उत्तराखंड चार धाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब- संख्या 45 लाख पार, दैनिक दर्शन 13 हजार से अधिक, हेमकुंड साहिब में भी भीड़

चार धाम यात्रा हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण तीर्थयात्राओं में से एक है। यह यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धामों का दौरा है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल हिमा

Sep 27, 2025 - 20:42
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उत्तराखंड चार धाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब- संख्या 45 लाख पार, दैनिक दर्शन 13 हजार से अधिक, हेमकुंड साहिब में भी भीड़
उत्तराखंड चार धाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब- संख्या 45 लाख पार, दैनिक दर्शन 13 हजार से अधिक, हेमकुंड साहिब में भी भीड़

उत्तराखंड में मौसम के सुधरने के साथ चार धाम यात्रा ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई यह पवित्र यात्रा अब 45 लाख श्रद्धालुओं को पार कर चुकी है। लगातार बारिश, खराब मौसम और 5 अगस्त की धराली आपदा के कारण यात्रा कई बार ठप हो गई थी, लेकिन अब राहत मिलने पर दैनिक दर्शन 13 हजार से अधिक हो गए हैं। हेमकुंड साहिब में भी सिख श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। पर्यटन विभाग ने पंजीकरण को अनिवार्य रखा है और शुक्रवार को हरिद्वार-ऋषिकेश में 1480 नए रजिस्ट्रेशन हुए। यह यात्रा न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही है। लेकिन आपदा के सबक को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपायों पर जोर दिया जा रहा है।

चार धाम यात्रा हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण तीर्थयात्राओं में से एक है। यह यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धामों का दौरा है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। इस यात्रा का महत्व आदि शंकराचार्य से जुड़ा है, जिन्होंने इन धामों की स्थापना की। यात्रा का सही क्रम यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ तक जाता है। हर साल अप्रैल-मई में कपाट खुलते हैं और अक्टूबर-नवंबर में बंद हो जाते हैं। 2025 में यमुनोत्री का कपाट 30 अप्रैल को, गंगोत्री 1 मई को, केदारनाथ 5 मई को और बद्रीनाथ 29 मई को खुले। यात्रा का मौसम मई से जून और सितंबर-अक्टूबर में सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि मानसून में भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।

इस साल यात्रा की शुरुआत जोरदार रही। पहले 30 दिनों में ही 16 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। लेकिन जुलाई में भारी बारिश ने सब बिगाड़ दिया। 7 जुलाई को तो एक भी यात्री धाम नहीं पहुंच सका। मानसून के दिनों में दैनिक संख्या कुछ हजार पर सिमट गई। फिर सितंबर के मध्य से मौसम सुधरा। 15 सितंबर के बाद एक हफ्ते में 36 हजार से अधिक यात्री पहुंचे। 21 सितंबर तक बद्रीनाथ धाम में ही 10 लाख दर्शन हो चुके थे। कुल मिलाकर अब तक 45 लाख श्रद्धालु यात्रा कर चुके हैं। यह संख्या पिछले साल से 20 प्रतिशत अधिक है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, दैनिक दर्शन अब 13,000 से ऊपर पहुंच गया है। सबसे ज्यादा भीड़ बद्रीनाथ और केदारनाथ में है, जहां प्रतिदिन 5,000 से अधिक यात्री आ रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री में भी संख्या बढ़ रही है।

मानसून ने यात्रा को कई चुनौतियां दीं। जुलाई-अगस्त में भारी बारिश से सड़कें बंद हो गईं। कई जगह भूस्खलन हुए, जिससे यात्री फंस गए। सबसे बड़ी मार पड़ी 5 अगस्त की धराली आपदा से। उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने या ग्लेशियर झील के फूटने से खीर गंगा नदी उफान पर आ गई। मिट्टी, मलबा और पानी की लहर ने गांव को तबाह कर दिया। धराली गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव है, जहां यात्री रुकते हैं। आपदा में कम से कम 5 लोगों की मौत हुई और 66 से अधिक लापता हैं। 50 से ज्यादा होटल और 40-50 घर बह गए। हर्षिल आर्मी कैंप का हिस्सा और हेलीपैड भी क्षतिग्रस्त हो गया। 11 सैनिक लापता बताए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलीकॉप्टर से गांव का दौरा किया। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आर्मी ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। 190 से अधिक लोगों को बचाया गया। सड़कें क्षतिग्रस्त होने से गंगोत्री मार्ग कई दिनों बंद रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि चार धाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना ने इलाके को कमजोर किया। नदी किनारे अवैध निर्माण ने नुकसान बढ़ाया।

आपदा के बाद यात्रा फिर पटरी पर लौटी। मौसम साफ होने से सड़कें बहाल हो गईं। अब यात्री सुरक्षित पहुंच रहे हैं। लेकिन सबक लिया गया है। सरकार ने स्वास्थ्य निगरानी के लिए ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल चालू किया है। यात्रियों के स्वास्थ्य पैरामीटर ट्रैक किए जा रहे हैं। 37 स्थायी स्वास्थ्य केंद्र मजबूत किए गए। 154 एम्बुलेंस, 17 एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट यूनिट और हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस तैनात हैं। डो플र रडार और ग्लेशियर मॉनिटरिंग से चेतावनी सिस्टम मजबूत हो रहा है। पर्यटन विभाग ने यात्रियों को सलाह दी है कि मौसम अपडेट चेक करें और पंजीकरण कराएं।

हेमकुंड साहिब यात्रा भी जोर पकड़ रही है। यह सिखों का प्रमुख तीर्थ है, जो चमोली जिले में 4,329 मीटर ऊंचाई पर है। 25 मई को कपाट खुले। अब तक 2.23 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। दैनिक संख्या 5,000 तक पहुंच गई है। घंगरिया से 6 किमी कठिन ट्रेक है, लेकिन श्रद्धा से लोग पहुंच रहे हैं। 2024 में 1.83 लाख यात्री आए थे, जो 2019 के रिकॉर्ड 2.40 लाख से कम था। इस साल रिकॉर्ड टूट सकता है। हेमकुंड साहिब चार धाम यात्रा का हिस्सा है। यहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने तपस्या की। लोखपाल सरोवर का दर्शन भी होता है। यात्रा 10 अक्टूबर को बंद होगी। हेलीकॉप्टर सेवा चालू है, लेकिन मानसून में बंद रही। अब फिर शुरू हो गई।

पंजीकरण अनिवार्य है। यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए है। 20 मार्च से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ। अब तक 10 लाख से अधिक हो चुके हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश में 50 काउंटर हैं। शुक्रवार को 1,480 नए रजिस्ट्रेशन हुए। ऑनलाइन पोर्टल registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाकर नाम, मोबाइल, आईडी प्रूफ अपलोड करें। क्यूआर कोड वाला लेटर मिलता है। ऑफलाइन हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून में सेंटर हैं। आधार कार्ड जरूरी है। 12 साल से कम और 65 से ऊपर वालों को मेडिकल सर्टिफिकेट चाहिए। ऐप टूरिस्ट केयर उत्तराखंड से मदद लें। पंजीकरण से भीड़ प्रबंधन, स्वास्थ्य ट्रैकिंग और इमरजेंसी में मदद मिलती है।

यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था का बड़ा स्रोत है। 30 मिलियन पर्यटक आते हैं। लेकिन दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञ इको-फ्रेंडली टूरिज्म की मांग कर रहे हैं। होमस्टे, ग्रीन होटल बढ़ाएं। चार धाम सड़क परियोजना से पहुंच आसान हुई, लेकिन पर्यावरण को नुकसान। 6,000 देवदार के पेड़ काटने का प्रस्ताव विवाद में है। सरकार ने आपदा प्रभावित इलाकों में निर्माण रोक दिया। स्थानीयों को ट्रेनिंग दी जा रही।

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