मिर्जापुर के डीह गांव में दीवाली सफाई की डांट से नाराज किशोरी मोबाइल टावर पर चढ़ी, पुलिस ने समझा कर उतारा। 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कछवा थाना क्षेत्र के डीह गांव में दीवाली के पावन पर्व से ठीक पहले एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। एक किशोरी अपनी मां की सफाई को लेकर

Oct 18, 2025 - 16:11
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मिर्जापुर के डीह गांव में दीवाली सफाई की डांट से नाराज किशोरी मोबाइल टावर पर चढ़ी, पुलिस ने समझा कर उतारा। 
मिर्जापुर के डीह गांव में दीवाली सफाई की डांट से नाराज किशोरी मोबाइल टावर पर चढ़ी, पुलिस ने समझा कर उतारा। 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कछवा थाना क्षेत्र के डीह गांव में दीवाली के पावन पर्व से ठीक पहले एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। एक किशोरी अपनी मां की सफाई को लेकर लगाई गई फटकार से इतना नाराज हो गई कि वह घर से निकल पड़ी और गांव के पास लगे एक ऊंचे मोबाइल टावर पर चढ़ गई। यह घटना 15 अक्टूबर 2025 को दोपहर के समय की है जब पूरा गांव दीवाली की तैयारियों में जुटा था। स्थानीय लोगों ने लड़की को टावर पर चढ़ते देखा तो हड़बड़ी मच गई। उन्होंने तुरंत परिवार को सूचना दी और कछवा थाने पर फोन किया। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद किशोरी को समझा-बुझाकर सुरक्षित नीचे उतार लिया। सौभाग्य से कोई हादसा नहीं हुआ लेकिन यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई।

डीह गांव मिर्जापुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा ग्रामीण इलाका है जहां ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी और मजदूरी से गुजारा करते हैं। दीवाली का त्योहार नजदीक आते ही घर-घर सफाई का अभियान चल रहा था। किशोरी का नाम प्रियंका बताया जा रहा है जो 16 वर्ष की है। उसके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और मां घर संभालती हैं। परिवार में दो भाई-बहन हैं। प्रियंका दसवीं कक्षा की छात्रा है और गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ती है। दोपहर को जब वह स्कूल से लौटी तो मां ने दीवाली की सफाई के लिए घर को साफ करने को कहा। लेकिन प्रियंका थकान के कारण झिझक गई। मां ने उसे फटकार लगा दी कि घर में काम बंटवारे की बात क्यों नहीं मानती। इससे गुस्से में आकर प्रियंका घर से बाहर निकल गई। वह सीधे गांव के किनारे पर लगे बीएसएनएल के मोबाइल टावर की ओर बढ़ी। टावर की ऊंचाई करीब 50 फुट है और इस पर चढ़ना बेहद खतरनाक है क्योंकि लोहे की सीढ़ियां जंग लगी हुई हैं।

गांव वाले खेतों से लौट रहे थे जब उन्होंने प्रियंका को टावर पर चढ़ते देखा। एक किसान रामू ने बताया कि पहले तो लगा कोई मजाक कर रही है लेकिन जब वह ऊपर पहुंच गई तो सब घबरा गए। लोग चिल्लाने लगे लेकिन प्रियंका ऊपर से रोते हुए चिल्लाई कि अब नीचे नहीं उतरेगी। परिवार वाले दौड़े आए। मां फूट-फूटकर रोने लगी और पिता ने पड़ोसियों से मदद मांगी। किसी ने कछवा थाने पर फोन किया। थाने से एसआई रमेश चंद्र सिंह अपनी टीम के साथ 20 मिनट में मौके पर पहुंचे। इधर गांव में हड़कंप मच गया। महिलाएं मंदिर में जाकर प्रार्थना करने लगीं। पुरुषों ने नीचे से प्रियंका से बात करने की कोशिश की लेकिन वह सुन ही नहीं रही थी। पुलिस ने सबसे पहले टावर के आसपास सर्कल बना दिया ताकि भीड़ न जमा हो। फिर एसआई ने लाउडस्पीकर पर प्रियंका को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बेटी, मां का गुस्सा ठंडा हो गया है, नीचे आ जाओ सब ठीक हो जाएगा। लेकिन प्रियंका रोते हुए बोली कि घर में सबको काम करने दो, मुझे क्यों डांटती हैं।

पुलिस ने प्रियंका की मां को बुलाया और उसके सामने गलती मान ली। मां ने माफी मांगी और कहा कि वह थक गई थी इसलिए गुस्सा हो गया। प्रियंका का बड़ा भाई भी आया और बोला कि बहन, तू नीचे आ तो सही, सब मिलकर सफाई करेंगे। धीरे-धीरे प्रियंका का गुस्सा शांत हुआ। करीब डेढ़ घंटे बाद वह खुद सीढ़ियां उतरने लगी। पुलिस ने नीचे खड़े होकर उसे सहारा दिया। जैसे ही पैर जमीन पर पड़े, मां ने गले लगा लिया। गांव वालों ने तालियां बजाईं। प्रियंका को कोई चोट नहीं आई लेकिन उसके कपड़े गंदे हो गए थे। पुलिस ने परिवार को काउंसलिंग दी और कहा कि बच्चों से बातचीत में धैर्य रखें। थाने पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया क्योंकि यह पारिवारिक मामला था। एसपी मिर्जापुर ने भी इसकी जानकारी ली और थाने को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

यह घटना दीवाली के पहले ही परिवारों के बीच तनाव को उजागर करती है। दीवाली सफाई का महत्व तो है लेकिन इसमें बच्चों को शामिल करते समय उनकी भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि डीह गांव में ऐसे मामले कम ही होते हैं। एक बुजुर्ग ने बताया कि पहले परिवार बड़े होते थे, काम बंट जाता था लेकिन अब छोटे परिवारों में बोझ बढ़ गया है। प्रियंका के भाई ने कहा कि बहन पढ़ने में तेज है लेकिन कभी-कभी जिद्दी हो जाती है। स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि प्रियंका सामान्य छात्रा है लेकिन घर की जिम्मेदारियां उसे परेशान करती हैं। इस घटना के बाद गांव में एक छोटी सी बैठक हुई जहां लोगों ने फैसला लिया कि त्योहारों पर सामूहिक सफाई करेंगे ताकि बोझ किसी एक पर न पड़े। जिला प्रशासन ने भी दीवाली से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया है जिसमें परिवारिक सद्भाव पर जोर दिया जा रहा है।

मिर्जापुर जिला गंगा के किनारे बसा एक धार्मिक स्थल है जहां विंध्याचल मंदिर और अस्कर्त मठ जैसे प्रसिद्ध तीर्थ हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में आधुनिक समस्याएं जैसे मानसिक तनाव बढ़ रही हैं। हाल ही में अप्रैल 2025 में मिर्जापुर के ही एक अन्य गांव में एक लड़के ने पढ़ाई के दबाव में छत से कूदने की कोशिश की थी। पुलिस ने उसे बचा लिया था। इसी तरह जुलाई 2025 में कछवा क्षेत्र में एक महिला ने घरेलू झगड़े पर नहर में कूदने का प्रयास किया। ये घटनाएं बताती हैं कि छोटे-छोटे विवाद बड़ी त्रासदी बन सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण बच्चे भावुक हो जाते हैं। माता-पिता को धैर्य से बात करनी चाहिए। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे मामलों की रिपोर्ट मांगी है। मिर्जापुर के डीएम प्रियंका निरंजन ने कहा कि जिले में काउंसलिंग सेंटर खोले जा रहे हैं।

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