पाकिस्तान- 15 वर्षीय हिंदू लड़की का अपहरण, फिर दुष्कर्म, जबरन धर्मांतरण और निकाह, अदालत में घर वापसी की अपील। 

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुरखास जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को सदमे में डाल दिया है। 15 वर्षीय एक हिंदू लड़की का कथित तौर पर

Oct 11, 2025 - 14:00
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पाकिस्तान- 15 वर्षीय हिंदू लड़की का अपहरण, फिर दुष्कर्म, जबरन धर्मांतरण और निकाह, अदालत में घर वापसी की अपील। 
प्रतीकात्मक तस्वीर

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुरखास जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को सदमे में डाल दिया है। 15 वर्षीय एक हिंदू लड़की का कथित तौर पर उसके घर के बाहर से अपहरण कर लिया गया। अपहरणकर्ताओं ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जबरन इस्लाम कबूल करवाया और एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति से उसका निकाह करा दिया। लड़की ने 10 अक्टूबर 2025 को मीरपुरखास की सत्र न्यायालय में पेश होकर अपनी आपबीती सुनाई। उसने न्यायाधीश को बताया कि यह सब उसकी मर्जी के बिना हुआ। वह अपने माता-पिता के पास लौटना चाहती है। अदालत ने इस मामले में काजी और दो गवाहों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी फरार है।

यह घटना 5 अक्टूबर 2025 की शाम को हुई। लड़की हंगुरू गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी। परिवार गरीब किसान समुदाय से है। शाम को वह घर के बाहर खेल रही थी, तभी कुछ अज्ञात व्यक्ति उसे जबरन ले गए। परिवार ने तुरंत स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन प्रारंभिक जांच में कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगले दिन अपहरणकर्ताओं ने परिवार को फोन किया और लड़की को जबरन मुस्लिम बना दिया जाने की सूचना दी। परिवार के अनुसार, अपहरणकर्ता स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति थे, जो हिंदू लड़कियों को निशाना बनाते रहते हैं। लड़की के पिता ने बताया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं कि अगर वे शोर मचाएंगे तो पूरे परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा।

लड़की को अपहरण के बाद एक गुप्त स्थान पर ले जाया गया। वहां अपहरणकर्ताओं ने उसके साथ कई दिनों तक यौन शोषण किया। फिर एक स्थानीय काजी को बुलाकर उसका जबरन धर्मांतरण कराया गया। धर्मांतरण के कागजात पर थंब इंप्रेशन जबरन लिया गया। इसके बाद एक 50 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति से उसका निकाह करा दिया गया। निकाह के दौरान लड़की ने विरोध किया, लेकिन उसे दबा दिया गया। पाकिस्तान दरावर इत्तेहाद के अध्यक्ष शिवा काची ने बताया कि यह घटना सिंध के ग्रामीण इलाकों में आम हो गई है। गरीब हिंदू परिवारों की लड़कियां आसान शिकार बनती हैं। काची ने कहा कि अपहरणकर्ता अक्सर फर्जी दस्तावेज बनाते हैं, जिसमें लड़की की उम्र 18 वर्ष दिखाई जाती है।

10 अक्टूबर को अदालत में पेशी के दौरान लड़की ने रोते हुए कहा कि वह डरी हुई है और घर लौटना चाहती है। न्यायाधीश ने उसकी बात सुनी और मामले की जांच के आदेश दिए। अदालत ने लड़की को अस्थायी रूप से एक महिला शेल्टर होम में भेज दिया है। मुख्य आरोपी, जो अपहरण का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। काजी और गवाहों को गिरफ्तार करने की कोशिशें जारी हैं। ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (एचआरसीपी) ने इस मामले की निंदा की है। एचआरसीपी की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध में हर साल लगभग 1000 अल्पसंख्यक लड़कियां ऐसी घटनाओं का शिकार बनती हैं। इनमें ज्यादातर हिंदू और ईसाई समुदाय की नाबालिग लड़कियां शामिल हैं।

यह घटना पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की एक कड़ी है। सिंध प्रांत हिंदू आबादी का केंद्र है, जहां कुल हिंदू आबादी का 90 प्रतिशत हिस्सा रहता है। लेकिन यहां गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक भेदभाव के कारण हिंदू परिवार असुरक्षित हैं। अपहरणकर्ता अक्सर स्थानीय जमींदार या प्रभावशाली मुस्लिम व्यक्ति होते हैं। वे लड़कियों को अपहरण कर ले जाते हैं, उनके साथ शारीरिक शोषण करते हैं, फिर धर्मांतरण के नाम पर कागजात तैयार कर निकाह करा देते हैं। अदालतों में भी पक्षपात देखने को मिलता है। कई मामलों में लड़कियों को अपहरणकर्ता के पास ही भेज दिया जाता है, क्योंकि शरिया कानून के तहत धर्मांतरण के बाद निकाह वैध माना जाता है।

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। अगस्त 2025 में शेखपुरा जिले में 14 वर्षीय ईसाई लड़की मुस्कान लियाकत का अपहरण किया गया। अपहरणकर्ता मुहम्मद अधनान और उसके पिता ने उसे बंदूक के बल पर ले लिया। फिर यातनाएं दीं, थंब इंप्रेशन लिया और जबरन शादी करा दी। मुस्कान किसी तरह भागी और अपनी आपबीती बताई। इसी तरह, मार्च 2025 में 12 वर्षीय ईसाई लड़की का अपहरण हुआ, जिसे जबरन मुस्लिम बनाकर शादी करा दी गई। सिंध में ही नवंबर 2024 में 10 वर्षीय हिंदू लड़की मीना बाजानी का अपहरण कर 80 वर्षीय व्यक्ति से निकाह कराने की कोशिश की गई। सौभाग्य से उसे बचा लिया गया। लेकिन ज्यादातर मामलों में लड़कियां लौट नहीं पातीं।

मानवाधिकार संगठन औरत फाउंडेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि सिंध के थारपारकर, उमरकोट, मीरपुरखास और घोटकी जैसे जिलों में यह समस्या सबसे ज्यादा है। यहां हिंदू परिवार मजदूरी या खेती पर निर्भर हैं। लड़कियां स्कूल कम जाती हैं, जिससे वे आसानी से निशाना बन जाती हैं। अपहरणकर्ता धार्मिक नेताओं की मदद लेते हैं, जो फर्जी प्रमाण-पत्र जारी करते हैं। पाकिस्तान की संसद ने 2024 में बाल विवाह रोकने के लिए कानून बनाया, जिसमें लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तय की गई। लेकिन इसका पालन नहीं होता। शरिया कानून के तहत अगर लड़की ने पहली माहवारी आ जाए तो विवाह वैध माना जाता है। इससे अपराधी बच जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर चिंता जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने जनवरी 2023 में पाकिस्तान में अपहरण और जबरन धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की। कनाडा की डिप्टी लीडर कैंडिस बर्गेन ने कहा कि ईसाई और हिंदू लड़कियों का अपहरण, दुष्कर्म और जबरन शादी गंभीर समस्या है। यूके ने 2022 में मौलवी मियां अब्दुल हक पर प्रतिबंध लगाया, जो हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण में शामिल था। लेकिन पाकिस्तानी सरकार इन आरोपों को खारिज करती है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2019 में जांच का आदेश दिया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा।

पाकिस्तान में हिंदू आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 2 प्रतिशत है, यानी करीब 75 लाख लोग। विभाजन के समय लाखों हिंदू पाकिस्तान छोड़ चुके थे। जो बचे, वे मुख्य रूप से सिंध और पंजाब में रहते हैं। लेकिन धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्मांतरण और हिंसा के कारण कई परिवार भारत आ रहे हैं। 2023 में 500 से ज्यादा हिंदू परिवारों ने पाकिस्तानी नागरिकता त्याग दी। भारतीय सरकार ने कई मामलों में पाकिस्तान से शरणार्थी स्वीकार किए हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत पाकिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जा रही है।

इस घटना के बाद हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया है। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल और दरावर इत्तेहाद ने प्रदर्शन की घोषणा की है। वे कराची और मीरपुरखास में रैलियां निकालेंगे। समुदाय के नेता रवि दावनी ने कहा कि सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए। अपहरण, दुष्कर्म और जबरन विवाह को अपराध घोषित कर सजा बढ़ानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि अदालतें लड़कियों की उम्र की जांच के लिए ऑसिफिकेशन टेस्ट अनिवार्य करें। काची ने बताया कि कई मामलों में पुलिस पक्षपाती होती है। शिकायत दर्ज नहीं करती या आरोपी को छोड़ देती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या सामाजिक और आर्थिक है। सिंध के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का अभाव है। हिंदू लड़कियां घरेलू कामों में व्यस्त रहती हैं। जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। एनजीओ लड़कियों को सेल्फ-डिफेंस सिखा रहे हैं। लेकिन बिना सरकारी समर्थन के बदलाव मुश्किल है। एचआरसीपी की 2023 रिपोर्ट में 136 जबरन धर्मांतरण के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 110 हिंदू लड़कियां थीं। 2025 में यह संख्या और बढ़ सकती है।

लड़की का परिवार अब अदालत के फैसले का इंतजार कर रहा है। वे कहते हैं कि बेटी की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। अगर वह घर लौट आई तो परिवार नया जीवन शुरू करेगा। लेकिन धमकियों से डरे हुए हैं। स्थानीय हिंदू पंचायत ने सुरक्षा की मांग की है। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे अल्पसंख्यक समुदाय की पीड़ा का प्रतीक है। पाकिस्तान सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं रुकें। अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ रहा है। अगर सुधार नहीं हुए तो हिंदू आबादी और घट सकती है।

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