श्रीकाकुलम मंदिर भगदड़: आयोजकों की गंभीर लापरवाही सामने आई, बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एकादशी के पवित्र पर्व पर कासिबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दर्दनाक हादसा हो गया। भारी भीड़ के दबाव में रेलिंग टूटने से भगदड़ मच

Nov 2, 2025 - 18:00
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श्रीकाकुलम मंदिर भगदड़: आयोजकों की गंभीर लापरवाही सामने आई, बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
श्रीकाकुलम मंदिर भगदड़: आयोजकों की गंभीर लापरवाही सामने आई, बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एकादशी के पवित्र पर्व पर कासिबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दर्दनाक हादसा हो गया। भारी भीड़ के दबाव में रेलिंग टूटने से भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। ज्यादातर मृतक महिलाएं और एक बच्चा है। इस घटना ने पूरे राज्य को सदमे में डाल दिया है। मंदिर प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है, क्योंकि यह एक निजी मंदिर है और आयोजकों ने बड़ी भीड़ के बावजूद कोई विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं की थी। न तो पुलिस बैंडोबस्त के लिए अनुमति ली गई और न ही निर्माणाधीन क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन का इंतजाम किया गया। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें चीखें और अफरा-तफरी साफ दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी जांच के आदेश दिए हैं और घायलों के इलाज का खर्च वहन करने का आश्वासन दिया है।

यह हादसा शनिवार, एक नवंबर को दोपहर करीब 11 बजकर 30 मिनट पर हुआ। कासिबुग्गा एक छोटा सा कस्बा है, जहां यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और तिरुपति के छोटे रूप के रूप में जाना जाता है। मंदिर चार महीने पहले ही बनकर तैयार हुआ था, लेकिन अभी भी कुछ हिस्सों में निर्माण कार्य चल रहा था। एकादशी का पर्व हिंदू कैलेंडर में बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर कार्तिक महीने में। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। श्रीकाकुलम जिले में यह मंदिर हर शनिवार को 1500 से 2000 श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, लेकिन एकादशी होने से संख्या अचानक बढ़कर 25 हजार तक पहुंच गई। मंदिर का प्रवेश द्वार संकरा था और सीढ़ियों पर लोहे की रेलिंग कमजोर थी। भीड़ के दबाव में रेलिंग टूट गई, जिससे लोग नीचे गिर पड़े। ऊपर से गिरते लोगों का दबाव बढ़ा और भगदड़ मच गई। कई महिलाएं और बच्चे आपस में दब गए। स्थानीय लोग चीखते हुए भागे और कुछ ने घायलों को बाहर निकाला।

मृतकों में आठ महिलाएं और एक 13 वर्षीय लड़का लोटला निखिल शामिल हैं। महिलाओं के नाम हैं: एदुरी चिन्नम्मी (50 वर्ष), रपाका विजया (48 वर्ष), मुरिपिंटी नीलम्मा (60 वर्ष), दुव्वु राजेश्वरी (60 वर्ष), चिन्नी यशोदम्मा (56 वर्ष), बकी कलावती (50 वर्ष), दुव्वु कुमारी (25 वर्ष) और बोरा बृंदावती (62 वर्ष)। ये सभी पास-पास के गांवों से आई थीं। घायलों की संख्या 25 से अधिक बताई जा रही है, जिनमें से तीन को विजयवाड़ा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भेजा गया है। जिला कलेक्टर स्वप्निल दिनकर पुंडकर ने बताया कि सात लोग घटनास्थल पर ही मारे गए, जबकि तीन ने अस्पताल में दम तोड़ा। उन्होंने कहा कि मंदिर निजी है और एंडोमेंट विभाग के अधीन नहीं आता, इसलिए प्रबंधन की जिम्मेदारी मंदिर समिति पर है। कासिबुग्गा उप-मंडल के डीएसपी लक्ष्मण राव ने कहा कि भगदड़ के बजाय यह एक दुर्घटना थी, लेकिन जांच में सच्चाई सामने आएगी।

घटना के बाद मंदिर परिसर में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की टीमें तुरंत पहुंचीं और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया। मंदिर के आसपास सड़कें जाम हो गईं और श्रद्धालु रोते-बिलखते नजर आए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सुबह से ही लंबी कतारें लगी हुई थीं। दोपहर के समय जब प्रवेश द्वार बंद करने की कोशिश की गई, तो लोग निकास मार्ग की ओर भागे। संकरी राह में धक्का-मुक्की हुई और रेलिंग टूट गई। एक महिला ने कहा कि वे भगवान के दर्शन के लिए आई थीं, लेकिन मौत आ गई। वीडियो में दिख रहा है कि लोग एक-दूसरे पर गिर रहे हैं और मदद के लिए चिल्ला रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिससे लोगों में गुस्सा भड़क गया। कई यूजर्स ने मंदिर प्रबंधन पर सवाल उठाए और कहा कि आस्था का फायदा उठाकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि यह हादसा दिल दहला देने वाला है। उन्होंने अधिकारियों को घायलों को तुरंत इलाज देने और मृतकों के परिवारों को 15 लाख रुपये की सहायता देने के निर्देश दिए। गंभीर रूप से घायलों को तीन लाख रुपये की मदद का ऐलान किया। उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि यह बेहद दुखद है और सरकार हर संभव मदद करेगी। राज्यपाल एस अब्दुल नजीर ने भी शोक संदेश जारी किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदमे का इजहार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने पीएमएनआरएफ से मृतकों के परिजनों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने प्रार्थना की कि घायल जल्द स्वस्थ हों। केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि मंदिर 95 वर्षीय हरि मुकुंद पांडा ने अच्छे इरादे से बनवाया था, लेकिन भीड़ का अंदाजा नहीं लगाया गया।

मंत्री नारा लोकेश ने विस्तार से बताया कि मंदिर सुबह छह से दोपहर 12 बजे तक खुला रहता है, फिर ब्रेक होता है। 11 बजकर 30 मिनट पर प्रवेश बंद किया गया, तो लोग निकास से घुसने लगे। इससे घुटन हुई और ऊपरी सीढ़ी पर कोई फिसला, तो सब गिर पड़े। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में पांच मिनट में पहुंचे और कई जिंदगियां बचाईं। मुख्यमंत्री ने एक समिति गठित करने के आदेश दिए हैं, जो रिपोर्ट देगी और भविष्य में एसओपी बनेगा। होम मिनिस्टर वी अनिता ने कहा कि मंदिर की क्षमता तीन हजार है, लेकिन 25 हजार लोग आ गए। एंडोमेंट विभाग के तहत न होने से निगरानी कम थी। श्रीकाकुलम एसपी केवी महेश्वर रेड्डी ने कहा कि मालिक की गलती है, क्योंकि पुलिस बैंडोबस्त के लिए आवेदन नहीं किया गया। जिला प्रशासन ने कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जिसका नंबर 08942-240557 है।

यह घटना भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की कमियों को उजागर करती है। एकादशी जैसे पर्व पर लाखों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजाम अपर्याप्त रहते हैं। आंध्र प्रदेश में ही पिछले साल हाजी अली दरगाह और सबरीमाला मंदिर में भीड़ से जुड़ी घटनाएं हुई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि निजी मंदिरों के लिए भी अनिवार्य अनुमति और सीसीटीवी लगाना चाहिए। निर्माणाधीन जगहों पर कार्यक्रम रोकने के नियम सख्त करने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर भगदड़ से सालाना हजारों मौतें होती हैं, जिनमें से अधिकांश विकासशील देशों में। भारत में 2013 की इलाहाबाद कुंभ मेले की भगदड़ याद आती है, जिसमें 36 लोग मारे गए थे। तब से दिशानिर्देश बने, लेकिन अमल कमजोर है।

स्थानीय लोगों ने गुस्सा जताया है। ग्राम प्रधान ने कहा कि मंदिर प्रबंधन को पहले से सूचना देनी चाहिए थी। एक अभिभावक ने बताया कि उनका बच्चा घायल हुआ, लेकिन समय पर मदद मिली। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर सुरक्षा की अनदेखी हो रही है। कांग्रेस नेता वी हनुमंथ राव ने कहा कि 25 हजार लोगों की भीड़ में 12 मौतें हुईं, सरकार मुआवजा देगी। जिला मजिस्ट्रेट ने जांच रिपोर्ट जल्द सौंपने का वादा किया। मंदिर अब अस्थायी रूप से बंद है और अगले कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है।

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