Trending: कोलकाता गैंगरेप केस- मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा का वकालत लाइसेंस रद्द, पश्चिम बंगाल बार काउंसिल का कड़ा फैसला। 

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 25 जून 2025 को हुई एक दिल दहला देने वाली गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध ...

Jul 3, 2025 - 12:19
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Trending: कोलकाता गैंगरेप केस- मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा का वकालत लाइसेंस रद्द, पश्चिम बंगाल बार काउंसिल का कड़ा फैसला। 

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 25 जून 2025 को हुई एक दिल दहला देने वाली गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस मामले में मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा, जो एक वकील और कॉलेज का पूर्व छात्र है, के खिलाफ पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ने सख्त कदम उठाते हुए उसका वकालत लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसके साथ ही, बार काउंसिल ने मिश्रा का नाम वकीलों की सूची से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप वह अब राज्य के किसी भी कोर्ट में वकालत नहीं कर पाएगा। यह निर्णय 2 जुलाई 2025 को एक विशेष आम बैठक में लिया गया, जिसका नेतृत्व बार काउंसिल के चेयरमैन अशोक देब ने किया। इस कदम को न केवल कानूनी पेशे की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को भी दर्शाता है।

यह जघन्य अपराध 25 जून 2025 की शाम को साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज के परिसर में हुआ, जब एक 24 वर्षीय प्रथम वर्ष की छात्रा को कथित तौर पर मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा और दो अन्य छात्रों, जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी, ने गैंगरेप का शिकार बनाया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि मनोजीत मिश्रा ने उसे शादी का प्रस्ताव दिया था, जिसे ठुकराने पर उसे कॉलेज के यूनियन रूम से जबरन सिक्योरिटी गार्ड के कमरे में ले जाया गया, जहां उसके साथ बलात्कार किया गया। इस दौरान, दो अन्य आरोपियों ने अपराध में सहायता की और कथित तौर पर घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया, जिसे पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल करने की धमकी दी गई। चौथा आरोपी, कॉलेज का सिक्योरिटी गार्ड पिनाकी बनर्जी, भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और अलीपुर कोर्ट ने उनकी पुलिस रिमांड को 8 जुलाई 2025 तक बढ़ा दिया। मेडिकल जांच में पीड़िता के साथ बलात्कार की पुष्टि हुई, और मनोजीत मिश्रा के शरीर पर पाए गए खरोंच और चोट के निशान पीड़िता के प्रतिरोध का सबूत माने गए। विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच शुरू की, जिसमें यह खुलासा हुआ कि मनोजीत ने घटना के अगले दिन कॉलेज की उप-प्राचार्य डॉ. नयना चटर्जी से फोन पर बात की थी।

31 वर्षीय मनोजीत मिश्रा साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र है और 2022 में पासआउट होने के बाद अलीपुर कोर्ट में वकालत कर रहा था। वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की छात्र इकाई, तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी), का दक्षिण कोलकाता जिला महासचिव और कॉलेज यूनियन का पूर्व अध्यक्ष रह चुका है। कॉलेज में उसकी छवि एक प्रभावशाली और डर पैदा करने वाले व्यक्ति की थी। सहपाठियों और जूनियर्स के अनुसार, मिश्रा का व्यवहार लंबे समय से आपराधिक और साइकोपैथिक रहा है। वह कथित तौर पर छात्राओं की तस्वीरें मॉर्फ करके अपने दोस्तों के बीच शेयर करता था और कई लड़कियों को शादी का प्रस्ताव देकर परेशान करता था। 2021 में उसे टीएमसी की छात्र इकाई से निष्कासित किया गया था, और उसके खिलाफ पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों में पहले से ही कई मामले दर्ज थे। एक अन्य छात्रा ने भी मिश्रा पर कॉलेज ट्रिप के दौरान छेड़छाड़ और मारपीट का आरोप लगाया, जिससे उसकी कुख्यात छवि और मजबूत होती है। इन खुलासों ने कॉलेज प्रशासन और टीएमसी की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि मिश्रा को कॉलेज में अनुबंध पर 'एडहॉक फैकल्टी मेंबर' के रूप में नियुक्त किया गया था, बावजूद इसके कि उसका आपराधिक रिकॉर्ड था।

  • बार काउंसिल का निर्णय

पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। 2 जुलाई 2025 को एक विशेष बैठक में, बार काउंसिल ने सर्वसम्मति से मनोजीत मिश्रा की सदस्यता रद्द करने और उसे वकीलों की सूची से हटाने का फैसला किया। चेयरमैन अशोक देब ने कहा कि यह निर्णय पेशे की गरिमा और नैतिकता को बनाए रखने के लिए लिया गया है। बार काउंसिल का यह कदम न केवल मिश्रा के लिए एक सजा है, बल्कि यह अन्य पेशेवरों के लिए भी एक चेतावनी है कि कानून के रक्षक होने के नाते उनकी जिम्मेदारी समाज के प्रति और भी बड़ी है। इस फैसले ने यह संदेश दिया कि अपराध में लिप्त किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली हो, बख्शा नहीं जाएगा।

इस घटना ने पश्चिम बंगाल में व्यापक आक्रोश और सियासी घमासान को जन्म दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ममता बनर्जी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में नाकामी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी ने इस मामले की जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह शामिल हैं। विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे "राज्य में कानून-व्यवस्था की विफलता" करार दिया।

वहीं, टीएमसी ने इस घटना से खुद को अलग करते हुए कहा कि अपराधियों का कोई राजनीतिक रंग नहीं होता। टीएमसीपी अध्यक्ष त्रिणांकुर भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि मिश्रा को पहले ही संगठन से निष्कासित किया जा चुका था। हालांकि, टीएमसी के कुछ नेताओं के विवादित बयानों, जैसे सिंचाई मंत्री मानस भुइयां द्वारा इसे "छोटी घटना" कहने, ने विवाद को और हवा दी। भुइयां ने बाद में सफाई दी कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया। पश्चिम बंगाल महिला आयोग की अध्यक्ष लीना गंगोपाध्याय ने पीड़िता से मुलाकात की और बताया कि वह गहरे मानसिक आघात में है। आयोग ने पीड़िता को तत्काल काउंसलिंग और सुरक्षित माहौल प्रदान करने की सिफारिश की है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया और तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी। कोलकाता गैंगरेप केस ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा और शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी को उजागर किया है। मनोजीत मिश्रा के वकालत लाइसेंस रद्द होने से यह संदेश गया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।

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