महात्मा गांधी की अनोखी तैलचित्र की लंदन में नीलामी- 1.75 करोड़ रुपये में बिकी 1931 की पेंटिंग।
Mahatma Gandhi oil painting: लंदन में 15 जुलाई 2025 को बोनहम्स नीलामी घर में महात्मा गांधी की एक दुर्लभ तैलचित्र की ऑनलाइन नीलामी हुई, जो 152,800 पाउंड...
लंदन में 15 जुलाई 2025 को बोनहम्स नीलामी घर में महात्मा गांधी की एक दुर्लभ तैलचित्र की ऑनलाइन नीलामी हुई, जो 152,800 पाउंड (लगभग 1.75 करोड़ रुपये) में बिकी। यह पेंटिंग, जिसे ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन ने 1931 में बनाया था, माना जाता है कि यह एकमात्र तैलचित्र है, जिसके लिए गांधी ने कई बार बैठकर पोज़ दिया। इसकी अनुमानित कीमत 50,000 से 70,000 पाउंड (57 लाख से 80 लाख रुपये) थी, लेकिन यह तिगुनी कीमत पर बिकी। यह पेंटिंग गांधी के 1931 के लंदन दौरे के दौरान बनाई गई थी, जब वे दूसरी राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आए थे। इसे बोनहम्स के ट्रैवल एंड एक्सप्लोरेशन सेल में सबसे महंगा आइटम घोषित किया गया।
1931 में महात्मा गांधी भारत की संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए लंदन में आयोजित दूसरी राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे। इस दौरान ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन को गांधी से मिलने और उनकी पेंटिंग बनाने का मौका मिला। लीटन की मुलाकात गांधी से उनके साथी, राजनीतिक पत्रकार हेनरी नोएल ब्रेल्सफोर्ड के माध्यम से हुई, जो भारत की आजादी के समर्थक थे। ब्रेल्सफोर्ड ने 1930 में भारत की यात्रा की थी और अपनी Rebel India पुस्तक लिखी थी।
क्लेयर लीटन, जो मुख्य रूप से अपनी लकड़बग्घी कला (वुड एनग्रेविंग) के लिए जानी जाती थीं, को गांधी के कार्यालय में कई बार उनके साथ बैठने और स्केच करने का अवसर मिला। इस पेंटिंग में गांधी को सफेद चादर में लिपटे, नंगे सिर, एक उंगली उठाए और हल्की मुस्कान के साथ बैठे हुए दिखाया गया है, जो उनकी विशेष शैली को दर्शाता है। यह चित्र नवंबर 1931 में लंदन के एल्बनी गैलरी में प्रदर्शित किया गया था, जहां इसे पत्रकार विनिफ्रेड होल्टबी ने सराहा। होल्टबी ने अपने कॉलम में लिखा, “छोटा सा व्यक्ति नंगे सिर, अपनी चादर में बैठा है, एक उंगली उठी हुई, जैसे वह कोई बात जोर देकर कह रहा हो, उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान।”
गांधी के निजी सचिव महादेव देसाई ने लीटन को एक पत्र लिखा, जो अब पेंटिंग के पीछे चिपका हुआ है। पत्र में लिखा था, “आपको कई सुबहों तक गांधी जी का चित्र बनाने के लिए यहाँ देखना बहुत अच्छा लगा। मुझे अंतिम परिणाम नहीं देखने का अफसोस है, लेकिन मेरे कई दोस्तों ने कहा कि यह बहुत अच्छा चित्र है।”
यह पेंटिंग पहली बार नीलामी में आई थी, क्योंकि यह 1989 में लीटन की मृत्यु तक उनकी निजी संग्रह में रही और फिर उनके परिवार को विरासत में मिली। बोनहम्स के सेल प्रमुख रयानोन डेमरी ने कहा, “यह गांधी का एकमात्र तैलचित्र है, जिसके लिए वे बैठे थे। यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण कृति है, जो गांधी के लोगों से जुड़ने की शक्ति और उस ऐतिहासिक क्षण को दर्शाती है।” नीलामी 7 से 15 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन चली, और इस चित्र ने दुनिया भर में भारी रुचि पैदा की।
पेंटिंग की कीमत ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि यह अनुमानित मूल्य से तीन गुना अधिक में बिकी। बोनहम्स ने खरीदार की पहचान नहीं बताई, और यह स्पष्ट नहीं है कि पेंटिंग को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाएगा या नहीं।
लीटन के परिवार के अनुसार, 1974 में इस पेंटिंग को सार्वजनिक प्रदर्शनी के दौरान एक RSS कार्यकर्ता ने चाकू से हमला कर क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद, 1974 में लिमन एलिन म्यूजियम कंजर्वेशन लैबोरेटरी ने इसे बहाल किया। इस हमले ने पेंटिंग के ऐतिहासिक मूल्य को और बढ़ा दिया, क्योंकि यह गांधी के प्रति कुछ हिंदू कट्टरपंथियों की नाराजगी को दर्शाता है, जो उन्हें भारत-पाकिस्तान विभाजन के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
पेंटिंग को 1931 में एल्बनी गैलरी में प्रदर्शित किया गया था, जहां इसे सरोजिनी नायडू और अन्य भारतीय प्रतिनिधियों ने देखा। इसके बाद, इसे 1978 में बोस्टन पब्लिक लाइब्रेरी में लीटन के कार्यों की प्रदर्शनी में फिर से प्रदर्शित किया गया। 1974 के हमले के बाद से यह ज्यादा सार्वजनिक नहीं हुई थी, जिसने इसकी दुर्लभता और नीलामी में रुचि को बढ़ाया।
क्लेयर लीटन (1898-1989) एक ब्रिटिश-अमेरिकी कलाकार, लेखिका और चित्रकार थीं। लंदन में जन्मीं, वे लेखक रॉबर्ट और मैरी कॉनर लीटन की बेटी थीं। उन्होंने ब्राइटन कॉलेज ऑफ आर्ट, स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट, और सेंट्रल स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स में पढ़ाई की। वे अपनी लकड़बग्घी कला के लिए प्रसिद्ध थीं और उन्होंने ग्रामीण जीवन पर कई किताबें लिखीं और चित्रित कीं।
इस नीलामी ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। X पर @IndiaToday ने लिखा, “महात्मा गांधी का दुर्लभ चित्र 1.75 करोड़ रुपये में बिका, जो अनुमान से दोगुना से अधिक है।” @AIRNewsHindi ने इसे गांधी का एकमात्र तैलचित्र बताया, जो उनकी लंदन यात्रा के दौरान बनाया गया था।
यह पेंटिंग न केवल गांधी की विरासत को दर्शाती है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण क्षण को भी जीवित रखती है। कुछ लोग इसे भारत वापस लाने की बात कर रहे हैं, ताकि इसे अधिक लोग देख सकें। लीटन के भतीजे कैस्पर लीटन ने कहा, “इस चित्र की कहानी मेरे परिवार की कहानी से कहीं बड़ी है। शायद इसका असली घर भारत है।”
महात्मा गांधी की यह दुर्लभ तैलचित्र, जो 1931 में क्लेयर लीटन द्वारा बनाई गई थी, नीलामी में 1.75 करोड़ रुपये में बिकने के साथ एक ऐतिहासिक कृति साबित हुई। यह पेंटिंग गांधी के जीवन और उनके अहिंसक स्वतंत्रता संग्राम की भावना को जीवित रखती है। 1974 में हुए हमले और बाद में इसके पुनर्स्थापन ने इसकी कहानी को और रोचक बना दिया। यह नीलामी गांधी की वैश्विक अपील और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के महत्व को दर्शाती है। भविष्य में इस चित्र को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपलब्ध कराने की उम्मीद है, ताकि यह और लोगों को प्रेरित कर सके।
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