'लड़की लाओ, पैसे दे दूंगा', सुल्तानपुर डॉक्टर अनिल कुमार पर स्टाफ नर्स का गंभीर आरोप: प्यार की मांग ठुकराने पर दूसरी लड़की लाने को कहा, वायरल ऑडियो से हड़कंप। 

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के लंभुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तत्कालीन अधीक्षक डॉक्टर अनिल कुमार पर उनकी अधीनस्थ स्टाफ नर्स ने यौन उत्पीड़न का गंभीर

Oct 31, 2025 - 13:01
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'लड़की लाओ, पैसे दे दूंगा', सुल्तानपुर डॉक्टर अनिल कुमार पर स्टाफ नर्स का गंभीर आरोप: प्यार की मांग ठुकराने पर दूसरी लड़की लाने को कहा, वायरल ऑडियो से हड़कंप। 
'लड़की लाओ, पैसे दे दूंगा', सुल्तानपुर डॉक्टर अनिल कुमार पर स्टाफ नर्स का गंभीर आरोप: प्यार की मांग ठुकराने पर दूसरी लड़की लाने को कहा, वायरल ऑडियो से हड़कंप। 

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के लंभुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तत्कालीन अधीक्षक डॉक्टर अनिल कुमार पर उनकी अधीनस्थ स्टाफ नर्स ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। डॉक्टर ने फोन पर महिला कर्मी से अपने लिए प्यार की मांग की, जब उसने साफ इनकार कर दिया तो उन्होंने दूसरी लड़की से दोस्ती कराकर उनके पास लाने की बात कही। यहां तक कि इसके लिए पैसे का लालच भी दिया। इस आपत्तिजनक बातचीत का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। पीड़ित नर्स ने 28 अक्टूबर को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को लिखित शिकायत दर्ज कराई। सीएमओ डॉक्टर डीके त्रिपाठी ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। डॉक्टर अनिल कुमार का तबादला अब कादीपुर सीएचसी हो चुका है, लेकिन जांच पूरी होने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यस्थल उत्पीड़न की बढ़ती समस्या को उजागर कर रही है, जहां महिलाएं अक्सर चुप रहने को मजबूर हो जाती हैं।

घटना लंभुआ सीएचसी में डॉक्टर अनिल कुमार की तैनाती के दौरान घटी। डॉक्टर अनिल कुमार (उम्र 42 वर्ष) सुल्तानपुर जिले के मूल निवासी हैं और ग्रामीण विकास एवं स्वास्थ्य विभाग में कई वर्षों से सेवा दे रहे हैं। वे लंभुआ सीएचसी के अधीक्षक थे, जहां स्टाफ नर्स (नाम गोपनीय) सहित करीब 20 स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं। पीड़ित नर्स, जो 28 वर्ष की हैं, पिछले दो वर्षों से वहां तैनात थीं। वे बिहार की मूल निवासी हैं और शादीशुदा हैं। ऑडियो क्लिप के अनुसार, यह बातचीत एक शाम करीब आठ बजे फोन पर हुई। डॉक्टर ने नर्स को कॉल किया और कहा कि वे उनसे प्यार करना चाहते हैं। नर्स ने साफ मना कर दिया और कहा कि वे शादीशुदा हैं, इसलिए यह संभव नहीं। लेकिन डॉक्टर नहीं माने। उन्होंने कहा कि अगर आप नहीं तो कोई दूसरी लड़की ला दो, जो मेरे लिए दोस्ती करे। इसके लिए जो भी पैसा लगेगा, मैं दूंगा। नर्स ने रिकॉर्डिंग ऑन रखी और बाद में इसे सुरक्षित रख लिया। ऑडियो में डॉक्टर की आवाज साफ सुनाई दे रही है, जो अश्लील और दबावपूर्ण लग रही है। नर्स ने बताया कि वे डर गई थीं, लेकिन सबूत होने से हिम्मत जुटाई।

ऑडियो वायरल होने की शुरुआत 29 अक्टूबर को हुई। एक सहकर्मी ने इसे व्हाट्सएप पर शेयर किया, जो तेजी से फैल गया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर, SultanpurDoctorAudio ट्रेंड करने लगा। हजारों यूजर्स ने इसे शेयर किया। एक यूजर ने लिखा कि स्वास्थ्यकर्मी महिलाओं की सुरक्षा कहां है। दूसरे ने कहा कि ऐसे डॉक्टरों को नौकरी से बर्खास्त करो। वायरल क्लिप की लंबाई करीब दो मिनट है, जिसमें डॉक्टर की भाषा स्पष्ट रूप से आपत्तिजनक है। नर्स ने शिकायत में कहा कि डॉक्टर अक्सर दबाव बनाते थे। वे ड्यूटी के दौरान भी अनुचित टिप्पणियां करते। लेकिन इस बार फोन कॉल ने हद पार कर दी। सीएमओ डॉक्टर त्रिपाठी ने 30 अक्टूबर को पत्रकारों से कहा कि शिकायत गंभीर है। हमने तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की समिति बनाई है, जो एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी। अगर आरोप साबित हुए तो विभागीय कार्रवाई होगी, जिसमें निलंबन या बर्खास्तगी शामिल है। उन्होंने कहा कि पीड़ित नर्स की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

यह मामला उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में कार्यस्थल उत्पीड़न की पुरानी समस्या को फिर से सामने ला रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के अनुसार, 2024 में स्वास्थ्य क्षेत्र में 500 से ज्यादा उत्पीड़न शिकायतें दर्ज हुईं। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों का दबदबा ज्यादा होता है, क्योंकि स्टाफ सीमित होता है। पीड़ित नर्स ने कहा कि वे नौकरी छोड़ना नहीं चाहतीं, लेकिन न्याय चाहती हैं। उन्होंने पॉस्को एक्ट के तहत भी केस दर्ज कराने की बात कही। सुल्तानपुर जिला प्रशासन ने एसपी को सूचित किया है। अगर जरूरी हुआ तो पुलिस जांच होगी। डॉक्टर अनिल कुमार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनके तबादले के बाद वे कादीपुर सीएचसी में हैं, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा। सहकर्मियों ने बताया कि वे शांत स्वभाव के लगते थे, लेकिन निजी जीवन में समस्या थी।

सुल्तानपुर जिला पूर्वांचल का हिस्सा है, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं कमजोर हैं। लंभुआ सीएचसी एक ब्लॉक स्तर का केंद्र है, जो करीब 1.5 लाख आबादी की सेवा करता है। यहां डिलीवरी, टीकाकरण और सामान्य इलाज होता है। लेकिन स्टाफ की कमी से तनाव रहता है। पीड़ित नर्स ने शिकायत में कहा कि डॉक्टर अक्सर रात की ड्यूटी पर दबाव बनाते। यह घटना, MeToo हेल्थकेयर अभियान को नई जान दे रही है। सोशल मीडिया पर महिलाएं अपनी कहानियां शेयर कर रही हैं। एक पूर्व नर्स ने लिखा कि मेरे साथ भी ऐसा हुआ, लेकिन चुप रही। एनसीडब्ल्यू ने मामले का संज्ञान लिया और यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि योगी सरकार में महिलाओं की सुरक्षा नामुमकिन। बसपा ने भी जांच की मांग की। लेकिन भाजपा ने कहा कि यह व्यक्तिगत मामला है, विभाग कार्रवाई करेगा। स्थानीय स्तर पर बहस छिड़ी। ग्रामीण महिलाएं अस्पताल जाने से डर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में आंतरिक शिकायत समिति मजबूत होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 2013 के विशाखा गाइडलाइंस के अनुसार, हर संस्थान में पॉस्को समिति होनी चाहिए। लेकिन ग्रामीण केंद्रों में अमल कमजोर। पीड़ित नर्स को काउंसलिंग दी जा रही। उनके परिवार ने समर्थन दिया। वे कहते हैं कि बेटी ने साहस दिखाया।

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