दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट: व्हाट्सएप चैट्स से खुले आतंकी मॉड्यूल के राज, डॉक्टरों की साजिश और IM-पाकिस्तान कनेक्शन ने बढ़ाई चिंता।
दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस धमाके में 13 लोगों की जान चली गई
दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस धमाके में 13 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया कि यह एक सुनियोजित आतंकी हमला था, जो फरीदाबाद के एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने अब तक कई गिरफ्तारियां की हैं और कई बड़े खुलासे किए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह निकली कि आरोपी डॉक्टर आदिल अहमद राठेर को पैसे की सख्त जरूरत थी। डिलीट की गई व्हाट्सएप चैट्स से पता चला कि वह लगातार अपनी सैलरी के लिए मैसेज भेज रहा था। जांच में फरीदाबाद मॉड्यूल और पुराने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के बीच कई समानताएं पाई गईं, जो इस साजिश को और गहरा बनाती हैं।
यह घटना 10 नवंबर की शाम को हुई, जब एक ह्युंडई आई20 कार रेड फोर्ट के पास खड़ी थी। कार में अमोनियम नाइट्रेट से भरा विस्फोटक था, जो फरीदाबाद से ही लाया गया था। सूत्रों के अनुसार, कार के मालिक डॉक्टर उमर मोहम्मद (उर्फ उमर उन नबी) ने खुद ही डेटोनेटर दबाया। वह घबरा गया था क्योंकि कुछ घंटे पहले ही उसके साथी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनाई और डॉक्टर आदिल अहमद राठेर को गिरफ्तार कर लिया गया था। फरीदाबाद के धौज गांव में हुई छापेमारी में 2,900 किलोग्राम से ज्यादा विस्फोटक पदार्थ, 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, टाइमर, डेटोनेटर, तारें, रसायन और हथियार बरामद हुए। इनमें एके-47 राइफल और गोली भी शामिल थीं। यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई थी, जो आदिल राठेर की पूछताछ से शुरू हुई।
आदिल राठेर कश्मीर के पुलवामा जिले के काजीगुंड का रहने वाला है। वह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर था। एमडी जनरल मेडिसिन की डिग्री हासिल करने के बाद वह अगस्त 2024 से अनंतनाग में तैनात था। लेकिन 20 अक्टूबर 2024 से वह छुट्टी पर था, ताकि दिल्ली में नीट सुपर स्पेशलिटी परीक्षा की तैयारी कर सके। जांच एजेंसियों को शक तब हुआ जब 27 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के पोस्टर लगाने का सीसीटीवी फुटेज मिला। इसमें आदिल को पहचाना गया। 6 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में उसे गिरफ्तार किया गया। वह सरवोदय अस्पताल में फर्जी नाम से काम कर रहा था। पूछताछ में उसने फरीदाबाद के मॉड्यूल का खुलासा किया। उसके लॉकर से एके-47 राइफल भी बरामद हुई।
आदिल की व्हाट्सएप चैट्स ने जांच को नई दिशा दी। 5 से 9 सितंबर के बीच के डिलीट मैसेज रिकवर किए गए, जिसमें वह फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट से एडवांस सैलरी मांग रहा था। मैसेज में वह बार-बार लिखता है कि उसे पैसे की बेहद जरूरत है। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह पैसा आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुआ। पूरे मॉड्यूल ने 26 लाख रुपये जुटाए थे, जिसमें आदिल ने 8 लाख का योगदान दिया। मुजम्मिल ने 5 लाख, उमर ने 2 लाख, मुजफ्फर ने 6 लाख और लखनऊ के शेख सईद ने 5 लाख दिए। मुजफ्फर आदिल का भाई है, जो अफगानिस्तान भाग गया है। उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो गया है। एनआईए ने आदिल को मॉड्यूल का कोषाध्यक्ष बताया है।
फरीदाबाद का अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब जांच के केंद्र में है। यह यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन से मान्यता प्राप्त है और दिल्ली से करीब 45 किलोमीटर दूर है। यहां मेडिकल कॉलेज में कई आरोपी डॉक्टर काम करते थे। मुजम्मिल अहमद गनाई असिस्टेंट प्रोफेसर था। वह पुलवामा का रहने वाला है और अनंतनाग मेडिकल कॉलेज से पासआउट। अक्टूबर 2024 तक वह अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट था, फिर फरीदाबाद ट्रांसफर हो गया। डॉक्टर शाहीन सईद लखनऊ से है और यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ। इसके अलावा, मुफ्ती इरफान अहमद वागई शोपियां से है, जो एक प्रचारक है। एनआईए ने इन चारों को रिमांड पर लिया है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को भी समन जारी किया गया है, क्योंकि फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं।
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि यह मॉड्यूल जेईएम और अंसार गजवात-उल-हिंद से प्रेरित था, लेकिन आईएम की पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर रहा था। आईएम के फरार ऑपरेटिव मिर्जा शादाब बैग ने 2007 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था। वह 2008 के सीरियल ब्लास्ट्स का आरोपी है और अमोनियम नाइट्रेट से आईईडी बनाने का एक्सपर्ट था। जांच में पाया गया कि फरीदाबाद मॉड्यूल ने भी इसी तरह के रसायन इकट्ठा किए थे। नूह से केमिकल्स, फरीदाबाद से तारें और रिमोट डिवाइस खरीदे गए। एक डीप फ्रीजर में रसायनों को स्टोर किया गया और आटा पीसने वाली मशीन से यूरिया पीसा गया। पाकिस्तानी हैंडलर अफगानिस्तान से संचालित हो रहे थे। एनआईए को शक है कि जेईएम ने आईएम के डोरमेंट नेटवर्क को रिवाइव किया है।
उमर मोहम्मद इस मॉड्यूल का मुख्य सूइसाइड बॉम्बर था। पुलवामा का रहने वाला वह श्रीनगर मेडिकल कॉलेज का मेरिटोरियस स्टूडेंट था। उसने रेडिकल वीडियो बनाए, जिनमें तालिबान और अफगान मुजाहिदीन की तारीफ की गई। वह ऑनलाइन सेशन लेता था, जिसमें सूइसाइड बॉम्बिंग सिखाता था। वह खुद को बुरहान वानी और जाकिर मूसा का उत्तराधिकारी मानता था। मॉड्यूल में आंतरिक कलह भी थी। उमर और मुजफ्फर के बीच पैसे को लेकर झगड़ा हुआ। आदिल की शादी में उमर नहीं आया, क्योंकि विचारधारा और फंडिंग पर मतभेद थे। प्लान दो साल से चल रहा था। वे 32 वाहनों से एक साथ धमाके करने वाले थे, लेकिन गिरफ्तारियों के बाद उमर घबरा गया और समय से पहले कार उड़ा दी।
जांच अब कई राज्यों में फैल गई है। एनआईए ने कनपुर से नौ संदिग्धों को हिरासत में लिया। फरीदाबाद के धौज में सोयब नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, जो उमर को शेल्टर दे रहा था। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने कहा कि यह इंटर-स्टेट मॉड्यूल था, जो कश्मीर से हरियाणा और यूपी तक फैला था। दिल्ली पुलिस ने अमोनियम नाइट्रेट के सोर्स ट्रेस किए। मध्य प्रदेश पुलिस से संपर्क किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई कोताही नहीं बरती जाएगी और सभी अपराधी पकड़े जाएंगे। दिल्ली में हाई अलर्ट है, सिक्योरिटी चेकिंग बढ़ा दी गई है।
इस घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। पढ़े-लिखे डॉक्टरों का रेडिकलाइजेशन चिंताजनक है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की पुरानी आईएम लिंक्स फिर सामने आईं। मॉड्यूल ने खुद फंडिंग की, बिना विदेशी मदद के। लेकिन पाकिस्तानी हैंडलर का रोल साफ है। एनआईए अब जसीर बिलाल वानी जैसे सहयोगियों की तलाश में है, जो ओवरग्राउंड वर्कर था। डीएनए टेस्ट से उमर की पहचान कन्फर्म हुई। उसकी मां और भाई के सैंपल्स एआईआईएमएस लैब में मैच हुए।
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