लालू परिवार में बढ़ी खटास- तेज प्रताप ने तेजस्वी को सुनाई राम-लक्ष्मण की मर्यादा, कहा- बड़े भाई का सम्मान करें
तेज प्रताप यादव का राजद से निष्कासन जून 2025 में हुआ था। लालू प्रसाद यादव ने उन्हें छह वर्ष के लिए पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया था। कारण बताते हुए लालू ने कहा था कि तेज प्रताप की
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के परिवार की आंतरिक कलह एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से निष्कासित किए गए पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई और राजद के नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। विजयादशमी के अवसर पर दिए गए बयान में तेज प्रताप ने रामायण का हवाला देते हुए कहा कि छोटे भाई को बड़े का सम्मान करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे लक्ष्मण ने भगवान राम का सम्मान किया था। उन्होंने तेजस्वी को नसीहत दी कि उन्हें समझना चाहिए कि कौन राम है और कौन लक्ष्मण। यह बयान परिवार के बीच की दरार को और गहरा करने वाला है, जो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
घटना 2 अक्टूबर 2025 को हुई, जब तेज प्रताप यादव राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण पर थे। पटना से महुआ जाते समय पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह बयान दिया। तेज प्रताप ने कहा, "तेजस्वी छोटे भाई हैं। उन्हें मर्यादा में रहना चाहिए। कौन राम है और कौन लक्ष्मण, यह समझना चाहिए। छोटे भाई को बड़े भाई का सम्मान करना चाहिए।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेजस्वी जो भी कर रहे हैं, वह अपनी बुद्धि और विवेक से कर रहे हैं, लेकिन मर्यादा का पालन जरूरी है। यह बयान रामायण के प्रसंग से लिया गया लगता है, जहां लक्ष्मण ने राम की आज्ञा का पालन किया और उनका पूर्ण सम्मान किया। तेज प्रताप का यह कथन परिवार में बड़े-छोटे के रिश्ते को लेकर उनकी नाराजगी को दर्शाता है।
तेज प्रताप यादव का राजद से निष्कासन जून 2025 में हुआ था। लालू प्रसाद यादव ने उन्हें छह वर्ष के लिए पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया था। कारण बताते हुए लालू ने कहा था कि तेज प्रताप की गतिविधियां पारिवारिक और सार्वजनिक मूल्यों के अनुकूल नहीं हैं। इसके बाद तेज प्रताप ने चुप्पी तोड़ी और परिवार पर साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि कुछ 'जयचंद' जैसे लालची लोग उनके खिलाफ हैं। जयचंद को इतिहास में विश्वासघाती के रूप में जाना जाता है, जो पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ साजिश रचने के लिए कुख्यात है। तेज प्रताप ने कहा था, "मम्मी-पापा आप मेरे लिए सब कुछ हैं, भगवान से बढ़कर। आपका आदेश मेरे लिए सर्वोपरि है।" लेकिन इस बयान के बावजूद परिवार की खटास कम नहीं हुई।
निष्कासन के बाद तेज प्रताप ने अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू की। सितंबर 2025 में उन्होंने 'जनशक्ति जनता दल' नामक नई पार्टी की स्थापना की, जिसका चुनाव चिह्न 'ब्लैक बोर्ड' है। यह पार्टी शिक्षा और सामाजिक न्याय पर जोर देगी, ऐसा उनका दावा है। बिहार चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए वे राज्यभर में दौरा कर रहे हैं। राघोपुर में भ्रमण के दौरान ही उन्होंने तेजस्वी पर यह टिप्पणी की। तेज प्रताप ने कहा कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी, यह दशहरा के बाद घोषित करेंगे। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव का जिक्र किया, जब उन्होंने राजद के खिलाफ स्वतंत्र उम्मीदवार उतारे थे। तेजस्वी ने हाल ही में कहा था कि "हमारी पार्टी के खिलाफ भैया हमेशा उम्मीदवार उतार देते थे।" इस पर तेज प्रताप ने पलटवार किया कि 2020 में क्या हुआ, यह सब जानते हैं।
लालू परिवार की यह कलह कोई नई बात नहीं है। लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक सफर में परिवार हमेशा केंद्र में रहा है। तेज प्रताप 1988 में जन्मे, जबकि तेजस्वी 1989 में। तेज प्रताप हसनपुर से विधायक रह चुके हैं और स्वास्थ्य मंत्री भी बने। लेकिन उनकी विवादास्पद छवि और सोशल मीडिया पोस्ट ने परिवार को परेशान किया। दूसरी ओर, तेजस्वी बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं और वर्तमान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष। वे राजद को मजबूत करने में जुटे हैं। परिवार में बहन मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं, जबकि रोहिणी आचार्य सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। लेकिन तेज प्रताप का निष्कासन ने सबसे ज्यादा झटका दिया। जून में दिए बयान में तेज प्रताप ने कहा था कि परिवार में कुछ लोग उनकी छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। तेजस्वी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि पिता लालू का फैसला पार्टी और बिहार की भलाई के लिए है।
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कई यूजर्स ने इसे परिवारिक ड्रामा बताया, तो कुछ ने राजनीतिक रणनीति कहा। एक यूजर ने लिखा, "लालू परिवार में राम-लक्ष्मण की बहस? बिहार चुनाव में मजा आएगा।" विपक्षी दलों ने चुप्पी साधी है, लेकिन भाजपा और जदयू के नेता इसे राजद की कमजोरी बता रहे हैं। तेज प्रताप ने विजयादशमी पर बिहारवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि रावण कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि हमारी सोच में है। पहले सोच बदलें। इसके अलावा, उन्होंने गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जयंती की भी बधाई दी।
तेज प्रताप ने अन्य मुद्दों पर भी बात की। राहुल गांधी के विदेश दौरे पर उन्होंने कहा कि अगर राहुल को लगता है कि घूमने से सबका भला होगा, तो यह उनका निर्णय है। 'आई लव मोहम्मद' विवाद पर बोले कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। आरएसएस पर निशाना साधा कि इस देश की आजादी में उनका कोई योगदान नहीं। महात्मा गांधी के साथ क्या हुआ, सब जानते हैं। एक रैली में समर्थकों के 'जय श्री राम' नारे पर उन्होंने आपत्ति जताई। कहा कि यह अधूरा है, सीतामढ़ी जानकी की धरती पर 'जय सिया राम' बोलना चाहिए। उन्होंने मिट्टी उठाकर माथे से लगाई और भावुक अपील की। यह वीडियो भी वायरल हुआ।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान बिहार चुनाव को प्रभावित कर सकता है। राजद महागठबंधन का हिस्सा है, जबकि तेज प्रताप की नई पार्टी उम्मीदवार उतार सकती है। इससे वोट विभाजन हो सकता है। लालू परिवार की एकजुटता राजद की ताकत थी, लेकिन अब यह कमजोरी बन रही है। तेजस्वी ने अभी तक इस बयान पर चुप्पी साधी है, लेकिन उनके करीबी कहते हैं कि वे पार्टी को मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं। तेज प्रताप की नई पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य और अध्यात्म पर जोर देगी। वे कहते हैं कि बिहार में बेरोजगारी, गरीबी और पलायन एनडीए सरकार की देन है।
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