अमृतसर में रामदास में बाढ़ राहत सामग्री लुटेरों ने लूटी, पीड़ितों ने कहा- हमें लुटेरों से बचाओ

बाढ़ की शुरुआत अगस्त के आखिर में हुई। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश से रावी नदी उफान पर आ गई। अमृतसर के रामदास और अजनाला इलाके

Sep 21, 2025 - 11:38
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अमृतसर में रामदास में बाढ़ राहत सामग्री लुटेरों ने लूटी, पीड़ितों ने कहा- हमें लुटेरों से बचाओ
अमृतसर में रामदास में बाढ़ राहत सामग्री लुटेरों ने लूटी, पीड़ितों ने कहा- हमें लुटेरों से बचाओ

पंजाब के अमृतसर जिले के तहसील अजनाला के अंतर्गत रामदास क्षेत्र में अगस्त 2025 में आई भयंकर बाढ़ ने हजारों परिवारों की जिंदगी उजाड़ दी। रावी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चढ़ गया, जिससे 40 से अधिक गांव जलमग्न हो गए। लगभग 35,000 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से हजारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। लेकिन इस विपदा में जहां एक तरफ एनजीओ, सेना और स्थानीय संगठन राहत कार्यों में जुटे थे, वहीं दूसरी तरफ राहत सामग्री की लूट की घटनाओं ने पीड़ितों का दर्द और बढ़ा दिया। पड़ोसी राज्यों से भेजी गई खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें रास्ते में ही लूट ली गईं। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ लोग बोरियों में भरकर राशन ले भागे, जिससे असली जरूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंची। प्रशासन ने होर्डिंग और मिसयूज पर सख्ती की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई न होने से इलाके में गुस्सा भड़क रहा है। यह घटना दैनिक जगरण की 5 सितंबर 2025 की रिपोर्ट में प्रमुखता से उजागर हुई, जहां ग्रामीणों ने वीडियो के जरिए लूट का पर्दाफाश किया।

बाढ़ की शुरुआत अगस्त के आखिर में हुई। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश से रावी नदी उफान पर आ गई। अमृतसर के रामदास और अजनाला इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। 29 अगस्त को डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने बताया कि 40 गांवों में पानी घुस गया, जिसमें रामदास के पास के पचियां, सहरण कासोवाल और थोबा जैसे गांव शामिल थे। इन गांवों में 14,000 से ज्यादा लोग फंस गए। खेतों में धान, गन्ना और मक्की की फसलें डूब गईं, जिससे लाखों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हो गई। पशुधन भी खतरे में था। एक किसान मुकविंदर सिंह ने बताया कि उसके 12 भैंसें सड़क पर बंधी रहीं, क्योंकि गांव जट्टा में चारा और दाना नहीं पहुंचा। सेना, एनडीआरएफ और बीएसएफ ने मिलकर 11,330 लोगों को बचाया। ड्रोन से दवाइयां और खाना गिराया गया, जबकि एम्फीबियस वाहनों से निकासी की गई। लेकिन बाढ़ के पानी के साथ-साथ एक और समस्या उभरी- राहत सामग्री का दुरुपयोग।हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में राशन भेजा गया। इनमें आटा, दाल, चावल, चीनी, तेल, नमक, मसाले, दवाइयां, बच्चों के लिए दूध पाउडर और महिलाओं के लिए सैनिटरी सामान था। गुरुग्राम से विधायक मुकेश शर्मा ने तीन ट्रक भेजे, जबकि सतिंदर सरताज फाउंडेशन ने अजनाला में 500 परिवारों को राशन वितरित किया। रोटरी क्लब अमृतसर वेस्ट के वॉलंटियर्स ने रामदास के गांवों में टार्पॉलिन और जरूरी सामान पहुंचाया। लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब ये ट्रॉलियां गांवों के करीब पहुंचीं। ग्रामीणों ने देखा कि कुछ लोग, जो खुद बाढ़ से प्रभावित नहीं थे, ट्रॉलियों पर चढ़ गए और बोरियों में भरकर सामान ले भागे। दैनिक जगरण की रिपोर्ट के अनुसार, रामदास कस्बे के लोग मोटरसाइकिलों पर सवार होकर ट्रॉलियों के पीछे भागते और गुहार लगाते, हम लुट गए, मदद दो। लेकिन वास्तव में लुटने वाले वही थे जो सामान चुरा रहे थे। एक ग्रामीण ने कहा, ये लोग बाढ़ प्रभावित होने का बहाना बनाकर राशन ले जाते हैं और फिर बाजार में बेच देते हैं।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गए, जिसमें दिखा कि ट्रॉलियों से उतरते ही लोग सामान लूट रहे हैं। एक वीडियो में साफ दिखा कि बिना प्रभावित गांवों के लोग भी कतार में लगे थे। इससे असली पीड़ितों को कुछ नहीं मिला। पचियां गांव के एक निवासी ने बताया कि हमारा गांव पाकिस्तान सीमा से महज 2-3 किलोमीटर दूर है, लेकिन राहत यहां तक नहीं पहुंची। आगे के गांवों वाले सब ले गए। हिंदुस्तान टाइम्स की 5 सितंबर की खबर में कहा गया कि समन्वय की कमी से होर्डिंग और बिक्री हो रही है। कुछ लोग घरों में जमा कर लेते हैं, तो कुछ दुकानों को बेच देते हैं। अजनाला में 20 संगठनों ने समन्वय समिति बनाई, लेकिन फिर भी समस्या बनी रही। डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने एडवाइजरी जारी की कि दानदाता कंट्रोल रूम से संपर्क करें। चमयारी फ्लड रिलीफ सेंटर का नंबर 62804-00958 दिया गया। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि कार्रवाई नहीं हो रही। एक वॉलंटियर ने कहा, वीडियो शेयर करने पर भी कोई एक्शन नहीं।

प्रशासन ने राहत शिविर लगाए। चमयारी गांव में एक बड़ा कैंप है, जहां भोजन, पानी और मेडिकल हेल्प मिल रही है। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने रामदास और डेरा बाबा नानक में जाकर सामान बांटा। राहुल गांधी ने 15 सितंबर को घोनेवाल गांव का दौरा किया और पीड़ितों से मिले। उन्होंने गुरुद्वारा बूढ़ा साहिब में अरदास की। पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने अपनी फाउंडेशन से दो एम्बुलेंस दान कीं, जिनमें मेडिकल किट हैं। खालसा एड इंटरनेशनल ने भी मदद की। लेकिन लूट की घटनाओं से विश्वास डगमगा गया। ट्रिब्यून की 4 सितंबर की रिपोर्ट में पीड़ितों ने शिकायत की कि पर्याप्त सामान नहीं मिला। कुछ गांवों में तो कुछ ही परिवारों को मिला। व्यापारियों ने भी नुकसान की भरपाई की मांग की। रामदास के दुकानदारों के स्टॉक पानी में भीग गए।

बाढ़ से प्रभावित इलाकों में जीवन पटरी पर लौट रहा है, लेकिन जख्म गहरे हैं। 17 सितंबर तक विकिपीडिया के अनुसार, 1,400 गांव प्रभावित हुए, 3.71 लाख एकड़ जमीन डूबी। 29 मौतें हुईं। स्कूल बंद रहे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र से 60,000 करोड़ का पैकेज मांगा। तीन सीनियर अधिकारी अजनाला भेजे गए। चीफ सेक्रेटरी के.ए.पी. सिन्हा ने 31 अगस्त को रामदास का दौरा किया। लेकिन राहत वितरण में खामियां रहीं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर लूट रोकने के लिए चेकपॉइंट लगाए जाते तो बेहतर होता। एक बुजुर्ग ने कहा, हम गरीब हैं, फसल बर्बाद हो गई, ऊपर से मदद भी न मिले तो क्या करें। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने बीएसएफ चौकियों में फंसे 360 जवानों के रेस्क्यू की मांग की।

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