों के कप्तान बदले गए हैं।

यह फेरबदल योगी आदित्यनाथ सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां अपराध नियंत्रण, भ्रष्टाचार पर अंकुश और जनता की शिकायतों के निपटारे पर जोर दिया जा रहा है। हरदोई जिले में यह बदलाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से यहां अपराध की घटनाओं में कमी लाने के प्रयासों के बावजूद कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। नीरज जादौन का कार्यकाल समाप्त होते ही अशोक कुमार मीणा ने जिले की कमान संभाल ली है, जो अपनी मिलनसार छवि और जनसुनवाई पर फोकस के लिए जाने जाते हैं। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं, जिसमें नीरज जादौन के हरदोई कार्यकाल का मूल्यांकन और अशोक कुमार मीणा की पूरी प्रोफाइल शामिल है।

नीरज कुमार जादौन: एक प्रेरणादायक यात्रा से हरदोई की कमान तक

नीरज कुमार जादौन का नाम उत्तर प्रदेश पुलिस में ईमानदारी, सख्ती और जनसेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी जादौन का जन्म 1 जनवरी 1983 को कानपुर में हुआ था। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के नौरेजपुर गांव के निवासी नीरज का परिवार किसान पृष्ठभूमि का है। उनके पिता नरेंद्र सिंह जादौन एक साधारण किसान थे, जबकि मां आशा देवी ने परिवार को संभाला। नीरज सबसे बड़े भाई-बहनों में से एक हैं, और उनके चार अन्य भाई-बहन हैं। बचपन से ही पढ़ाई में तेज नीरज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कानपुर के सरकारी स्कूलों से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आईआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की।

बीटेक के बाद नीरज की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया, जो उनकी प्रेरणादायक कहानी का आधार बना। 2005 में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने नोएडा की एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की। फिर जल्द ही बेंगलुरु की एक बड़ी विदेशी टेलीकॉम कंपनी में उन्हें जगह मिल गई, जहां उनका सालाना पैकेज करीब 22 लाख रुपये था। यह वह दौर था जब नीरज कॉर्पोरेट जगत में चमक रहे थे। लेकिन 6 दिसंबर 2008 को उनके पिता की जमीनी विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय नीरज मात्र 26 साल के थे, और परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। पुलिस की लापरवाही और असंवेदनशीलता से आहत होकर नीरज ने फैसला किया कि वे खुद एक ऐसे अधिकारी बनेंगे जो जनता की आवाज बनें। उन्होंने कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। कई असफलताओं के बाद 2015 में वे आईपीएस बने, जो उनके संघर्ष की सबसे बड़ी जीत थी।

आईपीएस बनने के बाद नीरज की पहली पोस्टिंग अलीगढ़ में हुई, जहां उन्होंने सहायक पुलिस अधीक्षक (एSP) के रूप में काम किया। यहां से उनकी यात्रा शुरू हुई, जो गाजियाबाद देहात, हापुड़ और बिजनौर जैसे जिलों तक फैली। बिजनौर में SP रहते हुए (14 मार्च 2023 से जुलाई 2024 तक) नीरज ने अपनी छाप छोड़ी। 16 महीनों के कार्यकाल में उन्होंने ईमानदार अफसर के रूप में पहचान बनाई। कुख्यात गैंगस्टर आदित्य राणा का एनकाउंटर उनके नेतृत्व में ही हुआ, जिससे जिले में अपराधियों में खौफ फैल गया। रसूखदारों के खिलाफ भी उन्होंने कोई कोताही नहीं बरती। सड़क निर्माण कंपनी के मिक्सिंग प्लांट पर आगजनी जैसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की। इसके अलावा, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 8 पुलिसकर्मियों को रिश्वत के आरोप में जेल भेजा और 110 से अधिक को लापरवाही के लिए निलंबित किया। लोगों की शिकायतों पर सुनवाई और कार्रवाई से वे आम जनता के बीच लोकप्रिय हो गए।

हरदोई में नीरज जादौन ने 14 जुलाई 2024 को पदभार संभाला। यह तबादला बिजनौर से हुआ था, जब पूर्व SP केशव चंद्र गोस्वामी का 10 महीनों में स्थानांतरण हो गया था। हरदोई में अपराध ग्राफ बढ़ रहा था—भ्रष्टाचार, चोरी और लापरवाही के मामले आम थे। नीरज की सख्त छवि को देखते हुए शासन ने उन्हें डायरेक्ट आईपीएस के रूप में तैनात किया। उनके आगमन पर जनता ने स्वागत किया, क्योंकि वे तेज-तर्रार और संवेदनशील अफसर माने जाते हैं।

नीरज जादौन का हरदोई कार्यकाल: उपलब्धियां और चुनौतियां

नीरज जादौन का हरदोई में कार्यकाल (जुलाई 2024 से सितंबर 2025 तक) लगभग 14 महीनों का रहा, जो चुनौतियों भरा लेकिन उपलब्धियों से भरपूर था। जिले में अपराध नियंत्रण उनकी प्राथमिकता थी। आंकड़ों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में चोरी और डकैती जैसे मामलों में 25% की कमी आई। उन्होंने 'ऑपरेशन क्लीन-अप' चलाकर भ्रष्टाचार पर प्रहार किया। कई थानेदारों और पुलिसकर्मियों के तबादले किए, जो राजनीतिक दबाव में थाने हथियाने वाले थे। लाइन हाजिर करने वालों की संख्या 100 से अधिक रही।

जनसुनवाई पर फोकस करते हुए नीरज ने साप्ताहिक जनता दरबार लगाए, जहां सैकड़ों शिकायतें निस्तारित हुईं। एक घटना विशेष रूप से चर्चित रही—दिसंबर 2024 में एक एक्सीडेंट पीड़िता महिला को पुलिस कार्यालय में असुविधा हुई। नीरज ने खुद वीडियो जारी कर माफी मांगी, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुई और उन्हें 'पीड़ितों का अफसर' कहा गया।

माफिया और गैंग्स पर कार्रवाई में भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। हरदोई के संवेदनशील इलाकों में विशेष चेकिंग अभियान चलाए, जिससे हत्या और लूट के प्रयासों में कमी आई। हालांकि, चुनौतियां भी रहीं। जिले की ग्रामीण संरचना और राजनीतिक हस्तक्षेप ने काम कठिन बनाया। कुछ मामलों में स्थानीय दबाव के बावजूद उन्होंने सख्ती बरती। कुल मिलाकर, नीरज का कार्यकाल सफल रहा—लोग उन्हें याद रखेंगे ईमानदारी और कार्रवाई के लिए। अब अलीगढ़ SSP के रूप में वे नई जिम्मेदारी संभालेंगे, जहां अपराध की स्थिति और जटिल है।

अशोक कुमार मीणा: संघर्षपूर्ण सफर से पुलिस की कमान तक

अब बात नए SP अशोक कुमार मीणा की। 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक राजस्थान के टोंक जिले के निवासी हैं। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां आर्थिक तंगी और सामाजिक बाधाएं आम थीं। पिता एक छोटे किसान थे, जबकि मां घर संभालतीं। अशोक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टोंक के सरकारी स्कूलों से पूरी की। पढ़ाई में औसत लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति वाले अशोक ने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री ली। फिर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। कई प्रयासों के बाद 2015 में वे आईपीएस बने, जो उनके संघर्ष की मिसाल है। तैयारी के दौरान उन्होंने पार्ट-टाइम ट्यूशन पढ़ाकर परिवार का सहारा दिया, जो उनकी मेहनत को दर्शाता है।

अशोक की शिक्षा सिर्फ किताबी नहीं, बल्कि व्यावहारिक रही। उन्होंने पुलिस प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सामुदायिक पुलिसिंग पर विशेष फोकस किया। उनकी मिलनसार प्रकृति उन्हें टीम वर्क में माहिर बनाती है। आईपीएस बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग सहारनपुर में SP ग्रामीण के रूप में हुई (2020), जहां उन्होंने ग्रामीण अपराधों पर नियंत्रण किया। यहां उन्होंने महिला सुरक्षा पर विशेष अभियान चलाया, जिससे घरेलू हिंसा के मामलों में 15% कमी आई।

फर्रुखाबाद में SP रहते हुए (दिसंबर 2020 से) अशोक ने जनसुनवाई को मजबूत किया। उन्होंने 'मीणा जनसुनवाई पोर्टल' शुरू किया, जहां लोग ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकें। उनके कार्यकाल में चोरी और भूमि विवाद सुलझाने की दर 80% रही। 21 महीनों के बाद उनका तबादला रामपुर हुआ (2023), जहां उन्होंने सीबीसीआईडी के SP के रूप में भ्रष्टाचार के कई केस सुलझाए। रामपुर में माफिया गतिविधियों पर अंकुश लगाया, जिसके लिए उन्हें प्रशंसा मिली।

शाहजहांपुर में SP (2024) के रूप में अशोक ने लॉ एंड ऑर्डर को मजबूत किया। यहां उन्होंने युवाओं के लिए 'पुलिस-युवा संवाद' कार्यक्रम शुरू किया, जो नशा मुक्ति और रोजगार पर केंद्रित था। सितंबर 2024 में सोनभद्र SP बने, जहां वन क्षेत्रों में अवैध कटाई और खनन पर कार्रवाई की। उनके नेतृत्व में कई बड़े ऑपरेशन सफल हुए। अब हरदोई में तैनाती से उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन उनकी प्राथमिकता जनता की समस्याओं का निपटारा रहेगी।

अशोक की पत्नी एक स्कूल टीचर हैं, और वे दो बच्चों के पिता हैं। उनका शौक किताबें पढ़ना और सामाजिक कार्य है। पूर्व पोस्टिंग्स में उन्होंने हमेशा टीम को प्रेरित किया। हरदोई में वे अपराध कम करने और पुलिस-जनता संबंध सुधारने पर फोकस करेंगे।

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