Viral: 40 वर्षीय महिला शिक्षिका ने नाबालिग छात्र के साथ एक साल तक यौन उत्पीड़न किया, गिरफ्तार। 

भारत की आर्थिक राजधानी, एक बार फिर एक चौंकाने वाले अपराध के कारण सुर्खियों में है। शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की 40 वर्षीय महिला शिक्षिका ...

Jul 3, 2025 - 12:12
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Viral: 40 वर्षीय महिला शिक्षिका ने नाबालिग छात्र के साथ एक साल तक यौन उत्पीड़न किया, गिरफ्तार। 

मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, एक बार फिर एक चौंकाने वाले अपराध के कारण सुर्खियों में है। शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की 40 वर्षीय महिला शिक्षिका को 16 वर्षीय नाबालिग छात्र के साथ बार-बार यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब पीड़ित छात्र के परिवार ने उसमें व्यवहारगत बदलाव देखे और उसने अपनी आपबीती साझा की। शिक्षिका पर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) एक्ट, भारतीय दंड संहिता (IPC), और जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

गिरफ्तारी के बाद, शिक्षिका को 2 जुलाई 2025 को POCSO कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे एक दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच के लिए और संभावित अन्य पीड़ितों की पहचान के लिए यह रिमांड जरूरी है। मुंबई पुलिस के अनुसार, यह जघन्य अपराध दिसंबर 2023 में शुरू हुआ, जब 40 वर्षीय अंग्रेजी शिक्षिका, जो शादीशुदा है और अपने बच्चों की मां भी है, ने स्कूल के वार्षिक समारोह के लिए डांस ग्रुप तैयार करने के दौरान 16 वर्षीय कक्षा 11 के छात्र के प्रति आकर्षण विकसित किया। जनवरी 2024 में, उसने कथित तौर पर छात्र के साथ यौन संबंध प्रस्तावित किया। जब छात्र ने शुरू में उससे दूरी बनाई और उसकी प्रगति को अस्वीकार किया, तो शिक्षिका ने अपनी एक महिला मित्र की मदद ली, जो स्कूल से संबद्ध नहीं थी। इस मित्र ने छात्र को फोन पर समझाया कि "वृद्ध महिलाओं और किशोर लड़कों के बीच संबंध आजकल आम हैं" और यह कि वह और शिक्षिका "एक-दूसरे के लिए बने हैं।" इस मनोवैज्ञानिक दबाव के बाद, छात्र ने शिक्षिका से मिलने का फैसला किया।

पुलिस के अनुसार, शिक्षिका ने छात्र को अपनी सेडान कार में एक सुनसान जगह पर ले जाकर जबरन यौन शोषण किया। इसके बाद, उसने कई मौकों पर छात्र को दक्षिण मुंबई और हवाई अड्डे के पास के पांच सितारा होटलों में ले जाकर यौन उत्पीड़न किया। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शिक्षिका ने छात्र को शराब पिलाई और उसे बिना चिकित्सकीय सलाह के चिंता-निवारक दवाइयां (एंटी-एंग्जाइटी पिल्स) दीं, ताकि वह मानसिक रूप से कमजोर रहे और उसका विरोध कम हो। यह सिलसिला लगभग एक साल तक चला, जिसके दौरान छात्र गहरे मानसिक तनाव और अवसाद में चला गया।

छात्र के परिवार ने 2024 के मध्य में उसके व्यवहार में बदलाव देखा, जैसे कि चुप्पी, उदासी, और सामाजिक दूरी। जब उन्होंने उससे बात की, तो उसने अपनी पीड़ा साझा की। परिवार ने शुरू में इस मामले को दबाने का फैसला किया, यह उम्मीद करते हुए कि बोर्ड परीक्षाओं के बाद छात्र स्कूल छोड़ देगा और शिक्षिका उससे संपर्क नहीं करेगी। हालांकि, 2025 की शुरुआत में, जब छात्र ने अपनी 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं पास कीं और स्कूल छोड़ दिया, तब भी शिक्षिका ने अपने घरेलू कर्मचारी के माध्यम से उससे संपर्क करने की कोशिश की। इस बार, परिवार ने हिम्मत जुटाकर दादर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शिक्षिका को 27 जून 2025 को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 4 (पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट), धारा 6 (एग्रावेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट), और धारा 17 (अबॉलिशन ऑफ ऑफेंसेस), भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (रेप), 328 (जहर से नुकसान पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। शिक्षिका की कार, जिसे अपराध में इस्तेमाल किया गया था, को जब्त कर लिया गया है, और उसकी डिजिटल फुटप्रिंट की जांच की जा रही है ताकि ग्रूमिंग या अन्य अनुचित व्यवहार के सबूत मिल सकें।

  • सह-आरोपी की भूमिका

इस मामले में शिक्षिका की मित्र, जिसने कथित तौर पर छात्र को मनाने में मदद की, को भी सह-आरोपी बनाया गया है। हालांकि, वह गिरफ्तारी के बाद से फरार है, और मुंबई पुलिस ने उसकी तलाश के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या शिक्षिका ने स्कूल के अन्य छात्रों के साथ भी ऐसा व्यवहार किया है। इसके लिए, पुलिस ने स्कूल प्रशासन से सहयोग मांगा है और शिक्षिका का मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल तैयार करने के लिए एक मनोचिकित्सक परीक्षण की मांग की है।

इस घटना ने स्कूल समुदाय को हिलाकर रख दिया है, क्योंकि यह स्कूल मुंबई के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक है। स्कूल की प्रिंसिपल सुनीता जॉर्ज ने कहा कि स्कूल जांच में पूरा सहयोग कर रहा है और कोई भी कथित अपराध स्कूल परिसर में नहीं हुआ। कुछ सूत्रों के अनुसार, स्कूल प्रबंधन ने शिक्षिका को उसकी अवैध गतिविधियों और अनुचित व्यवहार की जानकारी मिलने पर इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन स्कूल प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है। सामाजिक स्तर पर, इस घटना ने शैक्षिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा और शिक्षकों की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।

सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई यूजर्स ने इसे शिक्षक-छात्र संबंधों में विश्वास का उल्लंघन बताया, जबकि कुछ ने POCSO एक्ट की लिंग-निष्पक्ष प्रकृति की सराहना की, जो पुरुष और महिला दोनों पीड़ितों को समान सुरक्षा प्रदान करता है। POCSO एक्ट, 2012, बच्चों (18 वर्ष से कम आयु) को यौन शोषण, उत्पीड़न, और अश्लीलता से बचाने के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इसकी लिंग-निष्पक्ष प्रकृति इसे विशेष बनाती है, क्योंकि यह लड़के और लड़की दोनों को समान सुरक्षा प्रदान करता है। इस मामले में, शिक्षिका पर पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का आरोप है, जिसके लिए कम से कम सात साल की सजा या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

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