कर्नाटक: RSS शाखा में भाग लेने पर निलंबित PDO प्रवीण कुमार के सस्पेंशन पर ट्रिब्यूनल ने लगाई रोक, BJP ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध। 

कर्नाटक के रायचूर जिले के सिरवार तालुक में पंचायत विकास अधिकारी (PDO) प्रवीण कुमार केपी के निलंबन पर कर्नाटक राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (KSAT) ने 30 अक्टूबर 2025 को रोक

Oct 31, 2025 - 13:12
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कर्नाटक: RSS शाखा में भाग लेने पर निलंबित PDO प्रवीण कुमार के सस्पेंशन पर ट्रिब्यूनल ने लगाई रोक, BJP ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध। 
कर्नाटक: RSS शाखा में भाग लेने पर निलंबित PDO प्रवीण कुमार के सस्पेंशन पर ट्रिब्यूनल ने लगाई रोक, BJP ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध। 

कर्नाटक के रायचूर जिले के सिरवार तालुक में पंचायत विकास अधिकारी (PDO) प्रवीण कुमार केपी के निलंबन पर कर्नाटक राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (KSAT) ने 30 अक्टूबर 2025 को रोक लगा दी। प्रवीण को 12 अक्टूबर को लिंगासुगुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह के दौरान संगठन की वर्दी पहनकर एक मार्च में भाग लेने के आरोप में 17 अक्टूबर को ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग (RDPR) ने निलंबित कर दिया था। ट्रिब्यूनल की कलबुर्गी बेंच ने इस आदेश को अस्थायी रूप से स्थगित करते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है। यह फैसला भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के कानूनी कार्यालय द्वारा दायर याचिका पर आया, जो प्रवीण के समर्थन में लड़े। भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार का राजनीतिक प्रतिशोध बताया, जबकि विपक्ष ने सरकारी कर्मचारियों की राजनीतिक तटस्थता पर जोर दिया। यह मामला कर्नाटक में RSS की गतिविधियों पर चल रही बहस को नई ऊंचाई दे रहा है, जहां राज्य सरकार ने पहले ही संगठन की शाखाओं पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, जो कोर्ट में रुकी हुई है।

प्रवीण कुमार केपी रायचूर जिले के सिरवार तालुक पंचायत में PDO के पद पर कार्यरत थे। वे भाजपा विधायक मनप्पा डी. वज्जल के व्यक्तिगत सहायक (PA) के रूप में भी काम करते हैं, जो लिंगासुगुर विधानसभा क्षेत्र से हैं। 12 अक्टूबर को RSS के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लिंगासुगुर में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसमें RSS कार्यकर्ताओं ने 'पाठ संचालन' नामक मार्च निकाला, जिसमें प्रवीण भी शामिल हुए। वे RSS की पारंपरिक खाकी हाफ पैंट, सफेद शर्ट और लाठी के साथ दिखे। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। विभाग को इसकी शिकायत मिली, जिसमें कहा गया कि एक सरकारी कर्मचारी का RSS जैसे संगठन में भाग लेना राजनीतिक संलिप्तता दर्शाता है। रायचूर जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने प्रारंभिक जांच की। इसके आधार पर RDPR विभाग की आयुक्त अरुंधति चंद्रशेखर ने 17 अक्टूबर को निलंबन आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि प्रवीण का यह कृत्य कर्नाटक सिविल सर्विसेज (कंडक्ट) रूल्स 2021 के नियम 3 का उल्लंघन है, जो सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक तटस्थता, अखंडता और पद की गरिमा बनाए रखने का निर्देश देता है। निलंबन के दौरान उन्हें निर्वाह भत्ता दिया गया और विभागीय जांच शुरू की गई।

निलंबन आदेश जारी होते ही भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने इसे 'देशभक्ति भावनाओं पर हमला' बताया। उन्होंने कहा कि RSS एक सांस्कृतिक संगठन है, न कि राजनीतिक। सरकारी कर्मचारियों का इसमें भाग लेना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। तेजस्वी सूर्या ने प्रवीण से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि वे खुद ट्रिब्यूनल और कोर्ट में पेश होंगे। सूर्या ने एक्स पर पोस्ट किया कि कई हाईकोर्ट फैसलों में RSS कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने को वैध माना गया है। उन्होंने निलंबन को 'अवैध और राजनीतिक दबाव का परिणाम' कहा। सूर्या के कानूनी कार्यालय ने तुरंत KSAT में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि निलंबन समाचार रिपोर्ट पर आधारित है, जो पूर्वाग्रही है। प्रवीण को परेशान करने का प्रयास है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नावड़गी ने मामले की पैरवी की। ट्रिब्यूनल ने 30 अक्टूबर को सुनवाई के बाद स्टे दे दिया। बेंच ने कहा कि निलंबन प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं हुआ। सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। अगली सुनवाई की तारीख तय की गई।

यह फैसला RSS और कर्नाटक सरकार के बीच तनाव को उजागर करता है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने जुलाई 2025 में RSS शाखाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि RSS को आतंकी संगठन घोषित करने का कोई आधार नहीं। RSS के राष्ट्रीय महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संगठन सांस्कृतिक है और इसमें भाग लेना संवैधानिक अधिकार है। भाजपा ने इसे 'हिंदू विरोधी नीति' बताया। केंद्रीय मंत्री शोभिंद्रा सिद्धारमैया ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। लेकिन विपक्ष ने इसे बदले की कार्रवाई कहा। प्रवीण के निलंबन के बाद बिदर जिले में भी एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों को RSS मार्च में भाग लेने के लिए शो कॉज नोटिस जारी हुए। एक सहायक कुक प्रमोद कुमार को भी निलंबित किया गया। दलित सेना नेताओं की शिकायत पर कार्रवाई हुई। KSAT ने प्रवीण के मामले में स्टे देकर संकेत दिया कि ऐसी कार्रवाइयां मनमानी हैं।

प्रवीण कुमार का मामला कर्नाटक सिविल सर्विसेज नियमों की व्याख्या पर केंद्रित है। नियम 3 कहता है कि कर्मचारी को राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ना वर्जित है। लेकिन RSS को कई कोर्ट ने 'सांस्कृतिक' माना है। 1966 के सुप्रीम कोर्ट फैसले में कहा गया कि RSS कार्यक्रमों में भाग लेना राजनीतिक नहीं। केरल, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के हाईकोर्ट फैसलों का हवाला दिया गया। सूर्या ने कहा कि यह स्टे कांग्रेस सरकार को चेतावनी है कि RSS के राष्ट्र निर्माण के आदर्शों को दबाया नहीं जा सकता। प्रवीण ने ट्रिब्यूनल में कहा कि वे RSS स्वयंसेवक हैं, लेकिन सरकारी काम में कोई पक्षपात नहीं किया। कार्यक्रम सांस्कृतिक था, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। विभाग ने बिना पूछताछ के निलंबन किया, जो गलत है। ट्रिब्यूनल ने इसे स्वीकार किया।

कर्नाटक में RSS की मजबूत पकड़ है। संगठन के शताब्दी वर्ष में पूरे राज्य में कार्यक्रम हो रहे हैं। लिंगासुगुर का मार्च इसका हिस्सा था। प्रवीण जैसे स्थानीय नेता इसमें सक्रिय रहते हैं। निलंबन ने ग्रामीण स्तर पर बहस छेड़ दी। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। विधायक मनप्पा वज्जल ने कहा कि प्रवीण निर्दोष हैं। यह सियासी साजिश है। कांग्रेस सरकार पर आरोप लगा कि वे हिंदू संगठनों को निशाना बना रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि नियम सबके लिए बराबर हैं। लेकिन विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यक तुष्टिकरण बताया। यह मामला 2028 के विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर सकता है। भाजपा RSS कोर वोट बैंक मानती है।

सोशल मीडिया पर मामला वायरल हो गया। एक्स पर, JusticeForPraveenKP ट्रेंड किया। सूर्या के पोस्ट को लाखों व्यूज मिले। एक यूजर ने लिखा कि RSS सांस्कृतिक है, निलंबन गलत। दूसरे ने कहा कि कर्मचारियों को तटस्थ रहना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट फैसले RSS को मजबूत करेंगे। प्रवीण अब ड्यूटी पर लौट सकते हैं। लेकिन जांच जारी रहेगी। यह घटना सरकारी कर्मचारियों के व्यक्तिगत अधिकारों पर सवाल उठाती है। क्या RSS भागीदारी राजनीतिक है? कोर्ट तय करेगा। कर्नाटक में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। बिदर स्कूल स्टाफ को नोटिस मिले। प्रमोद कुमार का निलंबन भी विवादास्पद। KSAT का फैसला न्याय का प्रतीक बनेगा।

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