जयपुर के गंगा पोल दरवाजे पर बीजेपी विधायक स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने क्रेन पर चढ़कर की गणपति की पूजा।
Jaipur: राजस्थान की राजधानी, में गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 को बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहर के प्रसिद्ध गंगा पोल दरवाजे पर एक अनोखा नजारा
जयपुर, राजस्थान की राजधानी, में गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 को बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहर के प्रसिद्ध गंगा पोल दरवाजे पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जहां बीजेपी विधायक और हवामहल से विधायक स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने क्रेन पर चढ़कर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की। यह गंगा पोल दरवाजा जयपुर का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है, जिसे शहर का एंट्री पॉइंट भी माना जाता है। इस दरवाजे पर कई साल पहले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की गई थी, ताकि वे शहर और इसके निवासियों की रक्षा करें। इस घटना ने न केवल भक्ति का अनूठा रंग दिखाया, बल्कि लोगों के बीच आस्था और परंपरा को और मजबूत किया।
गंगा पोल दरवाजा जयपुर के पुराने शहर का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाला स्थल है। यह दरवाजा सिटी पैलेस और हवामहल के पास स्थित है और जयपुर की सात दीवारों में से एक का हिस्सा है। मान्यता है कि इस दरवाजे पर स्थापित गणेश मूर्ति शहर को विघ्नों से बचाती है और हर शुभ कार्य से पहले भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन इस मूर्ति की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इस साल स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने इस परंपरा को और खास बनाया। उन्होंने क्रेन की मदद से गंगा पोल दरवाजे पर ऊंचाई पर स्थापित गणेश मूर्ति तक पहुंचकर पूजा की, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।
स्वामी बालमुकुंद आचार्य, जो एक धार्मिक गुरु होने के साथ-साथ बीजेपी के विधायक भी हैं, ने सुबह 11:30 बजे के आसपास यह पूजा की। पूजा का समय शुभ मुहूर्त में चुना गया, जो सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक था। पूजा के लिए क्रेन को विशेष रूप से सजाया गया था, जिसमें फूलों की मालाएं और रंग-बिरंगे कपड़े शामिल थे। स्वामी जी ने क्रेन पर चढ़कर गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराया, चंदन और कुमकुम का तिलक लगाया, और दूर्वा, फूल, मोदक, और लड्डू का भोग अर्पित किया। उन्होंने 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप किया और गणेश चालीसा का पाठ भी किया। पूजा के बाद आरती की गई, जिसमें 'जय गणेश जय गणेश देवा' गाया गया। इस दौरान सैकड़ों भक्तों ने 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारों से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने पूजा के बाद कहा, “गंगा पोल दरवाजे पर गणेश जी की मूर्ति जयपुर के लिए रक्षक का प्रतीक है। यह पूजा शहर की सुख-समृद्धि और शांति के लिए की गई। मैंने क्रेन पर चढ़कर पूजा इसलिए की, ताकि गणपति बप्पा का आशीर्वाद पूरे शहर को मिले।” उन्होंने यह भी बताया कि यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है, लेकिन इस बार उन्होंने खुद इस पूजा को करने का निर्णय लिया ताकि लोगों में आस्था और उत्साह बढ़े। स्थानीय लोगों ने इस अनोखे दृश्य की खूब सराहना की। एक भक्त रमेश शर्मा ने कहा, “स्वामी जी का क्रेन पर चढ़कर पूजा करना बहुत प्रेरणादायक था। यह दृश्य देखकर हमारी आस्था और मजबूत हुई।”
गंगा पोल दरवाजे की यह गणेश मूर्ति करीब 15 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है, जिसके कारण सामान्य रूप से पूजा करना मुश्किल होता है। इसलिए हर साल क्रेन की मदद से इस मूर्ति की विशेष पूजा की जाती है। मूर्ति को मिट्टी और प्राकृतिक सामग्री से बनाया गया है, जो पर्यावरण के अनुकूल है। पूजा के लिए उपयोग की गई सामग्री में गंगाजल, पंचामृत, हल्दी, कुमकुम, सुपारी, लौंग, इलायची, और फूल शामिल थे। स्थानीय प्रशासन ने इस आयोजन के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस और ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए गए थे।
जयपुर में गणेश चतुर्थी का उत्साह केवल गंगा पोल दरवाजे तक सीमित नहीं था। शहर के गढ़ गणेश मंदिर में भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। यह मंदिर अरावली पहाड़ियों पर स्थित है और इसे 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। इस मंदिर में गणेश जी का बाल स्वरूप बिना सूंड के है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो साल के 365 दिनों का प्रतीक मानी जाती हैं। गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर में भी विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया गया।
गंगा पोल दरवाजे की पूजा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें स्वामी बालमुकुंद आचार्य क्रेन पर चढ़कर पूजा करते नजर आए। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “जयपुर में गंगा पोल दरवाजे पर स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने गणपति बप्पा की पूजा कर एक अनोखा उदाहरण पेश किया। यह भक्ति और परंपरा का सुंदर संगम है।” इस आयोजन ने न केवल जयपुर, बल्कि पूरे राजस्थान में चर्चा बटोरी।
जयपुर में गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसमें घरों और पंडालों में गणपति की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। इस दौरान शहर के कई हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भक्ति भजन, और रंगोली प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। गंगा पोल दरवाजे की पूजा ने इस उत्सव को और भी खास बना दिया। स्थानीय निवासी शालिनी जैन ने कहा, “यह पूजा देखकर बहुत अच्छा लगा। स्वामी जी ने क्रेन पर चढ़कर जो भक्ति दिखाई, वह हम सभी के लिए प्रेरणा है।” एक अन्य भक्त गोविंद सिंह ने बताया, “गंगा पोल दरवाजा हमारी आस्था का प्रतीक है। यहां गणपति की पूजा शहर की समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”
यह आयोजन पर्यावरण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देता है। गंगा पोल दरवाजे की गणेश मूर्ति को प्राकृतिक सामग्री से बनाया गया है, जो विसर्जन के समय पानी में आसानी से घुल जाती है। स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने भक्तों से अपील की कि वे प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के बजाय मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करें, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो। उन्होंने कहा, “गणपति बप्पा हमें बुद्धि और समृद्धि देते हैं, लेकिन हमें उनकी पूजा पर्यावरण के अनुकूल तरीके से करनी चाहिए।”
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