अयोध्या राम मंदिर ध्वजारोहण पर AIMIM नेता वारिस पठान का विवादित बयान, 'वहां मस्जिद थी, कयामत तक रहेगी।
अयोध्या में 25 नवंबर 2025 को राम मंदिर निर्माण के औपचारिक समापन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भव्य ध्वजारोहण समारोह ने पूरे देश
नागपुर। अयोध्या में 25 नवंबर 2025 को राम मंदिर निर्माण के औपचारिक समापन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भव्य ध्वजारोहण समारोह ने पूरे देश को भावुक कर दिया। विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर हजारों भक्तों के बीच भगवा धर्म ध्वज फहराया गया, लेकिन इसी बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता वारिस पठान का विवादास्पद बयान सामने आ गया। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान पठान ने कहा, "हमारा तो आज भी मानना है कि वहां मस्जिद थी, वो है और कयामत तक रहेगी।" उन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस को भारत और लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और राजनीतिक बहस छेड़ दी। भाजपा और अन्य दलों ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ बताया, जबकि AIMIM ने इसे मुस्लिम भावनाओं का प्रतिनिधित्व करार दिया।
राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। प्रधानमंत्री मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर के 191 फुट ऊंचे शिखर पर धर्म ध्वज फहराया। यह ध्वज दाहिना त्रिकोणाकार है, जिसकी ऊंचाई 10 फुट और लंबाई 20 फुट है। इसमें सूर्य का प्रतीक, ओम अक्षर और कोविदार वृक्ष की छवि उकेरी गई है। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। मोदी ने कहा कि यह ध्वजारोहण सनातन धर्म की अमर ज्योति का प्रतीक है और राम राज्य के मूल्यों को मजबूत करेगा। उन्होंने अयोध्या को आध्यात्मिक राजधानी बताते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु यहां आए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में क्रांति आई। समारोह में आदिवासी और वनवासी समुदायों के प्रतिनिधि, राम मंदिर निर्माण के मजदूर और दानदाता भी शामिल हुए, जो कार्यक्रम की समावेशी भावना को दर्शाता है।
अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। उत्तर प्रदेश पुलिस और सशस्त्र सीमा बल ने भारत-नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ा दी थी। सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस सोमेंद्र मीणा ने बताया कि संदिग्ध व्यक्तियों की जांच की गई ताकि कोई आतंकी तत्व न घुसपैठ कर सके। मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन निगरानी और हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात थे। समारोह के दौरान 'जय श्री राम' के नारों से वातावरण गूंज उठा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं, बल्कि नए युग की शुरुआत है। उन्होंने राम मंदिर को सत्य, न्याय और राष्ट्रीय धर्म का प्रतीक बताया। कार्यक्रम के बाद मंदिर के सात मंदिरों, शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर का दर्शन किया गया। यह समारोह जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर निर्माण का अंतिम चरण था। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जिसमें 360 सफेद संगमरमर के स्तंभ हैं।
इसी बीच नागपुर में AIMIM की एक रैली में वारिस पठान ने ध्वजारोहण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "6 दिसंबर 1992 भारत और लोकतंत्र के लिए काला दिन था, जब साजिश के तहत हमारी बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया। हमारा विश्वास है कि वह मस्जिद वहीं रहेगी। प्रधानमंत्री वहां गए और ध्वज फहराया, लेकिन आप किसी एक समुदाय के प्रधानमंत्री नहीं, पूरे देश के हैं।" उन्होंने आगे कहा, "अगर आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे, तो अन्य समुदायों का क्या होगा?" पठान ने मुस्लिम धार्मिक संस्थानों पर हमलों का आरोप लगाया और कहा कि यह साजिश का हिस्सा है। उनका यह बयान एएनआई को दिए साक्षात्कार में दर्ज हुआ, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #WarisPathan और #AyodhyaRamMandir ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने इसे सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाला बताया, जबकि समर्थकों ने इसे ऐतिहासिक सत्य का हवाला दिया।
वारिस पठान AIMIM के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। वे असदुद्दीन ओवैसी के करीबी हैं और अक्सर मुस्लिम मुद्दों पर मुखर रहते हैं। 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उनके बयान ने विवाद खड़ा किया था, जब उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को बंदूकों से लैस होना चाहिए। पठान महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और AIMIM को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में विस्तार देने में भूमिका निभाई। उनका यह बयान राम मंदिर विवाद की पुरानी जड़ों को फिर से छू गया। बाबरी मस्जिद का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा है, जिसे मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था। 1949 में मंदिर के दावेदारों ने मूर्तियां रख दीं, जिससे विवाद बढ़ा। 1992 में कारसेवकों ने मस्जिद तोड़ दी, जिससे देशभर में दंगे भड़क गए और 2000 से अधिक मौतें हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला सुनाया कि विवादित भूमि हिंदुओं को मंदिर के लिए दी जाए, जबकि मुसलमानों को धन्नीपुर में वैकल्पिक स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिले।
इस फैसले के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बना, जिसने मंदिर निर्माण शुरू किया। जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा हुई, और अब ध्वजारोहण से निर्माण पूरा माना गया। AIMIM ने हमेशा इस फैसले का विरोध किया। ओवैसी ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को व्यवस्थित तरीके से छीना गया। पठान का बयान इसी विचारधारा का हिस्सा लगता है। विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी। आम आदमी पार्टी की प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि असली राम राज्य गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण से आएगा। भाजपा ने पठान के बयान की निंदा की। प्रवक्ता ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ऐसे बयान देश की एकता के खिलाफ हैं। सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई। एक यूजर ने लिखा कि इतिहास को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए, जबकि दूसरे ने कहा कि मुस्लिम भावनाओं की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
अयोध्या विवाद ने भारतीय राजनीति को हमेशा प्रभावित किया। 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने आंदोलन शुरू किया, जो भाजपा की उभार का कारण बना। 2019 के फैसले ने विवाद को कानूनी अंत दिया, लेकिन भावनात्मक जख्म बाकी हैं। मंदिर निर्माण से अयोध्या पर्यटन केंद्र बनी। 2024 में 13.55 करोड़ श्रद्धालु आए। धन्नीपुर में मस्जिद निर्माण की योजना है, लेकिन देरी हो रही है। पठान का बयान इस संदर्भ में और संवेदनशील हो गया। पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह हिंदुत्व विचारधारा के तहत मुस्लिम विरासत को मिटाने की कोशिश है। पाकिस्तानी सीनेटर शेरी रहमान ने कहा कि यह भारत को असुरक्षित बना रहा है। भारत ने इसे आंतरिक मामला बताया।
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