Rajasthan: 26/11 के नायक से ड्रग किंगपिन तक - पूर्व एनएसजी कमांडो बजरंग सिंह गिरफ्तार, राजस्थान में 200 किलो गांजा जब्त।
राजस्थान के चूरू जिले में एक ऐसी घटना घटी जो देश को स्तब्ध कर गई। एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो, जो 2008 के मुंबई 26/11 हमलों में आतंकवादियों से लोहा ले चुका था, अब नशीली
राजस्थान के चूरू जिले में एक ऐसी घटना घटी जो देश को स्तब्ध कर गई। एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो, जो 2008 के मुंबई 26/11 हमलों में आतंकवादियों से लोहा ले चुका था, अब नशीली दवाओं की तस्करी के सरगना के रूप में पकड़ा गया। बजरंग सिंह नामक इस शख्स को राज्य की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की संयुक्त टीम ने रतनगढ़ क्षेत्र से गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से करीब 200 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ। यह गिरफ्तारी कुख्यात अपराधी कुक से मिली जानकारी के आधार पर की गई। पुलिस का कहना है कि यह ऑपरेशन नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के बीच के गठजोड़ को तोड़ने में बड़ी सफलता है।
यह घटना 1 अक्टूबर 2025 की रात की है। चूरू जिले का रतनगढ़ एक शांत कस्बा है, जहां बजरंग सिंह छिपा हुआ था। राजस्थान पुलिस के महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि एटीएस और एएनटीएफ ने दो महीने से अधिक समय से बजरंग की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। बजरंग ने गिरफ्तारी से बचने के लिए नकली मोबाइल आईडी का इस्तेमाल किया और दूरदराज के गांवों में छिपता रहा। लेकिन तकनीकी खुफिया जानकारी और जमीन पर सूत्रों की मदद से उसे ट्रैक कर लिया गया। ऑपरेशन गंजने के नाम से चली इस कार्रवाई में टीम ने रतनगढ़ में छापा मारा। बजरंग के पास से 200 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया, जो तेलंगाना और ओडिशा से लाया गया था। इसकी बाजार मूल्य लाखों रुपये बताई जा रही है।
बजरंग सिंह राजस्थान के सीकर जिले के करंगा गांव का रहने वाला है। वह दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुका था। उसकी लंबाई छह फुट और शारीरिक बनावट ने उसे सीमा सुरक्षा बल में जगह दिलाई। बीएसएफ में कुछ समय सेवा के बाद वह राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में शामिल हो गया। एनएसजी में सात साल की सेवा के दौरान वह एलीट कमांडो के रूप में जाना गया। 26/11 के मुंबई हमलों में वह ताज होटल पर आतंकवादियों से लड़ने वाली टीम का हिस्सा था। उस समय वह पाकिस्तानी आतंकियों से सीधे मुकाबला करता रहा। हमलों में 166 लोग मारे गए थे, और एनएसजी की बहादुरी ने देश को गौरवान्वित किया। बजरंग को उस वीरता के लिए सम्मानित भी किया गया। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उसका जीवन पटरी से उतर गया।
सेवानिवृत्ति के बाद बजरंग ने राजनीति में कदम रखा। 2021 में उसने अपनी पत्नी को स्थानीय चुनाव लड़ाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा। इसी दौरान उसे अपराधियों से संपर्क हुआ। ओडिशा में बीएसएफ की पोस्टिंग के पुराने कनेक्शन ने उसे गांजा तस्करी के धंधे से जोड़ दिया। एक सहयोगी से उसे इस अवैध कारोबार के मुनाफे की जानकारी मिली। धीरे-धीरे वह तस्करी का मास्टरमाइंड बन गया। तेलंगाना और ओडिशा से गांजा खरीदकर वह राजस्थान लाता था। यहां से इसे राजस्थान के विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्यों में बेचा जाता। उसके नेटवर्क में ओडिशा और राजस्थान के अपराधी शामिल थे। गांव में उसकी अच्छी छवि का फायदा उठाकर वह तस्करी को छिपाता रहा।
पुलिस के अनुसार, बजरंग पर पहले से कई मामले दर्ज थे। 2023 में हैदराबाद के पास उसे दो क्विंटल गांजा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत पर रिहा हो गया। सीकर जिले में भी उसके खिलाफ गांजा जब्ती का एक केस चला। उसके सिर पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। लेकिन वह फरार रहा। इस बार गिरफ्तारी का सुराग उसके विश्वसनीय कुक से मिला। कुक ने गुप्त रूप से पुलिस को जानकारी दी कि बजरंग रतनगढ़ में छिपा है और नया जखीरा ला रहा है। इस इनपुट पर एटीएस और एएनटीएफ ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की। गिरफ्तारी के समय बजरंग के पास से न केवल गांजा मिला, बल्कि तस्करी के अन्य सामान भी बरामद हुए।
महानिरीक्षक विकास कुमार ने कहा कि यह ऑपरेशन हफ्तों की योजना और खुफिया साझा करने का नतीजा है। बजरंग जैसे कट्टर अपराधी की गिरफ्तारी से राजस्थान में आतंक-नारकोटिक्स गठजोड़ को कमजोर किया गया है। पुलिस का मानना है कि बजरंग का नेटवर्क आतंकवादियों को फंडिंग भी दे रहा था। नशीले पदार्थों की तस्करी से होने वाली कमाई का इस्तेमाल हथियार खरीदने में होता है। राजस्थान में गांजा तस्करी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। सीमावर्ती इलाकों में यह धंधा फल-फूल रहा है। पिछले साल राज्य में नारकोटिक्स मामलों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एएनटीएफ ने अब तक सैकड़ों किलोग्राम गांजा जब्त किया है। लेकिन ऐसे बड़े सरगनाओं की गिरफ्तारी दुर्लभ होती है।
गिरफ्तारी के बाद बजरंग से लगातार पूछताछ की जा रही है। पुलिस उसके नेटवर्क के अन्य सदस्यों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। ओडिशा और तेलंगाना पुलिस से भी संपर्क किया गया है। संयुक्त जांच से अंतरराज्यीय तस्करी के रास्तों का खुलासा होगा। बजरंग ने पूछताछ में कुछ सहयोग किया है, लेकिन पूरी डिटेल्स उगलने से बच रहा है। उसके घर पर भी छापा मारा गया, जहां से दस्तावेज बरामद हुए। परिवार वाले स्तब्ध हैं। बजरंग की पत्नी और बच्चे सीकर में रहते हैं। पड़ोसी कहते हैं कि वह गांव में सम्मानित था, लेकिन अंदर ही अंदर यह धंधा चला रहा था।
यह घटना देश के लिए एक सबक है। एक कमांडो जो राष्ट्र की रक्षा के लिए लड़ा, वह लालच में अपराध की राह पर चल पड़ा। विशेषज्ञ कहते हैं कि सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। बेरोजगारी और आर्थिक दबाव ने उसे भटकाया। राजस्थान सरकार ने नारकोटिक्स के खिलाफ सख्त अभियान चलाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि ऐसे अपराधों पर जीरो टॉलरेंस होगी। एटीएस को और संसाधन दिए जाएंगे। राष्ट्रीय स्तर पर भी यह खबर चर्चा में है। सोशल मीडिया पर लोग बजरंग की बहादुरी और अपराध दोनों पर बहस कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि नायक से खलनायक बनना दुखद है, लेकिन कानून सबके लिए बराबर है।
राजस्थान में नशीले पदार्थों की समस्या गंभीर है। गांजा तस्करी से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा। स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पुलिस ने बजरंग के गिरोह के अन्य सदस्यों को चिह्नित किया है। जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। यह ऑपरेशन न केवल तस्करी रोकेगा, बल्कि आतंकवाद को भी झटका देगा। बजरंग सिंह का केस अदालत में चलेगा। उसे नारकोटिक्स एक्ट के तहत सजा हो सकती है। यह घटना साबित करती है कि अपराध की कोई उम्र या पृष्ठभूमि नहीं होती। कानून का पालन हर हाल में जरूरी है।
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