इंडिया गेट पर प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन में माओवादी कमांडर हिडमा के समर्थन में नारे: 22 युवाओं की गिरफ्तारी, पुलिस पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल। 

दिल्ली की जहरीली हवा ने एक बार फिर पूरे देश को परेशान कर दिया है। नवंबर 2025 में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया

Nov 25, 2025 - 11:59
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इंडिया गेट पर प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन में माओवादी कमांडर हिडमा के समर्थन में नारे: 22 युवाओं की गिरफ्तारी, पुलिस पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल। 
इंडिया गेट पर प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन में माओवादी कमांडर हिडमा के समर्थन में नारे: 22 युवाओं की गिरफ्तारी, पुलिस पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल। 

दिल्ली की जहरीली हवा ने एक बार फिर पूरे देश को परेशान कर दिया है। नवंबर 2025 में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया। सांस लेना मुश्किल हो गया। बच्चे, बुजुर्ग और आम लोग घरों में कैद हो गए। स्कूलों में हाइब्रिड कक्षाएं चल रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यह हवा कैंसर और सांस की बीमारियों को न्योता दे रही है। इसी संकट के बीच रविवार शाम को इंडिया गेट पर एक प्रदर्शन हुआ। शुरू में यह प्रदूषण के खिलाफ लग रहा था। लोग मास्क लगाकर सड़क पर बैठे। प्लेकार्ड हाथों में थे जिन पर लिखा था कि साफ हवा का अधिकार चाहिए। लेकिन जल्द ही माहौल बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने माओवादी कमांडर माडवी हिडमा के समर्थन में नारे लगाए। हिडमा को हाल ही में आंध्र प्रदेश में एनकाउंटर में मार गिराया गया था। यह घटना देश को हैरान कर गई। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। लोग पूछ रहे हैं कि प्रदूषण का मुद्दा कैसे नक्सली विचारधारा से जुड़ गया।

प्रदर्शन दिल्ली कोऑर्डिनेशन कमिटी फॉर क्लीन एयर और छात्र संगठनों ने बुलाया था। दोपहर चार बजे के आसपास सी-हेक्सागन इलाके में सैकड़ों युवा इकट्ठा हुए। वे सड़क पर धरना दे रहे थे। पुलिस ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इंडिया गेट प्रदर्शन के लिए निर्धारित जगह नहीं है। जंतर मंतर पर अनुमति लेकर प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन युवाओं ने नहीं माना। वे करीब एक घंटे तक सड़क जाम किए रहे। एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ फंस गए। ट्रैफिक रुक गया। पुलिस ने चार बार समझाने की कोशिश की। लेकिन प्रदर्शनकारी बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़े। फिर हंगामा शुरू हो गया। कुछ युवाओं ने पुलिस पर मिर्च स्प्रे छिड़क दिया। तीन से चार पुलिसकर्मियों की आंखों और चेहरे पर चोटें आईं। उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाना पड़ा। घटनास्थल से तीन मिर्च स्प्रे की कैन बरामद हुईं। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें 11 महिलाएं और 11 पुरुष शामिल हैं। ज्यादातर जेएनयू और अन्य कॉलेजों के छात्र बताए जा रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात नारे थे। प्रदर्शनकारियों ने चिल्लाया, माडवी हिडमा अमर रहे। कितने हिडमा मारोगे, हर घर से हिडमा निकलेगा। हिडमा जिंदाबाद। लाल सलाम। एक पोस्टर पर लिखा था, बिरसा मुंडा से माडवी हिडमा तक, जंगलों और पर्यावरण की लड़ाई जारी रहेगी। यह पोस्टर एक युवा के हाथ में था। वीडियो वायरल हो गए। एएनआई और अन्य न्यूज चैनलों ने इन्हें दिखाया। हिडमा कौन था। वह सीपीआई माओइस्ट का शीर्ष कमांडर था। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का निवासी। 1981 में पैदा हुआ। पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी का बटालियन नंबर एक का कमांडर। उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। एनआईए और अन्य एजेंसियां उस को तलाश रही थीं। हिडमा ने 26 से ज्यादा हमले कराए। 2010 का दंतेवाड़ा हमला, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए। 2013 का झिरम घाटी नरसंहार, जिसमें 27 लोग मारे गए, जिनमें कांग्रेस के कई नेता थे। 2017 का सुकमा हमला और 2021 का बीजापुर हमला, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। कुल मिलाकर उसके हमलों में 150 से ज्यादा जवान और नागरिक मारे गए। 18 नवंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के मारे डुमिल्ली जंगल में एनकाउंटर हुआ। हिडमा के साथ उसकी पत्नी माडकम राजे और चार अन्य नक्सली भी मारे गए।

पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में केस पेश किया। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी पूरी तरह तैयार आया थे। उनके पास मिर्च स्प्रे था। नक्सली विचारधारा के नारे लगाए। वीडियो सबूत दिखाए गए। कोर्ट ने पांच युवाओं को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एक नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम। बाकी 17 को तीन दिन की हिरासत। वकीलों ने पुलिस पर अत्याचार का आरोप लगाया। चोटों की तस्वीरें दिखाईं। लेकिन मजिस्ट्रेट ने साफ कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। एफआईआर में सरकारी काम में बाधा, पुलिस पर हमला के अलावा नेशनल इंटीग्रेशन को नुकसान पहुंचाने का धारा 197 भी जोड़ी गई। यह भारतीय न्याय संहिता की नई धारा है। पुलिस ने कहा कि नारे लगाने वालों की पहचान होगी। सख्त कार्रवाई होगी। जांच में कॉलेजों से लोगों को इकट्ठा करने का एंगल भी आएगा।

सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। एक यूजर ने लिखा, ये भटके हुए युवा हैं। इन्हें पढ़ाई लिखाई की जरूरत है। प्रदूषण का मुद्दा उठाना तो ठीक, लेकिन नक्सलियों का समर्थन क्यों। एक अन्य ने कहा, शहरी नक्सल इनके पीछे हैं। प्रदूषण सिर्फ बहाना है। हिडमा के एनकाउंटर का विरोध करने का तरीका। बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, प्रदूषण से ज्यादा मार्क्स और माओ का प्रदूषण इनके दिमाग में है। ये प्रदर्शनजीवी हैं। प्रदूषण मास्क लगाकर आए, लेकिन असली चेहरा दिखा दिया। सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, ये अर्बन नक्सल हैं। प्रदूषण का बहाना बनाकर सरकार को घेरना चाहते थे। कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदर्शन का समर्थन किया। कहा, साफ हवा का अधिकार मांगने पर गला घोंटना गलत है। लेकिन हिडमा नारों पर चुप्पी साध ली। कुछ यूजर्स ने कहा, युवा गुमराह हैं। शिक्षा व्यवस्था में खोट है। जेएनयू जैसे संस्थानों पर सवाल उठे।

दिल्ली में प्रदूषण का संकट गहरा है। हर साल नवंबर-दिसंबर में पराली जलाने, वाहनों के धुएं, निर्माण कार्य और मौसम की वजह से हवा जहरीली हो जाती है। इस बार एक्यूआई 420 तक पहुंचा। सीपीसीबी ने बहुत खराब श्रेणी घोषित की। स्कूल बंद, ऑड-ईवन लागू, निर्माण रुकवाया। लेकिन स्थायी समाधान नहीं। प्रदर्शनकारी कहते थे कि सरकार जड़ से समस्या हल करे। जंगल कटाई रोकें, किसानों को पराली के विकल्प दें। लेकिन हिडमा का जिक्र पर्यावरण से जोड़ना अटपटा लगा। हिडमा आदिवासी इलाकों में सक्रिय था। उसके समर्थक कहते हैं कि वह जंगलों की रक्षा के लिए लड़ रहा था। लेकिन वास्तव में वह हिंसा का प्रतीक था। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे प्रदर्शन पर्यावरण आंदोलन को कमजोर करते हैं। असली मुद्दे दब जाते हैं।

राजनीतिक दलों ने इसे हथियार बनाया। आप सरकार ने कहा कि केंद्र की गलती है। पड़ोसी राज्यों से प्रदूषण आता है। बीजेपी ने दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। प्रदर्शन के बाद सोमवार को इंडिया गेट पर स्मॉग की परत दिखी। एक्यूआई 347 रहा। लोग मास्क पहनकर घूम रहे थे। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों और बुजुर्गों को घर में रहने की सलाह दी। प्रदूषण से सांस, आंखों और त्वचा की समस्याएं बढ़ीं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई।

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