उन्नाव स्कूल में मिड-डे मील विवाद: सहायक शिक्षिका और रसोइयों के बीच मारपीट, वीडियो वायरल होने पर शिक्षिका निलंबित।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शनिवार सुबह एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया। पुरवा ब्लॉक के अंतर्गत आने
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शनिवार सुबह एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया। पुरवा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ऊंचागांव सानी स्थित प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षिका प्रियंका श्रीवास्तव और तीन रसोइयाओं के बीच मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर शुरू हुई कहासुनी इतनी बढ़ गई कि मामला हाथापाई में बदल गया। इस झगड़े के दौरान स्कूल में मौजूद बच्चे डर के मारे इधर-उधर भागने लगे, जबकि अन्य स्टाफ ने किसी तरह दोनों पक्षों को शांत किया। घटना का एक वीडियो किसी ने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जो तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि शिक्षिका और रसोइयाएं एक-दूसरे पर धक्का-मुक्की कर रही हैं, बाल खींच रही हैं और जमीन पर गिराने की कोशिश कर रही हैं। इस घटना के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तत्काल जांच के आदेश दिए और सहायक शिक्षिका को निलंबित कर दिया। हालांकि, झगड़े की पूरी वजह अभी स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय लोगों और स्टाफ के बयानों से पता चलता है कि यह पुरानी दुश्मनी का नतीजा हो सकता है।
घटना शनिवार, एक नवंबर को सुबह करीब दस बजे की बताई जा रही है। ऊंचागांव सानी एक छोटा सा गांव है, जहां यह प्राथमिक विद्यालय करीब 150 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। स्कूल में कुल छह शिक्षक और तीन रसोइयाएं तैनात हैं, जो मिड-डे मील कार्यक्रम के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराती हैं। मिड-डे मील योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चलाई जाती है। इस योजना के तहत बच्चों को चावल, दाल, सब्जी और रोटी जैसा भोजन दिया जाता है, लेकिन कई बार सामग्री की गुणवत्ता को लेकर विवाद होता रहता है। इसी क्रम में ऊंचागांव सानी स्कूल में भी शनिवार को मिड-डे मील की तैयारी के दौरान विवाद शुरू हो गया।
रसोइयाओं प्रज्ञा, मंजू और लक्ष्मी के मुताबिक, सहायक शिक्षिका प्रियंका श्रीवास्तव लंबे समय से मिड-डे मील की सामग्री में गड़बड़ी का आरोप लगाती रहीं। वे कहती हैं कि शिक्षिका अक्सर खाने की मात्रा और गुणवत्ता पर सवाल उठाती थीं और रसोइयों को डांटती-फटकारती थीं। शनिवार को जब रसोइयाएं खाना बना रही थीं, तब शिक्षिका ने चेक किया और कहा कि चावल कम पके हैं तथा सब्जी में नमक कम है। इस पर रसोइयाओं ने सफाई दी कि सामग्री सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार ही इस्तेमाल की गई है। बात बढ़ी तो शिक्षिका ने रसोइया प्रज्ञा को धक्का दे दिया, जिसके बाद प्रज्ञा ने जवाबी कार्रवाई की। मंजू और लक्ष्मी भी बीच-बचाव के नाम पर शामिल हो गईं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक रसोइया शिक्षिका के बाल पकड़कर उन्हें जमीन पर गिराने की कोशिश कर रही है, जबकि शिक्षिका भी हाथ चला रही हैं। झगड़े के शोर से पास की कक्षा में पढ़ रहे बच्चे घबरा गए और कई बच्चे बाहर भाग निकले। स्कूल के प्रधानाध्यापक गया दीन वर्मा और अन्य सहायक शिक्षिका अर्चना देवी ने किसी तरह दोनों पक्षों को अलग किया। अर्चना देवी ने बताया कि हाल ही में उनका हाथ का ऑपरेशन हुआ था, लेकिन फिर भी वे बीच में कूद पड़ीं।
घटना के बाद स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों को जैसे ही पता चला, वे स्कूल पहुंचे और शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। ग्राम प्रधान अतुल कुमार चौधरी ने बताया कि प्रियंका श्रीवास्तव का व्यवहार पहले से ही चर्चा का विषय रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षिका न केवल रसोइयों बल्कि अन्य स्टाफ और यहां तक कि बच्चों के अभिभावकों से भी अभद्रता करती रहीं। चौधरी के अनुसार, 14 अक्टूबर और 21 अगस्त को भी शिक्षिका ने स्कूल में विवाद किया था, जिसकी शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी से की गई थी। ग्राम प्रधान ने बीईओ और बीएसए को एक लिखित प्रार्थना पत्र भेजा था, जिसमें शिक्षिका पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने, छात्र उपस्थिति पंजिका बाहर फेंकने और अन्य शिक्षकों को पढ़ाने से रोकने के आरोप लगाए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षिका के कारण स्कूल की छवि खराब हो रही है और अभिभावक बच्चों को भेजने में हिचकिचा रहे हैं।
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर यह खबर आग की तरह फैल गई। ट्विटर पर कई यूजर्स ने इसे साझा किया और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है, लेकिन यहां तो अखाड़ा बन गया। एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि मिड-डे मील जैसी योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषण देना है, न कि कर्मचारियों के बीच झगड़े का बहाना बनना। वीडियो में दिखने वाली मारपीट की तीव्रता ने लोगों को हैरान कर दिया। इसमें शिक्षिका को जमीन पर गिरते हुए और रसोइयाओं द्वारा डंडे से मारने जैसी घटनाएं दिखाई दे रही हैं। हालांकि, वीडियो का एक हिस्सा ही सामने आया है, इसलिए पूरी सच्चाई का पता लगाना मुश्किल है। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह घटना स्कूल के माहौल को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमिता सिंह को वीडियो मिलते ही उन्होंने तुरंत खंड शिक्षा अधिकारी पुरवा सुरेश सिंह को जांच के लिए स्कूल भेजा। बीईओ ने घटनास्थल पर पहुंचकर दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए। रसोइयाओं ने बताया कि शिक्षिका ने पहले उन्हें मारा, जबकि शिक्षिका का पक्ष है कि रसोइयाओं ने उग्रता दिखाई। जांच रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने सहायक शिक्षिका प्रियंका श्रीवास्तव को तत्काल निलंबित कर दिया और उन्हें पुरवा ब्लॉक रिसोर्स सेंटर में संबद्ध किया। बीएसए ने कहा कि यह कार्रवाई स्कूल के अनुशासन बनाए रखने के लिए की गई है। साथ ही, मामले की गहन जांच हसनगंज बीईओ को सौंपी गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि रसोइयाओं की गलती पाई गई, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। बीएसए के अनुसार, स्कूल स्टाफ ने प्रार्थना पत्र में शिक्षिका पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी पुष्टि की जा रही है।
यह घटना उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती है। मिड-डे मील योजना 1995 से चल रही है और इसका उद्देश्य स्कूलों में नामांकन बढ़ाना तथा कुपोषण कम करना है। लेकिन कई स्कूलों में कर्मचारियों के बीच विवाद, सामग्री की कमी और गुणवत्ता की समस्या बनी रहती है। उन्नाव जिले में ही पिछले साल कई ऐसे मामले सामने आए थे, जहां शिक्षकों ने मिड-डे मील में सड़े चावल मिलने की शिकायत की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से न केवल बच्चों का मनोबल टूटता है, बल्कि शिक्षा का स्तर भी गिरता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी और प्रशिक्षण की कमी भी ऐसी समस्याओं को जन्म देती है। ऊंचागांव सानी जैसे गांवों में जहां साक्षरता दर कम है, वहां ऐसी घटनाएं और भी चिंताजनक हैं।
स्थानीय अभिभावकों ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। एक अभिभावक रामू ने कहा कि उनके बच्चे को स्कूल भेजना अब डर लगता है। वे चाहते हैं कि स्कूल में शांति बनी रहे ताकि बच्चे सुरक्षित पढ़ सकें। एक अन्य अभिभावक सीता देवी ने बताया कि वीडियो देखकर उन्हें झटका लगा। उन्होंने मांग की है कि दोनों पक्षों पर सख्त कार्रवाई हो। ग्राम प्रधान अतुल चौधरी ने कहा कि गांव वाले मिलकर स्कूल की निगरानी करेंगे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। उन्होंने शिक्षा विभाग से अपील की है कि स्कूल में पर्याप्त स्टाफ तैनात किया जाए और नियमित निरीक्षण हो।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिला मजिस्ट्रेट ने भी बीएसए से रिपोर्ट मांगी है। राज्य स्तर पर बेसिक शिक्षा निदेशालय ने निर्देश दिए हैं कि सभी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। निलंबन के बाद प्रियंका श्रीवास्तव ने सफाई दी है कि उनके साथ साजिश रची गई। उन्होंने कहा कि रसोइयाओं ने पहले उन पर हमला किया और वीडियो को गलत तरीके से पेश किया गया। लेकिन जांच में यह बात सामने आई है कि शिक्षिका का व्यवहार पहले से ही विवादास्पद रहा है। स्कूल के अन्य शिक्षकों ने भी शिकायत की है कि वे अक्सर सहकर्मियों से उलझती रहीं।
What's Your Reaction?