Bareilly: बरेली में 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर पर क्रिकेट बॉल लगने से तनाव, पुलिस ने समझा-बुझाकर शांत किया मामला।

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में एक छोटी सी घटना ने सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया। आजम नगर इलाके में कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, तभी उनकी बॉल एक दीवार पर लगे 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर पर

Sep 26, 2025 - 15:47
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Bareilly: बरेली में 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर पर क्रिकेट बॉल लगने से तनाव, पुलिस ने समझा-बुझाकर शांत किया मामला।
बरेली में 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर पर क्रिकेट बॉल लगने से तनाव, पुलिस ने समझा-बुझाकर शांत किया मामला।

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में एक छोटी सी घटना ने सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया। आजम नगर इलाके में कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, तभी उनकी बॉल एक दीवार पर लगे 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर पर जा लगी। इससे पोस्टर पर हल्का सा नुकसान हुआ, जिस पर स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताई। बात बढ़ी तो हिंदू समुदाय के लोगों से कहासुनी हो गई। देखते ही देखते मामला बवाल बन गया, लेकिन सूचना मिलते ही पहुंची पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और समझा-बुझाकर शांत करा दिया। दोनों पक्षों ने शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस जांच कर रही है। इलाके में फोर्स तैनात कर दी गई है ताकि कोई उपद्रव न हो। यह घटना कानपुर से शुरू हुए 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर विवाद के बीच आई है, जो पूरे देश में फैल चुका है।

घटना 25 सितंबर 2025 को दोपहर के समय आजम नगर के एक व्यस्त मोहल्ले में हुई। यह इलाका मिश्रित आबादी वाला है, जहां हिंदू और मुस्लिम परिवार सदियों से साथ रहते आए हैं। 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर अभियान कानपुर में जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान शुरू हुआ था। वहां कुछ युवकों ने बैनर लगाए थे, जिस पर हिंदू समुदाय ने आपत्ति की और पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इसकी प्रतिक्रिया में बरेली सहित कई शहरों में मुस्लिम संगठनों ने समर्थन में पोस्टर लगाए। जमात-ए-रजा-ए-मुस्तफा जैसे संगठनों ने कहा कि यह पैगंबर मुहम्मद के प्रति प्रेम का संदेश है। बरेली में शुक्रवार को जुमा नमाज के बाद कई गलियों में ऐसे पोस्टर लगे थे। आजम नगर में भी एक ऐसा ही पोस्टर दीवार पर लगा था, जो अभियान का हिस्सा था।

बच्चों का क्रिकेट मैच स्थानीय मैदान पर चल रहा था। गली के किनारे खाली जगह पर वे खेल रहे थे। एक तेज शॉट के दौरान बॉल दीवार की ओर चली गई और पोस्टर को छू गई। इससे पोस्टर पर थोड़ी सी खरोंच आ गई। पास खड़े कुछ मुस्लिम युवकों ने इसे अपमान माना और बच्चों को डांटा। बात बढ़ी तो मोहल्ले के अन्य लोग इकट्ठे हो गए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह जानबूझकर किया गया, जबकि हिंदू पक्ष ने सफाई दी कि यह महज हादसा है। देखते ही देखते दोनों तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई। कुछ लोग हाथापाई पर उतर आए, लेकिन ज्यादा हिंसा नहीं हुई। आसपास के लोग घबरा गए और मोबाइल पर वीडियो बनाना शुरू कर दिया।

पुलिस को सूचना मिलते ही सदर कोतवाली की टीम मौके पर पहुंच गई। एसएसपी ध्रुव कुमार ने बताया कि प्रभारी निरीक्षक ने तुरंत दोनों पक्षों को अलग किया। समझाने पर लोग शांत हो गए। मुस्लिम पक्ष के एक बुजुर्ग ने कहा कि पोस्टर का सम्मान जरूरी है, लेकिन बच्चों की गलती माफ कर दी। हिंदू पक्ष के एक युवक ने माफी मांगी। फिर भी, दोनों तरफ से नामजद शिकायतें दर्ज हुईं। मुस्लिम पक्ष ने धारा 153ए (समुदायिक वैमनस्य फैलाना) के तहत केस किया, जबकि हिंदू पक्ष ने मारपीट का आरोप लगाया। पुलिस ने बच्चों के बयान लिए, जो बता रहे थे कि यह दुर्घटना थी। कोई चोट नहीं लगी, लेकिन तनाव जरूर फैला।

यह घटना राष्ट्रीय स्तर के विवाद का हिस्सा है। कानपुर में 17 सितंबर को जुलूस के दौरान 'आई लव मुहम्मद' बैनर पर विवाद हुआ। 25 मुस्लिम युवकों पर एफआईआर हुई। बरेली की दरगाह आला हजरत ने इसका विरोध किया। मौलाना आसिम मुहम्मद ने कहा कि यह प्रेम का संदेश है, अपराध नहीं। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया कि ऐसा कहना अपराध नहीं। विवाद फैला तो उत्तराखंड के काशीपुर में पथराव हुआ, मुंबई और नागपुर में प्रदर्शन हुए। बरेली में शहदाना बाली उर्स के दौरान भी ऐसे पोस्टर दिखे। हिंदू संगठनों ने जवाब में 'आई लव महादेव' पोस्टर लगाए, खासकर वाराणसी में।

बरेली पुलिस ने सतर्कता बरती। एसएसपी ने कहा कि शहर में 100 से ज्यादा ऐसे पोस्टर हैं, जिनकी निगरानी हो रही है। आईटीसी लीडर नफीस पर भी एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने एसएचओ को धमकी दी। उस पर केस दर्ज हुआ। आजम नगर में फोर्स तैनात कर दी गई। स्थानीय लोगों ने कहा कि मोहल्ला पुराना है, कभी ऐसा नहीं हुआ। एक बुजुर्ग ने बताया कि बच्चे रोज खेलते हैं, लेकिन आज संवेदनशील मुद्दे ने बात बिगाड़ दी। पुलिस ने दोनों पक्षों को चेतावनी दी कि भड़काऊ बयान न दें। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, लेकिन फेक न्यूज फैला रहे हैं।

विवाद के पीछे धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि पैगंबर का नाम लेना इबादत है। हिंदू पक्ष का मानना है कि सार्वजनिक जगह पर ऐसा बैनर तनाव बढ़ाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे अभियान शांति के लिए होने चाहिए, न कि विवाद के। बरेली कमिश्नर ने बैठक बुलाई, जहां संगठनों को समझाया। नवरात्रि शुरू होने से सतर्कता बढ़ी है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज चेक किए, जो हादसे की पुष्टि करते हैं। बच्चे निर्दोष हैं, लेकिन अभिभावकों को सलाह दी गई।

घटना से इलाका शांत है, लेकिन सबक मिला। पड़ोसी देशों में भी ऐसे विवाद होते हैं, लेकिन भारत में संविधान शांति की गारंटी देता है। स्थानीय नेता आए, लेकिन पुलिस ने रोका। एक एनजीओ ने कहा कि जागरूकता कैंप लगाएंगे। बरेली का इतिहास सूफी संतों का है, जहां भाईचारा मशहूर है। आला हजरत दरगाह दुनिया भर से आकर्षित करती है। इस घटना ने फिर याद दिलाया कि छोटी गलती बड़ा रूप ले सकती है। पुलिस ने जांच पूरी कर रिपोर्ट भेजी। कोर्ट फैसला लेगा। फिलहाल, मोहल्ला सामान्य हो गया।

यह मामला राष्ट्रीय एकता पर सवाल उठाता है। कानपुर से शुरू होकर मुंबई तक पहुंचा। महाराष्ट्र में अबू आजमी ने समर्थन किया। गुजरात और तेलंगाना में भी प्रदर्शन। लेकिन ज्यादातर शांतिपूर्ण। केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्क रहने को कहा। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने शांति बनाए रखने का निर्देश दिया। विपक्ष ने पुलिस पर आरोप लगाया। लेकिन ग्राउंड पर कामयाबी मिली। आजम नगर के लोग अब एक-दूसरे से मिले, चाय पी। एकता का संदेश दिया।

पुलिस ने कहा कि ऐसे पोस्टर लगाने से पहले अनुमति लें। मुस्लिम संगठनों ने सहमति दी। विवाद से सब थक गए। बच्चे फिर खेल रहे हैं, लेकिन सतर्कता से। यह घटना मीडिया में छाई, लेकिन सकारात्मक अंत हुआ। बरेली जैसे शहरों में ऐसे मोहल्लों की संख्या ज्यादा है। सबको मिलजुल कर रहना होगा। धार्मिक उत्सवों में सावधानी बरतें। पुलिस की भूमिका सराहनीय रही। एसएसपी ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाएगा। स्थानीय प्रशासन ने मीटिंग की। भविष्य सुरक्षित रहे।

विवाद का असर सोशल मीडिया पर दिखा। हजारों पोस्ट, लेकिन ज्यादातर शांति की अपील। युवाओं ने कहा कि प्रेम फैलाएं, नफरत नहीं। स्कूलों में भी चर्चा हुई। यह एक छोटा सा हादसा था, जो बड़ा न बने, इसके लिए सब प्रयासरत हैं। बरेली फिर शांत। उम्मीद है कि देशभर में शांति बनी रहे। ऐसे अभियान सोच-समझकर चलें। अंत में, भाईचारा ही सबसे बड़ा धर्म है।

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