जानें 8 सितंबर 2025 को पेट्रोल और डीजल की कीमतें, अपडेटेड दरें और भारत में कीमतों में स्थिरता
उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से शुरू करते हुए, लखनऊ में आज पेट्रोल की कीमत 94.69 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई, जो कल की तुलना में कोई बदलाव नहीं दर्शाती है। डीजल की दर 87.81 रुपये प्रति लीटर
8 सितंबर 2025 को भारतीय ईंधन बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया, जो वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों की स्थिरता और घरेलू नीतियों के प्रभाव से जुड़ा हुआ है। विभिन्न शहरों में पेट्रोल की दरें औसतन 94 रुपये से 106 रुपये प्रति लीटर तक रहीं, जबकि डीजल की कीमतें 87 रुपये से 95 रुपये प्रति लीटर के बीच रहीं। यह स्थिरता मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों के 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहने से आई है, हालांकि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी ने कुछ दबाव बनाया। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में यदि मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा तो कीमतें ऊपर जा सकती हैं, लेकिन फिलहाल त्योहारों के सीजन से पहले मांग में हल्की वृद्धि के बावजूद स्थिरता बनी हुई है।
उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से शुरू करते हुए, लखनऊ में आज पेट्रोल की कीमत 94.69 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई, जो कल की तुलना में कोई बदलाव नहीं दर्शाती है। डीजल की दर 87.81 रुपये प्रति लीटर रही, जो पिछले दिन से स्थिर है। स्थानीय पेट्रोल पंप मालिकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार की वैट दरों में कोई बदलाव न होने से कीमतें नियंत्रित हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों से आने वाली मांग ने कुछ सहारा दिया है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 94.77 रुपये प्रति लीटर पर रहीं, जबकि डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध था। दिल्ली में ईंधन की मांग मुख्य रूप से वाहनों और व्यावसायिक उपयोग से है, और हालिया स्थिरता ने उपभोक्ताओं को राहत दी है। नोएडा, जो दिल्ली एनसीआर का हिस्सा है, में कीमतें दिल्ली से मिलती-जुलती रहीं पेट्रोल 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर। यहां औद्योगिक मांग से डीजल की खपत अधिक है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वाहन मालिक सतर्क हैं।
आगरा और बरेली जैसे उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में भी कीमतों में समान रुझान देखा गया। आगरा में पेट्रोल की दर 94.50 रुपये प्रति लीटर रही, जबकि डीजल 87.60 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध था। आगरा, जो पर्यटन हब के रूप में जाना जाता है, में ईंधन की बिक्री में हल्की कमी आई है, लेकिन डीजल की मांग ट्रांसपोर्ट से मजबूत बनी हुई है। बरेली में पेट्रोल की कीमतें 94.79 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.89 रुपये प्रति लीटर पर रहीं। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि कृषि क्षेत्र से आने वाली मांग ने कीमतों को स्थिर रखा है, लेकिन वैश्विक बाजार की अस्थिरता ने चिंता बढ़ा दी है। पूर्वोत्तर भारत में असम की बात करें तो गुवाहाटी में पेट्रोल की कीमत 98.24 रुपये प्रति लीटर रही, जबकि डीजल 90.45 रुपये प्रति लीटर पर बिका। असम में ईंधन की मांग मुख्य रूप से चाय बागानों और परिवहन से जुड़ी है, और हालिया स्थिरता ने कुछ राहत प्रदान की है।
मुंबई, भारत की वित्तीय राजधानी, में पेट्रोल की कीमतें 103.50 रुपये प्रति लीटर पर रहीं, जबकि डीजल 90.03 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध था। मुंबई के बाजार में ईंधन की कीमतें अन्य शहरों से ऊंची हैं, मुख्य रूप से उच्च वैट और परिवहन लागत के कारण। यहां डीजल की मांग टैक्सी और लॉजिस्टिक्स से मजबूत है। कोलकाता में पेट्रोल 105.41 रुपये प्रति लीटर पर बिका, जबकि डीजल 92.02 रुपये प्रति लीटर पर रहा। कोलकाता के बाजार में ईंधन की मांग दुर्गा पूजा के नजदीक आने से बढ़ सकती है, लेकिन फिलहाल स्थिरता बनी हुई है। दक्षिण भारत में चेन्नई की कीमतें 100.90 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और 92.39 रुपये प्रति लीटर डीजल पर रहीं। तमिलनाडु राज्य में समान रुझान देखा गया, जहां कोयंबटूर में पेट्रोल 101.28 रुपये प्रति लीटर रहा। तमिलनाडु में डीजल की मांग औद्योगिक उपयोग से मजबूत बनी हुई है। बिहार में पटना जैसे शहर में पेट्रोल 106.11 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध था, जबकि डीजल 92.50 रुपये प्रति लीटर पर बिका। बिहार के ग्रामीण इलाकों में ईंधन की खरीदारी कृषि और परिवहन के लिए बढ़ रही है, लेकिन कीमतों की स्थिरता ने बजट वाले उपभोक्ताओं को राहत दी।
इन कीमतों के पीछे वैश्विक कारक प्रमुख हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल 80.50 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो 0.20% की मामूली वृद्धि दर्शाता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों और ओपेक+ के उत्पादन कटौती ने कीमतों को सहारा दिया, लेकिन चीन की मांग में कमी ने दबाव बनाया। भारत में, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य वैट भी कीमतों को प्रभावित करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि रुपये की कमजोरी जारी रही तो कीमतें 2-3 रुपये बढ़ सकती हैं। डीजल में भी मासिक स्थिरता देखी गई। बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन लंबी अवधि में ईंधन सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है। त्योहारों का मौसम नजदीक आने से मांग बढ़ सकती है, जो कीमतों को ऊपर ले जा सकती है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि वे प्रमाणित पंपों से ईंधन लें और बाजार की निगरानी रखें। कुल मिलाकर, आज की कीमतें स्थिर दिखाती हैं, लेकिन बाजार की दिशा आने वाले आर्थिक डेटा पर निर्भर करेगी।
वैश्विक स्तर पर ईंधन की कीमतों में 2% की मासिक स्थिरता के बावजूद भारत में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं आया है, जो पिछले महीने में 5% ऊपर था। भारत में, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) पर पेट्रोल की कीमतें 94.77 रुपये पर कारोबार कर रही थीं, जबकि डीजल 87.67 रुपये पर। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति डेटा कमजोर रहा तो ईंधन और मजबूत हो सकता है। घरेलू स्तर पर, रुपये की कमजोरी ने आयातित तेल को महंगा बनाया, लेकिन त्योहारों की मांग से संतुलन बना। डीजल में औद्योगिक उपयोग बढ़ने से कीमतें ऊपर जा सकती हैं। कुल मिलाकर, बाजार में सकारात्मक दृष्टिकोण है, लेकिन अल्पकालिक उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। उपभोक्ताओं को सलाह है कि वे ईंधन बचत के उपाय अपनाएं और प्रमाणित स्रोतों से खरीदारी करें।
ईंधन कीमतों की स्थिरता का एक बड़ा कारण भारत सरकार की नीतियां हैं, जहां केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। राज्य सरकारें वैट के माध्यम से कीमतों को नियंत्रित करती हैं, जैसे उत्तर प्रदेश में वैट दर 26.80% है, जो लखनऊ और आगरा जैसी जगहों पर प्रभाव डालती है। दिल्ली में वैट 19.40% है, जिससे कीमतें कम रहती हैं। मुंबई में महाराष्ट्र सरकार का वैट 26% से अधिक है, जो कीमतों को ऊंचा रखता है। कोलकाता में पश्चिम बंगाल का वैट 25% है। चेन्नई और तमिलनाडु में वैट 27% के आसपास है, जबकि पटना में बिहार का वैट 26% है। असम में वैट 24.92% है, जो गुवाहाटी की कीमतों को प्रभावित करता है। ये दरें ईंधन की अंतिम कीमत का 40-50% हिस्सा बनाती हैं।
वैश्विक बाजार में ओपेक+ के फैसलों का असर भारत पर पड़ता है, जहां उत्पादन कटौती ने कीमतों को सहारा दिया। अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों से डॉलर कमजोर हुआ, जो भारत के लिए फायदेमंद है। लेकिन मध्य पूर्व में इजराइल-ईरान तनाव से अनिश्चितता है।
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