Politics: SCO समिट में राजनाथ सिंह का आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख, भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत।
चीन के किंगदाओ शहर में 25-26 जून 2025 को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह...
चीन के किंगदाओ शहर में 25-26 जून 2025 को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक थी, क्योंकि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध के बाद यह किसी भारतीय रक्षा मंत्री की पहली चीन यात्रा थी। इस समिट में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, और शांति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, साथ ही क्षेत्रीय सहयोग और बहुपक्षीय संवाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, विशेष रूप से अक्टूबर 2024 में दोनों देशों के बीच सीमा तनाव को कम करने के लिए हुए समझौते के बाद।
- SCO का महत्व
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और आतंकवाद, अलगाववाद, और उग्रवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई पर केंद्रित है। 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके पूर्ण सदस्य बने, और 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस ने भी सदस्यता प्राप्त की। वर्तमान में SCO के दस पूर्ण सदस्य देश हैं, जो विश्व की 42% आबादी और 24% भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, शांति, और समृद्धि को बढ़ावा देना है, जिसके लिए यह आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) और विभिन्न सैन्य अभ्यासों जैसे "पीस मिशन" के माध्यम से सहयोग करता है।
- राजनाथ सिंह का कड़ा संदेश: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
किंगदाओ में आयोजित SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट रूप से सामने रखा। उन्होंने कहा, "आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं रह सकते। आतंकवाद किसी भी रूप में मानवता के खिलाफ अपराध है, और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।" उन्होंने विशेष रूप से उन देशों की आलोचना की जो सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। यद्यपि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर था, विशेष रूप से अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की छद्म शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। राजनाथ सिंह ने इस हमले के जवाब में भारत द्वारा 7 मई 2025 को शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" का जिक्र किया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। उन्होंने कहा, "हमने दिखा दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं। हम आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।" उन्होंने SCO सदस्य देशों से आतंकवाद के समर्थकों, आयोजकों, और वित्तपोषकों को जवाबदेह ठहराने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आह्वान किया।
- क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर भारत का दृष्टिकोण
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, "भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के आधार पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वास करता है। हमारा मानना है कि सुधारित बहुपक्षीयता क्षेत्र में संघर्षों को रोकने और सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।" उन्होंने SCO के मूल सिद्धांतों संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, और गैर-हस्तक्षेप का समर्थन करते हुए कहा कि कोई भी देश, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली हो, अकेले वैश्विक चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता। उन्होंने भारत के प्राचीन संस्कृत सूत्र "सर्वं जनः सुखिनो भवन्तु" (सभी लोग सुखी हों) का उल्लेख करते हुए सहयोग और समृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, और विश्वास की कमी को सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में चिह्नित किया। इसके मूल में आतंकवाद, उग्रवाद, और कट्टरपंथ को बताया, जिसके खिलाफ संयुक्त और सतत कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने SCO की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) को और मजबूत करने की वकालत की, जो 2011 से 2015 तक 20 आतंकी हमलों को रोकने, 650 आतंकी अपराधों को विफल करने, और 2700 उग्रवादियों को गिरफ्तार करने में सफल रही है।
- भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा
राजनाथ सिंह की यह यात्रा भारत-चीन संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मई 2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। हालांकि, अक्टूबर 2024 में LAC पर तनाव कम करने के लिए हुए समझौते के बाद दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी। राजनाथ सिंह की किंगदाओ यात्रा और चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ उनकी संभावित द्विपक्षीय बैठक इस प्रक्रिया को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
- अन्य द्विपक्षीय मुलाकातें और SCO
राजनाथ सिंह ने SCO समिट के दौरान रूस और अन्य मध्य एशियाई देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें कीं। इन चर्चाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और सैन्य सहयोग जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। भारत ने SCO के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार, आर्थिक सहयोग, और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। SCO का 2025 का अध्यक्षीय कार्यकाल चीन के पास है, जिसने इस वर्ष के लिए थीम "शंघाई स्पिरिट को बनाए रखना: SCO प्रगति पर" रखी है। भारत ने इस थीम का समर्थन करते हुए संगठन के मूल सिद्धांतों संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, और आपसी सम्मान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इसके साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल भी SCO के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन में थे, जो क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर केंद्रित थी। दोनों देशों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था भेजने और नदी जल डेटा साझा करने जैसे कदमों ने भी सकारात्मक माहौल बनाया है।
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