अमेरिका-पाकिस्तान संबंध भारत-अमेरिका साझेदारी को प्रभावित नहीं करेंगे: विदेश मंत्री मार्को रूबियो
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने हाल ही में भारत के साथ अमेरिका के मजबूत संबंधों को लेकर आश्वासन दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने हाल ही में भारत के साथ अमेरिका के मजबूत संबंधों को लेकर आश्वासन दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती नजदीकियां नई दिल्ली के साथ अमेरिका की ऐतिहासिक साझेदारी को किसी भी तरह प्रभावित नहीं करेंगी। रूबियो का यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप प्रशासन के तहत पाकिस्तान के साथ रणनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की खबरें भारत में चिंता पैदा कर रही हैं। रूबियो ने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान के साथ संबंध केवल आतंकवाद-रोधी सहयोग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर भी इसे मजबूत बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। लेकिन यह सब भारत के खर्च पर नहीं होगा। उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में जोर देकर कहा, हमारा भारत के साथ रिश्ता गहरा, ऐतिहासिक और बेहद अहम है। पाकिस्तान के साथ हमारी बातचीत भारत के खर्च पर नहीं हो रही।
यह बयान 26 अक्टूबर 2025 को दोहा जाते हुए विमान में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया गया। रूबियो कतर के दौरे पर जा रहे थे और उसके बाद मलेशिया में आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले थे। वहां वे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करने वाले थे। रूबियो ने भारत की कूटनीतिक परिपक्वता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ऐसे देशों से संबंध रखता है, जिनके साथ अमेरिका के संबंध नहीं हैं। यह एक परिपक्व और व्यावहारिक विदेश नीति का हिस्सा है। रूबियो ने माना कि नई दिल्ली को चिंता होना स्वाभाविक है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक तनाव हैं। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि अमेरिका कई देशों से संबंध बनाए रखना चाहता है। पाकिस्तान के साथ अवसर दिख रहा है, जहां हम सामान्य हितों पर काम कर सकते हैं। यह अमेरिका की जिम्मेदारी है कि वह जितने हो सके उतने देशों से जुड़े।
मार्को रूबियो का यह बयान ट्रंप प्रशासन की पाकिस्तान नीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी में पाकिस्तान के साथ संबंधों को नया रूप देने की कोशिश की है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद ट्रंप ने खुद को मध्यस्थ बताते हुए युद्धविराम का दावा किया था। इस्लामाबाद ने इसे स्वीकार किया, जिससे अमेरिका-पाकिस्तान के बीच गर्मजोशी आई। हाल ही में महत्वपूर्ण खनिज खनन और ऊर्जा सहयोग पर समझौते हुए हैं। अमेरिका पाकिस्तान को अफगानिस्तान और चीन के संदर्भ में रणनीतिक साझेदार के रूप में देख रहा है। लेकिन भारत में इसे चिंता का विषय माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाकिस्तान को मजबूत कर सकता है, जो कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के खिलाफ खड़ा होता है। रूबियो ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान से जुड़ाव भारत को कमजोर करने का प्रयास नहीं है।
भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर रूबियो ने विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक मुद्दे हैं, लेकिन यह उनकी मित्रता को प्रभावित नहीं करेगा। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर दबाव डाला है। अमेरिका का कहना है कि भारत का रूस से तेल खरीदना मॉस्को की यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है। इसके चलते भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। रूबियो ने कहा कि जयशंकर से मुलाकात में व्यापार वार्ता होगी। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि भारत हमेशा अमेरिका का प्रमुख सहयोगी रहेगा। दोनों देशों की साझेदारी गहरी है। रूबियो ने भारत को इंडो-पैसिफिक रणनीति का केंद्र बताया। क्वाड समूह में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति परिपक्व है। यह अमेरिका के लिए प्रेरणा है।
ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति में पाकिस्तान को फिर से शामिल करने का कारण कई हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद पाकिस्तान की भूमिका बढ़ गई है। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ सहयोग करे। लेकिन रूबियो ने स्पष्ट किया कि सहयोग व्यापक होगा। आर्थिक स्तर पर महत्वपूर्ण खनिजों का खनन पाकिस्तान में होगा, जो अमेरिका के लिए फायदेमंद है। ऊर्जा क्षेत्र में भी सौदे हो रहे हैं। रूबियो ने कहा कि पाकिस्तान के साथ संबंध जीरो-सुम गेम नहीं है। अमेरिका सभी देशों से जुड़ना चाहता है। लेकिन भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को समझना चाहिए कि अमेरिका की नीति संतुलित है।
भारत में रूबियो के बयान का स्वागत हुआ है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास मजबूत है। जयशंकर ने ट्विटर पर कहा कि आसियान सम्मेलन में रूबियो से उपयोगी बातचीत होगी। भारत सरकार ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर नजर रखी जा रही है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी कूटनीति जारी रखनी चाहिए। पूर्व राजदूत ने कहा कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ जरूरी मानता है। पाकिस्तान का महत्व सीमित है। लेकिन व्यापारिक तनाव को सुलझाना जरूरी है। रूसी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए भारत वैकल्पिक स्रोत ढूंढ रहा है। अमेरिका के साथ बातचीत से समाधान निकलेगा।
दक्षिण एशिया में अमेरिका की नीति जटिल है। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न हैं। 2019 के बालाकोट हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए फटकार लगाई थी। लेकिन ट्रंप की दूसरी पारी में बदलाव आया। ट्रंप ने पाकिस्तान को पुरस्कार दिया, जब इस्लामाबाद ने उनके मध्यस्थता दावे को स्वीकार किया। भारत ने इसे खारिज किया। रूबियो का बयान इस तनाव को कम करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि अमेरिका दोनों देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाए रखेगा। क्वाड और आई2यू2 जैसे मंचों पर भारत-अमेरिका सहयोग बढ़ेगा। रूबियो ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका इसमें निवेश करेगा।
रूबियो का राजनीतिक सफर भी दिलचस्प है। वे फ्लोरिडा के सीनेटर रहे। ट्रंप के करीबी हैं। 2025 में विदेश मंत्री बने। उनकी विदेश नीति अमेरिका फर्स्ट पर आधारित है। लेकिन भारत के प्रति उनका नजरिया सकारात्मक है। उन्होंने कई बार कहा कि भारत लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है। पाकिस्तान के साथ संबंधों को वे अवसरवादी मानते हैं। लेकिन भारत को वे दीर्घकालिक साझेदार। रूबियो ने कहा कि आसियान सम्मेलन में क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता पर भारत-अमेरिका एकजुट रहेंगे।
यह बयान अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाया रहा। इंडिया टुडे, इंडिया टीवी और ब्लूमबर्ग ने प्रमुखता दी। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी। कुछ यूजर्स ने कहा कि अमेरिका संतुलन बनाए रख रहा है। दूसरे बोले कि पाकिस्तान को फायदा न दें। भारत सरकार ने कहा कि संबंध मजबूत हैं। जयशंकर-रूबियो मुलाकात से नई दिशा मिलेगी। व्यापारिक विवाद सुलझेंगे। रूसी तेल पर बात होगी। भारत ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा जरूरी है। अमेरिका को समझना चाहिए।
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