जहरीली हवा फर्टिलिटी की दुश्मन: स्टडीज में खुलासा, वायु प्रदूषण पुरुषों-महिलाओं दोनों के स्पर्म, एग और एम्ब्रायो को नुकसान पहुंचा रहा, जन्म दर में 14% गिरावट। 

तेज रफ्तार जिंदगी में वायु प्रदूषण एक छिपा खतरा बन चुका है। हम जानते हैं कि यह फेफड़ों और दिल की बीमारियां बढ़ाता है, लेकिन हाल की वैज्ञानिक स्टडीज ने एक नया चेहरा

Oct 29, 2025 - 14:04
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जहरीली हवा फर्टिलिटी की दुश्मन: स्टडीज में खुलासा, वायु प्रदूषण पुरुषों-महिलाओं दोनों के स्पर्म, एग और एम्ब्रायो को नुकसान पहुंचा रहा, जन्म दर में 14% गिरावट। 
जहरीली हवा फर्टिलिटी की दुश्मन: स्टडीज में खुलासा, वायु प्रदूषण पुरुषों-महिलाओं दोनों के स्पर्म, एग और एम्ब्रायो को नुकसान पहुंचा रहा, जन्म दर में 14% गिरावट। 

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में वायु प्रदूषण एक छिपा खतरा बन चुका है। हम जानते हैं कि यह फेफड़ों और दिल की बीमारियां बढ़ाता है, लेकिन हाल की वैज्ञानिक स्टडीज ने एक नया चेहरा दिखाया है। जहरीली हवा न केवल श्वसन तंत्र को कमजोर करती है, बल्कि प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर भी गहरा असर डालती है। पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी घटती है, महिलाओं में एग और एम्ब्रायो का विकास बाधित होता है, और कुल मिलाकर जन्म दर में कमी आ रही है। 2025 में आई कई स्टडीज ने इसे साबित किया है। यूरोप, चीन, अमेरिका और ताइवान जैसे देशों के शोध बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5), ऑर्गेनिक कार्बन और अन्य प्रदूषक प्रजनन स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करते हैं। यह समस्या विकासशील देशों में ज्यादा गंभीर है, जहां प्रदूषण स्तर ऊंचा है।

वायु प्रदूषण का असर प्रजनन पर कैसे पड़ता है, यह समझना जरूरी है। हवा में मौजूद महीन कण जैसे पीएम2.5, जो वाहनों के धुएं, फैक्टरियों और जंगलों की आग से निकलते हैं, शरीर में घुसकर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। यह स्ट्रेस डीएनए को नुकसान पहुंचाता है, हार्मोन असंतुलन करता है और कोशिकाओं को कमजोर बनाता है। पुरुषों में यह स्पर्म की संख्या, गतिशीलता और आकार को प्रभावित करता है। महिलाओं में ओवेरियन फंक्शन बिगड़ता है, जो एग की गुणवत्ता और एम्ब्रायो के विकास को रोकता है। एक सिस्टेमेटिक रिव्यू में पाया गया कि प्रदूषण एंडोक्राइन डिसरप्टर्स की तरह काम करता है, जो एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स को बाधित करता है। परिणामस्वरूप, इनफर्टिलिटी का खतरा 10-20% तक बढ़ जाता है।

2025 की सबसे चर्चित स्टडीज में से एक इमरी यूनिवर्सिटी, अमेरिका की रिसर्च है। इसमें 500 महिलाओं के एग डोनर्स और 915 पुरुषों के सैंपल लिए गए, जो 2008 से 2019 तक आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) करवा रहे थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि मां और पिता दोनों की तरफ से प्रदूषण एक्सपोजर एम्ब्रायो के विकास को नुकसान पहुंचाता है। खासकर ऑर्गेनिक कार्बन, जो पीएम2.5 का मुख्य हिस्सा है, एग सर्वाइवल, फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रायो क्वालिटी को 15-20% कम करता है। लीड रिसर्चर ऑड्रे गास्किन्स ने कहा कि गैमेटोजेनेसिस (स्पर्म और एग बनने की प्रक्रिया) के दौरान प्रदूषण का असर स्वतंत्र रूप से बुरा होता है। यह स्टडी आईवीएफ मॉडल का फायदा उठाकर की गई, जहां एक्सपोजर को अलग-अलग मापा जा सका। इससे साबित हुआ कि वाहनों के धुएं और इंडस्ट्रियल प्रोसेस से निकलने वाले कण सीधे प्रजनन कोशिकाओं को टारगेट करते हैं।

यूरोप की एक बड़ी स्टडी ने 657 रीजनल एरियाज पर फोकस किया। 2013 से 2020 तक के डेटा से पता चला कि पीएम2.5 के स्तर में एक स्टैंडर्ड डेविएशन बढ़ने से अगले साल जन्म दर 14.1% और उसके बाद 17.2% गिर जाती है। शोधकर्ताओं ने विंड स्पीड और हीटिंग डेज को इंस्ट्रूमेंटल वेरिएबल्स के रूप में इस्तेमाल किया, जो प्रदूषण को मापने का वैज्ञानिक तरीका है। कम जीडीपी वाले देशों में यह असर ज्यादा गंभीर पाया गया। अन्य प्रदूषक जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड या ओजोन का प्रभाव कम था, लेकिन पीएम पर फोकस जरूरी है। यह स्टडी जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल इकोनॉमिक्स एंड मैनेजमेंट में पब्लिश हुई, जो पर्यावरण नीतियों के लिए महत्वपूर्ण सबूत देती है।

चीन में कामकाजी महिलाओं पर की गई स्टडी ने साफ किया कि वायु प्रदूषण फर्टिलिटी पोटेंशियल को कम करता है। चाइनीज लॉन्गिट्यूडिनल हेल्थ सर्वे (सीएलएचडी) के डेटा से 2025 में पाया गया कि प्रदूषित हवा महिलाओं की फर्टिलिटी इंटेंशन को 20-30% प्रभावित करती है। यहां पैरिटी (बच्चों की संख्या) का नेगेटिव इम्पैक्ट भी देखा गया, जहां हर अतिरिक्त बच्चा फर्टिलिटी को 38% कम करता है। लेकिन प्रदूषण का रोल सबसे बड़ा था। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पर्यावरणीय फैक्टर्स फर्टिलिटी डिसीजन को ड्राइव करते हैं, खासकर डेवलपिंग कंट्रीज में।

ताइवान की पॉपुलेशन-बेस्ड कोहोर्ट स्टडी ने 15-60 साल की महिलाओं पर फोकस किया। लॉन्ग-टर्म एक्सपोजर से इनफर्टिलिटी रिस्क बढ़ता है। पीएम2.5, पीएम10, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सभी जिम्मेदार पाए गए। एक रिव्यू में कहा गया कि ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषण फर्टिलिटी रेट को सिग्निफिकेंटली कम करते हैं। थाईलैंड की स्टडी ने पीएम2.5 और इन्फॉर्मेशन एक्सेस को जोड़ा, पाया कि क्लाइमेट एंग्जायटी फर्टिलिटी डिसीजन को प्रभावित करती है।

पुरानी स्टडीज भी सपोर्ट करती हैं। 2017 की सिस्टेमेटिक रिव्यू में पाया गया कि प्रदूषण ओवरी, फॉलिकल, ओओसाइट, टेस्टिस और स्पर्म को प्रभावित करता है। एनओ2, ओ3, पीएम2.5, डीजल, एसओ2 और ट्रैफिक से जुड़े पॉल्यूटेंट्स फर्टिलिटी को कम करते हैं। 2019 की ईएसएचआरई स्टडी में हाई पॉल्यूशन एरिया में रहने वाली महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व 2-3 गुना कम पाया गया। शॉर्ट-टर्म एक्सपोजर भी आईवीएफ सक्सेस रेट को घटाता है।

भारत में यह समस्या और गंभीर है। दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर 300 से ऊपर रहता है, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के स्टैंडर्ड से 6 गुना ज्यादा है। यहां फर्टिलिटी रेट पहले से ही घटकर 2.0 पर आ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से जुड़ी इनफर्टिलिटी केसेज 15-20% बढ़े हैं। आईवीएफ सेंटर्स में पेशेंट्स रिपोर्ट करते हैं कि सर्दियों में सक्सेस रेट कम होता है।

प्रदूषण के असर को कम करने के उपाय सरल हैं। सबसे पहले, आउटडोर एक्टिविटी कम करें, खासकर हाई पॉल्यूशन डेज पर। एन95 मास्क पहनें, जो पीएम2.5 को 95% फिल्टर करता है। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं, जो हेपा फिल्टर्स वाले चुनें। डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे विटामिन सी, ई और जिंक वाली चीजें शामिल करें, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करती हैं। महिलाओं को फॉलिक एसिड और पुरुषों को जिंक सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। एक्सरसाइज करें, लेकिन इंडोर। फर्टिलिटी प्लानिंग से पहले एयर क्वालिटी चेक करें। गवर्नमेंट को सख्त पॉलिसी अपनानी चाहिए, जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रमोशन और फैक्ट्री एमिशन कंट्रोल।

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