UP News : शाहजहांपुर में अनोखी प्रेम कहानी: बेटी के लिए रिश्ता देखने गई 45 वर्षीय विधवा मां ने होने वाले दामाद से रचाई शादी। 

बंडा क्षेत्र में एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को हैरान किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय ...

Jun 4, 2025 - 14:06
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UP News : शाहजहांपुर में अनोखी प्रेम कहानी: बेटी के लिए रिश्ता देखने गई 45 वर्षीय विधवा मां ने होने वाले दामाद से रचाई शादी। 

शाहजहांपुर जिले के बंडा क्षेत्र में एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को हैरान किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गई। 3 जून, 2025 को खबर आई कि एक 45 वर्षीय विधवा महिला, जो अपनी 20 वर्षीय बेटी के लिए रिश्ता देखने गई थी, उसी 22 वर्षीय युवक के प्यार में पड़ गई और उससे मंदिर में शादी रचा ली। इस शादी में सबसे खास बात यह रही कि बेटी ने अपनी मां के इस फैसले का पूर्ण समर्थन किया और कहा, "मां, पहले आप शादी कर लो, मेरी बाद में होगी।" 

यह अनोखी कहानी शाहजहांपुर के बंडा क्षेत्र के देवकली गांव की है। 45 वर्षीय महिला, जिनके पति का निधन तीन साल पहले हो चुका था, अपने चार बच्चों—तीन बेटों और एक 20 वर्षीय बेटी—के साथ ससुराल में रह रही थी। अपने पति की मृत्यु के बाद, वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को अकेले संभाल रही थी। उनकी सबसे बड़ी बेटी अब विवाह योग्य हो चुकी थी, और मां ने उसके लिए एक उपयुक्त वर की तलाश शुरू की। कई जगह रिश्ते देखने के बाद, उनकी मुलाकात शाहजहांपुर के एक गांव के 22 वर्षीय युवक से हुई, जो उनकी बेटी के लिए संभावित दूल्हा था। रिश्ते की बात पक्की करने के लिए महिला ने युवक का मोबाइल नंबर लिया, और दोनों के बीच फोन पर बातचीत शुरू हुई। यह बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती में और फिर प्रेम में बदल गई। शुरू में यह रिश्ता केवल रिश्तेदारी की औपचारिकताओं तक सीमित था, लेकिन नियमित संपर्क ने दोनों को भावनात्मक रूप से करीब ला दिया। जब इस रिश्ते की भनक बेटी को लगी, तो उसने विरोध करने के बजाय अपनी मां का साथ दिया। बेटी ने कहा, "मां, आपकी खुशी मेरे लिए सबसे जरूरी है। आप शादी कर लो, मेरी शादी बाद में होगी।"

  • मंदिर में सादगी से हुई शादी

दोनों पक्षों—महिला के परिवार और युवक के परिजनों—की सहमति के बाद, चार दिन पहले शाहजहांपुर के एक मंदिर में इस जोड़े ने सादगी से शादी रचा ली। मंदिर में दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाई और सात फेरे लिए। यह शादी बेहद सादगीपूर्ण थी, जिसमें केवल करीबी रिश्तेदार ही शामिल हुए। हालांकि, शादी के बाद महिला अपने नए पति को साथ नहीं लाई और अकेले ही अपने गांव लौट आई। इस बारे में पूछे जाने पर गांव के लोगों और परिजनों ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया, लेकिन यह खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई और चर्चा का विषय बन गई।इस शादी ने स्थानीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं। कुछ लोगों ने इसे सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने वाला साहसिक कदम माना, जबकि अन्य ने इसे परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ बताया। सोशल मीडिया पर भी यह घटना खूब वायरल हुई। @NewsOutlookIND ने लिखा, "शाहजहांपुर में 45 वर्षीय विधवा मां ने अपनी बेटी के मंगेतर से मंदिर में शादी कर ली। बेटी ने भी इस रिश्ते को स्वीकार किया।" @inextlive ने ट्वीट किया, "46 वर्षीय महिला ने अपने होने वाले दामाद से शादी कर ली। यह अनोखा मामला शाहजहांपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है।" कई लोगों ने बेटी की उदारता और मां के साहस की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, "यह सच्चा प्यार और परिवार का समर्थन है। बेटी ने अपनी मां की खुशी को प्राथमिकता दी, जो आज के समय में दुर्लभ है।" वहीं, कुछ लोगों ने उम्र के अंतर (23 साल) और सामाजिक मान्यताओं का हवाला देते हुए इस रिश्ते पर सवाल उठाए। @abp_csy ने लिखा, "45 साल की विधवा मां ने बेटी के लिए चुने गए दूल्हे को पति बना लिया। यह घटना समाज में बदलाव की ओर इशारा करती है।"

यह घटना उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कुछ महीने पहले हुई एक समान घटना की याद दिलाती है, जहां एक सास अपने दामाद के साथ भाग गई थी। उस मामले में, हालांकि, बेटी ने इस रिश्ते का विरोध किया था, और मामला पुलिस तक पहुंच गया था। शाहजहांपुर की इस घटना में बेटी के समर्थन ने इसे एक अलग आयाम दिया। यह घटना मेरठ के एक अन्य मामले से भी अलग है, जहां एक युवक ने अपनी भाभी और भाई पर धोखे से 25 साल बड़ी महिला से शादी कराने का आरोप लगाया था। यह प्रेम कहानी भारतीय समाज में बदलते सामाजिक मूल्यों और रिश्तों की स्वीकार्यता को दर्शाती है। पारंपरिक रूप से, भारतीय समाज में उम्र के बड़े अंतर वाले विवाह, खासकर जब महिला पुरुष से बड़ी हो, को असामान्य माना जाता है। हालांकि, इस मामले में परिवारों की सहमति और बेटी के समर्थन ने इसे सामाजिक स्वीकार्यता प्रदान की। सामाजिक कार्यकर्ता रेखा शर्मा ने कहा, "यह घटना दर्शाती है कि समाज धीरे-धीरे बदल रहा है। यदि परिवार का समर्थन हो, तो रूढ़ियों को तोड़ा जा सकता है।" यह घटना चाणक्य नीति के उस सिद्धांत को भी याद दिलाती है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों को सही समय पर दोस्त की तरह समझना चाहिए, ताकि वे अपनी भावनाएं साझा कर सकें। इस मामले में, बेटी ने अपनी मां को एक दोस्त की तरह समझा और उनके फैसले का सम्मान किया।

कानूनी दृष्टिकोण से, यह शादी पूरी तरह वैध है, क्योंकि दोनों पक्ष बालिग हैं और आपसी सहमति से विवाह किया गया है। मंदिर में हुई इस शादी में कोई धोखाधड़ी या जबरदस्ती का आरोप नहीं है, जैसा कि मेरठ के एक अन्य मामले में देखा गया था। हालांकि, बंडा पुलिस स्टेशन के एसओ ने इस मामले की जानकारी होने से इंकार किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह पूरी तरह से एक निजी और पारिवारिक मामला है।

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नैतिक दृष्टिकोण से, इस शादी ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ लोग इसे परिवार की संरचना के खिलाफ मानते हैं, क्योंकि युवक को शुरू में बेटी के लिए चुना गया था। फिर भी, बेटी की सहमति और दोनों परिवारों की स्वीकृति ने इस रिश्ते को एक सकारात्मक दिशा दी। यह शादी अब बंडा क्षेत्र और शाहजहांपुर में चर्चा का विषय बन गई है। गांववाले इस घटना को लेकर चकित हैं, और यह खबर स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। @punjabkesari ने लिखा, "यह अनोखी शादी समाज में बदलाव का प्रतीक है। बेटी का अपनी मां का समर्थन करना एक मिसाल है।"

यह घटना अन्य विधवा महिलाओं और एकल माता-पिता के लिए भी प्रेरणा बन सकती है, जो सामाजिक दबावों के कारण अपने जीवन के फैसले लेने से हिचकते हैं। शाहजहांपुर की इस अनोखी प्रेम कहानी ने न केवल प्रेम की ताकत को दिखाया, बल्कि यह भी साबित किया कि परिवार का समर्थन और आपसी समझ सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ सकती है। 45 वर्षीय विधवा मां और 22 वर्षीय युवक की यह शादी, जिसमें बेटी ने अपनी मां की खुशी को प्राथमिकता दी, एक नई सामाजिक सोच की शुरुआत का प्रतीक है।

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