बिहार विधानसभा चुनाव: कुटुंबा सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ आरजेडी ने उतारा सुरेश पासवान, महागठबंधन में फ्रेंडली फाइट का ऐलान। 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बजते ही महागठबंधन के अंदर घमासान मच गया है। कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को आरजेडी

Oct 18, 2025 - 15:24
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बिहार विधानसभा चुनाव: कुटुंबा सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ आरजेडी ने उतारा सुरेश पासवान, महागठबंधन में फ्रेंडली फाइट का ऐलान। 
बिहार विधानसभा चुनाव: कुटुंबा सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ आरजेडी ने उतारा सुरेश पासवान, महागठबंधन में फ्रेंडली फाइट का ऐलान। 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बजते ही महागठबंधन के अंदर घमासान मच गया है। कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को आरजेडी ने सीधा चुनौती दे दी है। पूर्व मंत्री और आरजेडी के दिग्गज नेता सुरेश पासवान ने लालटेन के प्रतीक पर इस सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह फैसला तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली आरजेडी ने लिया है, जिससे महागठबंधन में कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट होने की संभावना बढ़ गई है। कुटुंबा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है और यहां का चुनाव परिणाम दलित वोट बैंक की दिशा तय करेगा। यह घटना 17 अक्टूबर 2025 को सामने आई जब आरजेडी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की। कांग्रेस ने पहले ही राजेश राम को इस सीट से टिकट दे दिया था, लेकिन सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा न होने के कारण यह टकराव हुआ। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह फ्रेंडली फाइट नहीं बल्कि गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा करने वाली चाल है।

कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र औरंगाबाद जिले में स्थित है जो नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में जाना जाता है। यहां की आबादी में दलित समुदाय का बड़ा हिस्सा है और चुनाव हमेशा जातिगत समीकरणों पर निर्भर करता है। 2020 के चुनाव में राजेश राम ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के शरवण भुइयां को 16,653 वोटों से हराया था। कुल 1,38,825 वोट पड़े थे और मतदान प्रतिशत 52 रहा था। राजेश राम 2015 से इस सीट पर विधायक हैं और बिहार कांग्रेस के चेहरे के रूप में उभरे हैं। वे गौतम बुद्ध के अनुयायी हैं और दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं। उनकी साख मजबूत करने के लिए ही कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। लेकिन अब आरजेडी का यह कदम उन्हें कठघरे में ला खड़ा कर दिया है। सुरेश पासवान भी इस क्षेत्र के पुराने दिग्गज हैं। वे 2005 में आरजेडी से विधायक चुने गए थे और लालू प्रसाद यादव सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पासवान पासवान समुदाय से आते हैं जो दलित वोट का बड़ा हिस्सा रखते हैं।

आरजेडी के प्रवक्ता ने बताया कि सीट बंटवारे की बातचीत लंबी खिंच रही है। कांग्रेस 70 सीटों पर दावा कर रही थी लेकिन आरजेडी ने 61 पर सहमति जताई है। कुटुंबा पर दोनों पार्टियों का पुराना दावा रहा है। आरजेडी का कहना है कि यह फ्रेंडली फाइट होगी जहां दोनों उम्मीदवार मिलकर एनडीए को हराएंगे। सुरेश पासवान ने एक सभा में कहा कि बिहार की कई सीटों पर ऐसी फाइट देखने को मिलेगी जिनमें कुटुंबा भी शामिल है। उन्होंने राजेश राम पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर हो गया है और आरजेडी ही दलितों की सच्ची आवाज है। पासवान ने लालू-राबड़ी काल की योजनाओं का जिक्र किया और कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार फिर से पटरी पर आएगा। दूसरी ओर राजेश राम ने ट्वीट कर कहा कि दलित दबेगा नहीं, झुकेगा नहीं। अब इंकलाब होगा। जय बापू, जय भीम। इस ट्वीट को हजारों लाइक्स मिले और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। राजेश राम ने कहा कि वे अकेले नहीं लड़ेंगे बल्कि पूरे कुटुंबा परिवार के साथ महागठबंधन सरकार बनाने के लिए जुटेंगे।

यह टकराव महागठबंधन की कमजोरी को उजागर करता है। बिहार चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। कुल 243 सीटों पर वोटिंग होगी और 7.4 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे। महागठबंधन में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है जिसे 144 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 58-60 सीटें दी जा रही हैं लेकिन विवाद पांच सीटों पर है। सितंबर 2025 में ही कुटुंबा में कांग्रेस ने महागठबंधन की बैठक बुलाई थी लेकिन आरजेडी के ब्लॉक और जिला अध्यक्षों ने बहिष्कार कर दिया था। सुरेश पासवान ने अलग से रणनीति बैठक की थी। यह घटना गठबंधन की एकता पर सवाल उठाती है। एनडीए ने पहले ही सीट बंटवारा पूरा कर लिया है। भाजपा और जदयू को 101-101 सीटें मिली हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29, राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को छह-छह सीटें। एनडीए ने कुटुंबा से ललन राम को टिकट दिया है जो जदयू से हैं। ललन राम 2010 में जदयू से जीते थे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फ्रेंडली फाइट का नाम देकर वास्तव में वोट कटवाने की कोशिश हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि ऐसी फाइटें अन्य सीटों पर अविश्वास और तोड़फोड़ पैदा करती हैं। एक यूजर ने लिखा कि कुटुंबा में राजेश राम बनाम सुरेश पासवान से एनडीए को फायदा होगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि गठबंधन मजबूत है और सीट बंटवारा जल्द होगा। लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कृष्णा अल्लावरू ने कहा था कि मुख्यमंत्री का चेहरा बिहार की जनता तय करेगी, जिससे आरजेडी नाराज हो गई। आरजेडी तेजस्वी को सीएम फेस बनाना चाहती है। बिहार में जातिगत समीकरण जटिल हैं। कुटुंबा में पासवान, रविदास और मुशहर समुदाय प्रमुख हैं। सुरेश पासवान पासवान वोटों को एकजुट कर सकते हैं जबकि राजेश राम रविदास समुदाय से हैं। एनडीए का ललन राम भी दलित है और ऊपर जातियों का समर्थन ले सकता है।

यह विवाद बिहार की राजनीति को और रोचक बना रहा है। जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने भी रघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिया है। एनडीए विकास और कल्याण योजनाओं पर जोर दे रहा है जबकि महागठबंधन जाति जनगणना और सामाजिक न्याय की बात कर रहा है। भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था मुद्दे प्रमुख हैं। विपक्ष नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है जबकि सत्ताधारी दल जंगलराज की याद दिला रहा है। विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) से मतदाता सूची में बदलाव आया है जिस पर विवाद है। कुटुंबा जैसे क्षेत्रों में नक्सलवाद का इतिहास है लेकिन अब शांति है। सुरेश पासवान ने सभा में कहा कि वे विकास के लिए लड़ेंगे। राजेश राम ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि एकजुट रहें। महागठबंधन की बैठक में यह मुद्दा हल होगा या नहीं, यह देखना बाकी है। फिलहाल यह टकराव गठबंधन की मजबूती पर परीक्षा ले रहा है। बिहार के मतदाता इन समीकरणों को समझेंगे और फैसला लेंगे। चुनाव आयोग ने साफ निर्देश दिए हैं कि फ्रेंडली फाइट में पार्टियां पारदर्शी रहें।

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