नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ, नए मंत्रिमंडल में शिक्षित और विविध प्रतिनिधित्व। 

बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण आ गया जब जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को रिकॉर्ड

Nov 21, 2025 - 11:19
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नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ, नए मंत्रिमंडल में शिक्षित और विविध प्रतिनिधित्व। 
नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ, नए मंत्रिमंडल में शिक्षित और विविध प्रतिनिधित्व। 

पटना। बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण आ गया जब जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह पटना के प्रसिद्ध गांधी मैदान में आयोजित किया गया, जहां हजारों की संख्या में समर्थक जमा हुए थे। राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता उपस्थित रहे। यह शपथ एनडीए गठबंधन की प्रचंड जीत के बाद ली गई, जिसमें भाजपा, जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल शामिल हैं।

नीतीश कुमार का यह 10वां कार्यकाल बिहार की राजनीति में एक मील का पत्थर है। वे 2000 से बिहार की सत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। पहले उन्होंने 2000 में पहली बार शपथ ली थी और उसके बाद कई बार गठबंधन बदलते हुए सत्ता संभाली। इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 सीटों में से 202 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। चुनाव परिणाम के तुरंत बाद नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया। शपथ समारोह के दौरान गांधी मैदान में उत्साह का माहौल था। समर्थकों ने नारे लगाए, झंडियां लहराईं और पारंपरिक संगीत की धुनों पर नाचे। सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत कड़ी रखी गई थी, जिसमें हजारों पुलिसकर्मी तैनात थे।

शपथ ग्रहण के साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में नया मंत्रिमंडल भी गठित हो गया। कुल 27 सदस्यीय मंत्रिमंडल में दो उपमुख्यमंत्री, 21 कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री शामिल हैं। भाजपा को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला है, जिसमें 12 सदस्य हैं। जदयू को नौ, एलजेएपी आरवी को दो, एचएएम को एक और आरएलएम को एक स्थान दिया गया। उपमुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने शपथ ली। वे पिछले कार्यकाल में भी इस पद पर थे। सम्राट चौधरी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था, जबकि विजय सिन्हा उपनेता थे। इनके अलावा जदयू से विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, विजेंद्र प्रसाद यादव, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, जमां खान और मदन साहनी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।

भाजपा की ओर से दिलीप जायसवाल, मंगल पांडेय, नितिन नवीन, राम कृपाल यादव, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रमा निषाद, लक्ष्मी देवी चौधरी और सुनील कुमार ने शपथ ग्रहण की। एलजेएपी आरवी से चिराग पासवान के चचेरे भाई कुमार सरोज और रोशन कुमार ने राज्य मंत्री के रूप में पदभार संभाला। एचएएम से संतोष कुमार सुमन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे हैं। आरएलएम से दीपक प्रकाश, जो उपेंद्र कुशवाहा के दामाद हैं, राज्य मंत्री बने। इस मंत्रिमंडल में तीन महिलाएं लेशी सिंह, लक्ष्मी देवी चौधरी और रमा निषाद शामिल हैं। एक मुस्लिम विधायक जमां खान को भी स्थान मिला। यह विविधता एनडीए की सामाजिक समावेशिता को दर्शाती है।

मंत्रिमंडल विस्तार में शिक्षा का भी एक रोचक पहलू उभरकर सामने आया। कई मंत्रियों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है, जो राज्य के विकास के लिए सकारात्मक संकेत देता है। उदाहरण के लिए, जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है। वे सामाजिक न्याय और शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। अशोक चौधरी ने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में अपनी स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी की, उसके बाद पीएचडी की। वे ग्रामीण विकास विभाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इसी तरह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी पीएचडी प्राप्त की है। जायसवाल ने पटना विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक किया और उसके बाद कानून की डिग्री ली। उन्होंने राजनीति शास्त्र में पीएचडी की थी। वे बिहार भाजपा को मजबूत करने में अहम योगदान दे चुके हैं। एचएएम के संतोष कुमार सुमन ने भी उच्च शिक्षा हासिल की है। सुमन ने इग्नू से समाजशास्त्र में एमए और पीएचडी पूरी की। वे युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहते हैं।

इनके विपरीत, मंत्रिमंडल में नारायण प्रसाद सबसे कम शिक्षित सदस्य के रूप में उभरे हैं। वे 10वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने वाले एकमात्र मंत्री हैं। नारायण प्रसाद भाजपा के विधायक हैं और तेली समाज से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जिला परिषद चुनाव से शुरू की थी। 2001 में जिला परिषद चुनाव जीता, 2015 में विधानसभा पहुंचे और 2020 में फिर से जीते। शिक्षा के अभाव के बावजूद वे सामाजिक कार्यों और पार्टी संगठन में सक्रिय रहे। नारायण प्रसाद को पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया है। यह चयन दर्शाता है कि राजनीति में योग्यता और अनुभव शिक्षा से ऊपर है। मंत्रिमंडल में अन्य मंत्रियों की शिक्षा विविध है। उदाहरणस्वरूप, विजय कुमार चौधरी ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली है, जबकि श्रवण कुमार ने चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई की।

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी और कहा कि बिहार का विकास अब नई गति पकड़ेगा। उन्होंने एनडीए सरकार से विकास, शिक्षा और रोजगार पर फोकस करने की अपेक्षा जताई। अमित शाह ने भी संबोधन में बिहार की एकजुटता पर जोर दिया। समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेता भी मौजूद थे। चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के प्रतिनिधित्व पर संतोष जताया। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि यह मंत्रिमंडल बिहार के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है।

अब सारी नजरें पोर्टफोलियो वितरण पर हैं। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही विभागों का आवंटन हो जाएगा। नीतीश कुमार मुख्य रूप से गृह और वित्त विभाग संभालेंगे। पिछले कार्यकाल में उन्होंने कई विकास परियोजनाओं को गति दी थी, जैसे सड़कें, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं। इस बार भी वे विकास को प्राथमिकता देंगे। विपक्षी दलों ने शपथ पर प्रतिक्रिया दी। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता जल्द सच्चाई समझेगी। कांग्रेस ने भी एनडीए सरकार को कटाक्ष किया। लेकिन एनडीए नेताओं का कहना है कि वे जनकल्याण पर काम करेंगे।

यह शपथ ग्रहण बिहार के लिए नई शुरुआत है। राज्य लंबे समय से विकास की राह पर है, लेकिन चुनौतियां बाकी हैं। बाढ़, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा। मंत्रिमंडल में शिक्षित सदस्यों की मौजूदगी से उम्मीद है कि नीतियां अधिक वैज्ञानिक होंगी। नारायण प्रसाद जैसे नेताओं से सामाजिक जुड़ाव मजबूत होगा। कुल मिलाकर, यह सरकार बिहार को आगे ले जाने का वादा करती है। समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि अगले पांच वर्षों में राज्य प्रगति करेगा।

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