जैसलमेर में रक्षाबंधन की गर्माहट- स्थानीय महिलाओं ने बीएसएफ जवानों को बांधी राखी।
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जो प्रेम, विश्वास और रक्षा के वचन को दर्शाता है। इस साल 9 अगस्त 2025 को, राजस्थान ...
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जो प्रेम, विश्वास और रक्षा के वचन को दर्शाता है। इस साल 9 अगस्त 2025 को, राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने अपने परिवारों से दूर रहकर भी इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाया। स्थानीय महिलाओं, बालिकाओं और स्कूली छात्राओं ने जवानों की सूनी कलाइयों पर रक्षासूत्र बांधकर उन्हें परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी। इस अनोखे मिलन ने रेगिस्तान की तपती धूप और कठिन परिस्थितियों के बीच भी त्योहार की मिठास और भावनात्मक गर्माहट बिखेर दी।
जैसलमेर, जो अपनी सुनहरी रेत और ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है, भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक महत्वपूर्ण सैन्य क्षेत्र भी है। यहां तैनात बीएसएफ जवान दिन-रात देश की सुरक्षा में जुटे रहते हैं। रक्षाबंधन जैसे त्योहार उनके लिए विशेष महत्व रखते हैं, क्योंकि यह पर्व उन्हें अपने परिवार और प्रियजनों से जोड़ता है। इस साल, जैसलमेर की स्थानीय महिलाओं और बालिकाओं ने बीएसएफ की 122वीं वाहिनी सेक्टर साउथ और किशनगढ़ सीमा क्षेत्र में पहुंचकर जवानों के साथ रक्षाबंधन मनाया। इस आयोजन में न केवल स्थानीय लोग, बल्कि स्कूलों की छात्राएं और अन्य संगठनों की महिलाएं भी शामिल हुईं।
रक्षाबंधन के एक दिन पहले, 8 अगस्त 2025 को, बीएसएफ के जवानों ने अपने साथी महिला जवानों के साथ भी इस पर्व को मनाया। किशनगढ़ सीमा क्षेत्र में महिला जवानों ने पुरुष जवानों की कलाइयों पर राखी बांधी, तिलक लगाया और मिठाइयां खिलाकर भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत किया। इस दौरान जवान भावुक हो उठे, क्योंकि छुट्टी न मिलने के कारण वे अपने परिवारों के पास नहीं जा सके थे। महिला जवानों ने अपने साथी जवानों को परिवार की कमी महसूस न होने देने का प्रयास किया। इस दृश्य ने जवानों के बीच आपसी बंधन और देश के प्रति उनके समर्पण को और गहरा कर दिया।
9 अगस्त को, जैसलमेर की स्थानीय महिलाओं और बालिकाओं ने सीमा पर पहुंचकर जवानों को राखी बांधी। इस आयोजन में राष्ट्र रक्षा मिशन और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के बैतूल से आईं किन्नर समुदाय की सदस्यों द्वारा बनाई गई तिरंगा राखियां भी इस बार जवानों की कलाइयों पर सजीं। किन्नर समुदाय की प्रमुख शोभा की देखरेख में लक्ष्मी, कविता, रुपा, सुमन, दीपा, सरिता, पायल, बबली, मंजू, पूनम और अन्य ने सैकड़ों राखियां तैयार की थीं। इन राखियों को राष्ट्र रक्षा मिशन की गौरी बालापुरे और जमुना पंडाग्रे ने जवानों तक पहुंचाया। कविता किन्नर ने कहा कि भले ही वे स्वयं सीमा पर नहीं जा सकतीं, लेकिन उनकी बनाई राखियां जवानों तक पहुंच रही हैं, जिससे उन्हें गर्व और खुशी महसूस हो रही है।
दैनिक जागरण की पहल ‘भारत रक्षा पर्व 2025’ ने भी इस अवसर को और खास बनाया। इस अभियान के तहत, स्कूली और कॉलेज की छात्राओं ने जवानों के लिए राखियां बनाईं और स्नेह भरे पत्र लिखे। इस पहल का उद्देश्य जवानों को यह एहसास दिलाना था कि भले ही वे अपने परिवार से दूर हैं, लेकिन पूरा देश उनके साथ है। स्कूलों में रैलियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें जवानों के बलिदान और समर्पण को याद किया गया। दिल्ली में एक विशेष समारोह में चयनित छात्राओं ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और सेना प्रमुख को प्रतीकात्मक रूप से राखी बांधी, जो एकता और बलिदान की भावना का प्रतीक बना।
जैसलमेर में रक्षाबंधन का यह उत्सव केवल राखी बांधने तक सीमित नहीं रहा। स्थानीय महिलाओं ने जवानों के साथ बातचीत की, उनके अनुभव सुने और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। जवानों ने भी इस स्नेह को पूरे दिल से स्वीकार किया। एक बीएसएफ जवान ने बताया कि सीमा पर तैनाती के दौरान परिवार से दूरी का दुख होता है, लेकिन जब स्थानीय लोग और बच्चियां राखी बांधने आती हैं, तो उन्हें लगता है कि उनका परिवार और बड़ा हो गया है। इस दौरान कई जवान और राखी बांधने आई बहनें भावुक हो उठीं।
सीमा पर तैनात महिला जवान भी इस पर्व में पीछे नहीं रहीं। भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात बीएसएफ की महिला जवान कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान, रेगिस्तानी आंधियों और चुनौतीपूर्ण हालातों के बावजूद, वे पुरुष जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। इन महिला जवानों ने अपने पुरुष सहकर्मियों को राखी बांधकर न केवल त्योहार मनाया, बल्कि महिला सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत किया। एक महिला जवान ने कहा कि वर्दी पहनकर देश की सेवा करना उनके लिए गर्व की बात है, और रक्षाबंधन जैसे अवसर उनके बंधन को और मजबूत करते हैं।
रक्षाबंधन के इस उत्सव में 1040 किलोमीटर की सीमा पर तैनात करीब 8 हजार जवानों की कलाइयों पर रक्षासूत्र बांधे गए। 296 सीमा चौकियों और 50 बीएसएफ हेडक्वार्टर व बटालियन मुख्यालयों पर यह पर्व धूमधाम से मनाया गया। सीमाजन कल्याण समिति जैसे संगठनों ने भी हर चौकी तक पहुंचकर जवानों को राखी बांधी। इस दौरान जवानों ने राष्ट्रीय गान गाकर और देशभक्ति के गीतों के साथ अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
Also Read- कुल्लू में भूस्खलन ने मचाई तबाही- हनोगी सुरंग में फंसे वाहन, सैकड़ों लोग खतरे में।
What's Your Reaction?