ट्रंप का दावा: पाकिस्तान समेत चार देश भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहे, भूकंप के झटके इसका सबूत।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज बयान में कहा है कि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया इस समय सक्रिय रूप से परमाणु हथियारों का

Nov 3, 2025 - 14:37
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ट्रंप का दावा: पाकिस्तान समेत चार देश भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहे, भूकंप के झटके इसका सबूत।
ट्रंप का दावा: पाकिस्तान समेत चार देश भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहे, भूकंप के झटके इसका सबूत।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज बयान में कहा है कि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया इस समय सक्रिय रूप से परमाणु हथियारों का भूमिगत परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि इन देशों के अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब बाकी देश अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज कर रहे हैं, तो अमेरिका भी पीछे नहीं रह सकता। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने अपने परमाणु शस्त्रागार को आधुनिक नहीं किया, तो वह रणनीतिक रूप से कमजोर पड़ जाएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप 20 जनवरी 2025 को दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

ट्रंप ने साक्षात्कार में कहा कि पिछले कुछ महीनों में वैज्ञानिकों ने कई ऐसे भूकंप दर्ज किए हैं, जिनकी गहराई और तरंगें प्राकृतिक भूकंप से अलग हैं। उन्होंने दावा किया कि ये झटके भूमिगत परमाणु परीक्षणों की वजह से आ रहे हैं। ट्रंप ने पाकिस्तान का नाम लेते हुए कहा कि इस्लामाबाद अपने परमाणु हथियारों को छोटा और ज्यादा घातक बना रहा है। उन्होंने रूस पर आरोप लगाया कि वह नई पीढ़ी के सामरिक परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है। चीन को लेकर ट्रंप ने कहा कि बीजिंग हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ परमाणु वारहेड जोड़ने की कोशिश कर रहा है। उत्तर कोरिया के बारे में उन्होंने कहा कि किम जोंग उन ने 2024 में ही दो बार भूमिगत परीक्षण किए हैं।

ट्रंप के इस बयान पर दुनिया भर में हलचल मच गई है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियां इन दावों की जांच कर रही हैं। नॉर्वेजियन सीस्मिक ऐरे और कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन ने 2024 में उत्तर कोरिया में दो और पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में एक संदिग्ध भूकंप दर्ज किया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनकी तरंगें प्राकृतिक भूकंप से अलग थीं, लेकिन परमाणु परीक्षण की पुष्टि के लिए और सबूत चाहिए।

पाकिस्तान ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान परमाणु अप्रसार संधि का सम्मान करता है और उसने 1998 के बाद कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि ट्रंप का बयान गैरजिम्मेदाराना है और यह भारत को परमाणु हथियार बढ़ाने का बहाना देगा। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले की जांच की मांग की है।

चीन ने भी ट्रंप के बयान को निराधार बताया। बीजिंग में विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन परमाणु हथियारों का न्यूनतम स्तर बनाए रखता है और वह किसी भी तरह के परीक्षण में शामिल नहीं है। रूस ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन क्रेमलिन के करीबी सूत्रों ने कहा कि मॉस्को अपने रणनीतिक हथियारों को आधुनिक कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय संधियों के दायरे में है।

भारत ने इस मामले पर सतर्क रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत अपने परमाणु कार्यक्रम को रक्षा जरूरतों के हिसाब से चलाता है और वह किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएगा। भारत ने 1998 में पोखरण में अंतिम परमाणु परीक्षण किया था और तब से वह स्वैच्छिक रूप से परीक्षण रोक रखता है। लेकिन ट्रंप के बयान के बाद रक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान ने सचमुच परीक्षण किए हैं, तो भारत को अपने अग्नि और के सीरीज मिसाइलों को और शक्तिशाली बनाना पड़ेगा।

ट्रंप ने अपने साक्षात्कार में यह भी कहा कि वह सत्ता में आते ही अमेरिका के परमाणु शस्त्रागार को पूरी तरह से नवीनीकरण करेंगे। उन्होंने बी 21 स्टेल्थ बॉम्बर, कोलंबिया क्लास सबमरीन और नए आईसीबीएम मिसाइलों का जिक्र किया। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास अभी 5400 परमाणु हथियार हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर पुराने हो चुके हैं। उन्होंने रूस और चीन के साथ नई परमाणु संधि की बात भी की, लेकिन कहा कि पहले अमेरिका को अपनी ताकत दिखानी होगी।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने ट्रंप के दावों पर चिंता जताई है। आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने कहा कि अगर कोई देश भूमिगत परीक्षण कर रहा है, तो यह परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन है। उन्होंने सभी देशों से सीटीबीटी का पालन करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी।

ट्रंप का यह बयान ठीक उस समय आया है जब दुनिया कई संकटों से जूझ रही है। रूस यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियारों की धमकी दे चुका है। ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन को 60 प्रतिशत तक ले गया है। उत्तर कोरिया ने 2024 में सात मिसाइल परीक्षण किए हैं। ऐसे में ट्रंप का बयान परमाणु हथियारों की नई दौड़ शुरू करने का संकेत दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका ने परीक्षण शुरू किए, तो भारत, पाकिस्तान और इजरायल जैसे देश भी पीछे नहीं रहेंगे।

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी उत्तर कोरिया के साथ परमाणु वार्ता की थी। उन्होंने किम जोंग उन से तीन बार मुलाकात की थी, लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। अब ट्रंप ने कहा है कि वह किम के साथ फिर बात करेंगे, लेकिन इस बार अमेरिका कमजोर नहीं दिखेगा। पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर ट्रंप ने कहा कि इस्लामाबाद को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, वरना अमेरिका अपनी रणनीति बदल देगा।

भार american रक्षा विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप का बयान आंशिक रूप से सही हो सकता है। पाकिस्तान ने 2010 के बाद अपने परमाणु हथियारों को छोटा और सामरिक बनाने की कोशिश की है। बलूचिस्तान में कई बार संदिग्ध भूकंप दर्ज किए गए हैं। लेकिन बिना ठोस सबूत के यह कहना मुश्किल है कि परीक्षण हो रहे हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसियां सैटेलाइट इमेजरी और सीस्मिक डेटा का विश्लेषण कर रही हैं।

ट्रंप के बयान से परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने का खतरा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार दुनिया में अभी 13000 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत अमेरिका और रूस के पास हैं। अगर नई दौड़ शुरू हुई, तो यह मानवता के लिए विनाशकारी होगा। ट्रंप ने हालांकि कहा कि वह परमाणु युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अमेरिका को मजबूत रहना होगा।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप के बयान पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि अमेरिका खुद दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार रखता है और दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। भारत ने भी ट्रंप के बयान को गंभीरता से लिया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने परमाणु कमांड की बैठक बुलाई है।

ट्रंप का यह बयान उनके दूसरे कार्यकाल की विदेश नीति का संकेत दे रहा है। वह परमाणु शक्ति को फिर से अमेरिका की रणनीति का केंद्र बनाना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का बयान रूस और चीन को संदेश है कि अमेरिका पीछे नहीं हटेगा। लेकिन इससे दक्षिण एशिया में भारत पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है।

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