Politics: सपा की 'पीडीए पाठशाला' पर ओम प्रकाश राजभर का तीखा तंज, बोले- यह परिवार विकास प्राधिकरण मात्र।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष

Oct 5, 2025 - 11:25
 0  29
Politics: सपा की 'पीडीए पाठशाला' पर ओम प्रकाश राजभर का तीखा तंज, बोले- यह परिवार विकास प्राधिकरण मात्र।
सपा की 'पीडीए पाठशाला' पर ओम प्रकाश राजभर का तीखा तंज, बोले- यह परिवार विकास प्राधिकरण मात्र।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा) की 'पीडीए पाठशाला' पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने सपा के 'पीडीए' फॉर्मूले को 'परिवार विकास प्राधिकरण' करार देते हुए कहा कि यह पिछड़ी जातियों और दलितों के उत्थान का नहीं, बल्कि यादव परिवार के हितों को बढ़ावा देने का माध्यम मात्र है। राजभर का यह बयान हाल ही में लखनऊ में एक सभा के दौरान आया, जहां उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने व्यंग्यपूर्ण ढंग से कहा कि इस पाठशाला में 'ए' से अखिलेश, 'डी' से डिंपल और 'पी' से परिवार पढ़ाया जाता है।

ओम प्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश की राजनीति के एक प्रमुख चेहरे हैं। वे पंचायती राज विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं और सुभासपा के माध्यम से पिछड़ी और दलित वर्गों के मुद्दों को उठाते रहते हैं। 2017 में अपनी पार्टी के साथ भाजपा के साथ गठबंधन कर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले फिर से गठबंधन में शामिल हो गए। राजभर का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वे राजभर समाज के प्रमुख नेता हैं, जो पूर्वांचल में काफी प्रभाव रखता है। राजभर ने हमेशा से ही सपा और बसपा पर पिछड़ों के शोषण का आरोप लगाते आए हैं। उनका ताजा बयान भी इसी कड़ी का हिस्सा है, जो सपा की रणनीति पर सवाल खड़े करता है।

समाजवादी पार्टी ने हाल ही में 'पीडीए पाठशाला' अभियान शुरू किया है। 'पीडीए' का पूरा नाम पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है, जो सपा का पिछली विधानसभा चुनावों में सफल रहा फॉर्मूला है। इस अभियान के तहत पार्टी के नेता गांव-गांव जाकर छोटी-छोटी पाठशालाएं चला रहे हैं। इन पाठशालाओं का उद्देश्य बताया जाता है कि बच्चों को सामाजिक न्याय, समानता और पिछड़ों के अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाए। हालांकि, विवाद तब पैदा हुआ जब इन पाठशालाओं में पारंपरिक शिक्षा के बजाय राजनीतिक संदेश दिए जाने लगे। उदाहरण के लिए, सहारनपुर, कानपुर और अन्य जिलों में वीडियो वायरल हुए, जिनमें बच्चे 'ए फॉर अखिलेश', 'डी फॉर डिंपल', 'एम फॉर मुलायम' जैसे वाक्य दोहराते दिखे। सपा का दावा है कि यह शिक्षा का नया रूप है, जो बच्चों को सामाजिक मूल्यों से जोड़ेगा। लेकिन विपक्ष इसे प्रचार का साधन मानता है।

राजभर ने अपने बयान में कहा कि सपा का यह पीडीए फॉर्मूला महज एक दिखावा है। उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव किस पीडीए की बात करते हैं? उनके लिए तो पीडीए का मतलब परिवार विकास प्राधिकरण है। वे पिछड़ों के नाम पर सिर्फ उनका वोट लेते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनका कोई भला नहीं करते।" उन्होंने आगे जोड़ा कि सपा सरकार के समय में 56 एसडीएम यादव समुदाय से बनाए गए, लेकिन अन्य पिछड़ी जातियों को क्या मिला? राजभर ने प्रजापति, पाल, चौहान, लोहार, विश्वकर्मा, निषाद, बिंद, केवट, मल्लाह, कश्यप, अरखवंशी, बंजारा, बहेलिया, मौर्य, सैनी, माली, कुशवाहा जैसी जातियों का जिक्र करते हुए पूछा कि इनके लिए क्या व्यवस्था है? उनका कहना था कि सपा ने हमेशा से पिछड़ों का शोषण किया है। वे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन पद और सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।

यह बयान राजभर का पहला हमला नहीं है। पहले भी वे सपा पर इसी तरह के आरोप लगा चुके हैं। जून 2025 में गाजीपुर में एक सभा में उन्होंने कहा था कि अखिलेश का पीडीए सिर्फ परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी है। तब उन्होंने मुसलमानों का भी जिक्र किया था कि सपा सत्ता में आने के बाद उन्हें झोला थमा देती है। नवंबर 2024 में वाराणसी में उपचुनावों के संदर्भ में राजभर ने कटेहरी, मझवा और करहल सीटों का उदाहरण देते हुए कहा कि सपा ने परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिए। उन्होंने शिवपाल यादव के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सपा अब मुलायम सिंह यादव वाली पार्टी नहीं रही, बल्कि अखिलेश की निजी दुकान बन गई है। अगस्त 2025 में एक अन्य बयान में राजभर ने सपा की राजनीति को अत्याचार पर आधारित बताया।

सपा की ओर से 'पीडीए पाठशाला' को लेकर काफी विवाद हो चुका है। जुलाई 2025 में सहारनपुर में सपा नेता फरहाद आलम गाढ़ा ने एक अनधिकृत पाठशाला चलाई, जहां बच्चों को राजनीतिक शिक्षा दी गई। वीडियो वायरल होने पर स्थानीय निवासी रामबाबू मित्तल ने शिकायत की कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। पुलिस ने देहात कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया। अपर पुलिस अधीक्षक व्योम बिंदल ने पुष्टि की कि बच्चों को 'ए फॉर अखिलेश', 'बी फॉर बाबासाहेब', 'सी फॉर चौधरी चरण सिंह', 'डी फॉर डिंपल' और 'एम फॉर मुलायम' पढ़ाया जा रहा था। सपा ने इसे सामाजिक जागरूकता का प्रयास बताया, लेकिन योगी सरकार ने इसे सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ विरोध का हिस्सा माना।

कानपुर में भी इसी तरह का मामला सामने आया। अगस्त 2025 में सपा नेत्री रचना सिंह गौतम ने बिल्हौर विकासखंड के शाहमपुर गढ़ी गांव में प्राइमरी स्कूल के बाहर पीडीए पाठशाला लगाई। शिक्षा विभाग ने इसे बिना अनुमति के आयोजन बताते हुए एफआईआर दर्ज की। रचना सिंह ने कहा कि सरकार स्कूल बंद करवा रही है, जबकि वे शिक्षा दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने खुद सोशल मीडिया पर इसका वीडियो शेयर किया था, जिसमें लिखा था, "बच्चे-बच्चे ने पुकारा पीडीए पाठशाला, हम सबके उज्ज्वल भविष्य का सहारा।" लेकिन अधिकारियों ने इसे बच्चों को गुमराह करने वाला बताया।

यह अभियान जून 2025 में शुरू हुआ, जब योगी सरकार ने कम नामांकन वाले प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया। सपा ने इसे शिक्षा के अधिकार पर हमला बताते हुए विरोध शुरू किया। पार्टी का कहना है कि पीडीए पाठशाला से बच्चों को सामाजिक न्याय के मूल सिखाए जाते हैं। इसमें बाबासाहेब आंबेडकर, चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं का जिक्र होता है, जो पिछड़ों के आंदोलन से जुड़े हैं। लेकिन राजभर जैसे नेता इसे सपा का प्रचार स्टंट मानते हैं। वे कहते हैं कि सपा पिछड़ों के नाम पर सत्ता हासिल करती है, लेकिन विकास में उनका कोई योगदान नहीं देती।

राजभर का यह तंज भाजपा की रणनीति का हिस्सा लगता है। 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा पिछड़ों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। सुभासपा के साथ गठबंधन से पूर्वांचल में राजभर समाज का समर्थन मिला है। राजभर ने हाल ही में मऊ लोकसभा सीट पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था, जो सपा के लिए चुनौती है। उनका कहना है कि सपा का पीडीए फॉर्मूला 2022 चुनावों में कामयाब रहा, लेकिन अब पिछड़े वर्ग जाग चुके हैं। वे परिवारवाद के खिलाफ हैं।

सपा की ओर से राजभर के बयान पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन अखिलेश यादव ने पहले भी राजभर पर तंज कसे हैं। सितंबर 2025 में राजभर के जन्मदिन पर अखिलेश ने कहा था, "क्या करूं, 100 रुपये भेज दूं?" यह बयान राजभर के सपा पर लगाए जाने वाले आरोपों का जवाब था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयान चुनावी माहौल को गर्म रखते हैं। पिछड़ों का वोट उत्तर प्रदेश में निर्णायक है, इसलिए दोनों पार्टियां इसे भुनाने की कोशिश कर रही हैं।

ओम प्रकाश राजभर ने अपने भाषण में योगी सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछड़ों के लिए आरक्षण, शिक्षा और रोजगार के नए अवसर दिए हैं। सपा के विपरीत यहां कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने इटावा की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। गौतम बुद्ध और बाबासाहेब अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलते हुए सरकार काम कर रही है।

Also Read- लालू परिवार में बढ़ी खटास- तेज प्रताप ने तेजस्वी को सुनाई राम-लक्ष्मण की मर्यादा, कहा- बड़े भाई का सम्मान करें

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow