योगी आदित्यनाथ ने कहा: 2014 से पहले केवल ईद मिलन होते थे, अब होली-दिवाली पर एकता के आयोजन सामाजिक सद्भाव का आधार। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले देश में केवल ईद मिलन जैसे आयोजन होते

Oct 19, 2025 - 12:35
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योगी आदित्यनाथ ने कहा: 2014 से पहले केवल ईद मिलन होते थे, अब होली-दिवाली पर एकता के आयोजन सामाजिक सद्भाव का आधार। 
योगी आदित्यनाथ ने कहा: 2014 से पहले केवल ईद मिलन होते थे, अब होली-दिवाली पर एकता के आयोजन सामाजिक सद्भाव का आधार। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले देश में केवल ईद मिलन जैसे आयोजन होते थे, जबकि सनातन धर्म के त्योहारों पर ऐसे सामूहिक समारोह दुर्लभ थे। अब होली और दिवाली मिलन जैसे कार्यक्रम सामाजिक एकता का मजबूत आधार बन रहे हैं। यह बयान लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में 17 अक्टूबर 2025 को आयोजित दिवाली कार्यकर्ता परिवार मिलन समारोह के दौरान दिया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत करने और विकसित भारत के निर्माण में त्योहारों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने अयोध्या के दीपोत्सव का जिक्र करते हुए बताया कि यह राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा करने का प्रतीक है। यह बयान न केवल राजनीतिक बहस छेड़ रहा है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर केंद्रित है।

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमारे त्योहार और उत्सव ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी घटनाओं से जुड़े हैं, जो समाज को नई दिशा देते हैं। दिवाली कार्यकर्ता परिवार मिलन समारोह को सनातन धर्म की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन एकता को मजबूत करते हैं। योगी जी ने 2014 से पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि देश स्तर पर 2014 तक और उत्तर प्रदेश में 2017 तक केवल ईद मिलन जैसे कार्यक्रम आम थे। सनातन त्योहारों जैसे होली या दिवाली पर बड़े पैमाने पर मिलन समारोह बहुत कम देखने को मिलते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। होली मिलन और दिवाली मिलन सामाजिक सद्भाव और एकता के प्रतीक बन गए हैं। यह परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आया है, जो सुरक्षा, समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में देश को ले जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने अयोध्या के दीपोत्सव की शुरुआत का याद दिलाते हुए बताया कि 2017 में जब उन्होंने इसका खाका तैयार किया, तो लोगों ने सवाल उठाए थे कि दीये जलाने से क्या होगा। लेकिन आज अयोध्या का दीपोत्सव विश्व स्तर पर भारत की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुयायियों का सामूहिक संकल्प राम मंदिर के निर्माण तक पहुंचा। दीपोत्सव के दीये उस संकल्प के प्रतीक बने, जो सदियों से चला आ रहा था। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूत करता है। योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि विकसित भारत के लिए सामाजिक एकता जरूरी है। दिवाली मिलन जैसे कार्यक्रम इस एकता को और सशक्त बनाते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपने आसपास के कमजोर वर्गों के साथ त्योहार मनाएं। हर परिवार कम से कम एक गरीब परिवार को मिठाई, गोबर के दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भेंट करें, ताकि हर घर में दीपावली का प्रकाश पहुंचे।

यह बयान योगी आदित्यनाथ के पिछले कई बयानों से जुड़ता है, जहां उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की है। 2017 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने बार-बार कहा है कि भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में शांति स्थापित की है। पहले सरकारें दंगाइयों और अपराधियों के आगे झुक जाती थीं। त्योहारों के दौरान दंगे भड़क जाते थे, लेकिन अब होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस और गुरु पर्व सभी शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जा रहे हैं। 15 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर रिफिल सब्सिडी वितरण कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि यह सरकार दंगाइयों के आगे नहीं झुकेगी। जो भी दिवाली का मजा खराब करने की कोशिश करेगा, वह जेल के पीछे होगा। उन्होंने समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साधा कि उसके नेता, मंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दंगाइयों के चरणों में लोट जाते थे। त्योहार दंगों और अराजकता को बलि चढ़ा दिए जाते थे। लेकिन भाजपा की दोहरी इंजन सरकार ने पूरे राज्य को एक परिवार की तरह जोड़ा है। कोई जाति, धर्म या रास्ता नहीं पूछा जाता, सबको लाभ मिलता है।

2014 से पहले की स्थिति पर योगी जी ने कई मौकों पर टिप्पणी की है। 2019 में सिद्धार्थनगर के डोमरियागंज में एक सभा में उन्होंने कहा था कि पहले मुहर्रम और ईद पर बिजली मिलती थी, लेकिन होली और दिवाली पर नहीं। बिजली कनेक्शन जाति आधारित होते थे। प्रधानमंत्री मोदी का सबका साथ, सबका विकास का नारा ही इस बदलाव का आधार है। इसी तरह 2018 में विधानसभा में उन्होंने कहा था कि वे हिंदू हैं, इसलिए ईद मनाने की जरूरत नहीं, लेकिन उनकी सरकार ईद को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने में सहयोग करेगी। कानून-व्यवस्था मजबूत करने से राज्य सुरक्षित हो गया है। पहले त्योहारों पर डर का माहौल होता था, अब उत्साह है। मार्च 2025 में गोरखपुर के होली मिलन में उन्होंने कुंभ और होली को सनातन विरोधियों के लिए मजबूत संदेश बताया। सनातन धर्म विभाजित नहीं है, यह तो विभाजन फैलाने वालों की सोच में है। विदेशी आक्रमणों ने त्योहार बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन सनातनियों की आस्था जीती।

दिवाली मिलन समारोह में मुख्यमंत्री ने स्वदेशी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। धनतेरस पर देशी बर्तन, सोना और चांदी खरीदें। घरों के दीये स्थानीय कुम्हारों के बनाए हों, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कारीगरों की। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय और आचार्य शंकराचार्य का उल्लेख किया कि गरीबों के प्रति दया न रखने वाले घर में भगवान नहीं बसते। दीवाली का सच्चा स्वरूप गरीबों की मदद में है। कार्यक्रम में उज्ज्वला योजना के तहत 1.86 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त गैस सिलेंडर वितरित किए गए। 2014 से पहले गैस कनेक्शन के लिए घूस देनी पड़ती थी, लेकिन अब 11 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त कनेक्शन मिले हैं। उत्तर प्रदेश में ही 1.86 करोड़ लाभार्थी हैं। होली और दिवाली पर दो बार मुफ्त रिफिल मिलता है, जो परिवारों का बोझ कम करता है। त्योहार अकेले नहीं, सामूहिक रूप से मनाने चाहिए।

यह बयान राजनीतिक दलों के बीच बहस छेड़ रहा है। विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी ने कहा कि योगी सरकार विभाजनकारी राजनीति कर रही है। लेकिन भाजपा ने इसे सांस्कृतिक जागरण का हिस्सा बताया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि सनातन परंपराओं को पुनर्जीवित करना आवश्यक है। अयोध्या राम मंदिर का निर्माण इसी का परिणाम है। सोशल मीडिया पर यह बयान वायरल हो गया है। हजारों यूजर्स ने इसे शेयर किया, कुछ ने सराहा तो कुछ ने आलोचना की। एक यूजर ने लिखा कि अब सभी त्योहार शांतिपूर्ण हैं, यह उपलब्धि है। दूसरे ने कहा कि पुरानी यादें ताजा हो गईं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिवाली पर सुरक्षा बढ़ा दी है। लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या और कानपुर में सतर्कता बरती जा रही है। कोई भी अराजकता बर्दाश्त नहीं होगी।

योगी आदित्यनाथ का यह बयान उत्तर प्रदेश की बदलती राजनीति को दर्शाता है। 2017 से भाजपा सरकार ने कानून-व्यवस्था सुधारी है। दंगों पर अंकुश लगा, विकास योजनाएं सब तक पहुंचीं। ईद मिलन से दिवाली मिलन तक का सफर एकता का प्रतीक है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह बदलाव स्थायी है? विपक्ष का कहना है कि राजनीतिक बयान सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करते हैं। फिर भी, त्योहारों पर शांति बनी रहना सभी की साझा जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने अंत में सभी को दीवाली की शुभकामनाएं दीं।

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