बिहार चुनाव से पहले नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान- कर्मचारियों का DA 3% बढ़ा, वकीलों को 5000 रुपये स्टाइपेंड; 129 प्रस्तावों पर मुहर।
बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने राज्य के लाखों लोगों को राहत देने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। यह बैठक बिहार विधानसभा
बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने राज्य के लाखों लोगों को राहत देने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई, जिसमें कुल 129 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। इनमें सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की वृद्धि सबसे प्रमुख है। इसके अलावा, नए वकीलों को तीन साल तक प्रतिमाह 5000 रुपये का स्टाइपेंड देने का निर्णय भी लिया गया। ये फैसले न केवल आर्थिक राहत प्रदान करेंगे, बल्कि युवाओं, छात्रों और कर्मचारियों के बीच सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने में भी मददगार साबित होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये कदम एनडीए सरकार की चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं, क्योंकि इससे राज्य के करीब पांच लाख कर्मचारियों और लाखों पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा। कैबिनेट बैठक के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने पत्रकारों को विस्तृत जानकारी दी।
कैबिनेट बैठक 3 अक्टूबर 2025 को दोपहर में हुई। इसमें सभी विभागों के मंत्री मौजूद थे। बैठक में कुल 129 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों से जुड़े थे। सबसे चर्चित निर्णय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते का था। वर्तमान में 55 प्रतिशत चल रहा डीए अब 58 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि 1 जुलाई 2025 से बैक डेट से लागू होगी। राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, इससे वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के खजाने पर 917.78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। लेकिन यह कदम केंद्र सरकार के हालिया डीए वृद्धि के अनुरूप है, जहां भी तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। बिहार में करीब 4.5 लाख नियमित कर्मचारी, 2 लाख संविदा कर्मचारी और 3 लाख से अधिक पेंशनभोगी इससे लाभान्वित होंगे। एक औसत कर्मचारी को इससे प्रतिमाह 1000 से 1500 रुपये की अतिरिक्त आय होगी। कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। बिहार राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि यह लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है।
नए वकीलों के लिए स्टाइपेंड का फैसला भी सराहनीय है। कैबिनेट ने 1 जनवरी 2024 या उसके बाद बार काउंसिल में पंजीकृत सभी नए अधिवक्ताओं को तीन वर्षों तक प्रतिमाह 5000 रुपये का स्टाइपेंड देने को मंजूरी दी। बिहार में हर साल करीब 5000 नए वकील पंजीकरण कराते हैं, जो ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इनमें से कई आर्थिक तंगी के कारण प्रैक्टिस शुरू नहीं कर पाते। इस स्टाइपेंड से उन्हें शुरुआती दिनों में आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे वे बिना चिंता के कानूनी क्षेत्र में आगे बढ़ सकेंगे। विधि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह योजना बिहार बार काउंसिल के सहयोग से लागू होगी। वकील संगठनों ने इसे ऐतिहासिक बताया। पटना हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि इससे युवा वकीलों को प्रोत्साहन मिलेगा और न्याय व्यवस्था मजबूत बनेगी।
इनके अलावा, कैबिनेट ने कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं को हरी झंडी दिखाई। स्नातक युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता 1000 रुपये प्रतिमाह बढ़ाकर 2000 रुपये किया गया। यह भत्ता 20 से 25 वर्ष की आयु के बेरोजगार युवाओं को पांच वर्षों तक मिलेगा। इससे राज्य के लाखों युवाओं को नौकरी की तलाश में आर्थिक मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री बालक-बालिका छात्रवृत्ति योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि को दोगुना कर दिया गया। कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को अब प्रतिमाह 1000 रुपये मिलेंगे, जबकि कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को 2000 रुपये। इससे करोड़ों स्कूली बच्चों को लाभ होगा। कैबिनेट ने बिहार वुड-बेस्ड इंडस्ट्रीज (स्थापना और नियमन) अधिनियम 2025 के नियमों को भी मंजूरी दी। इससे लकड़ी आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई प्रस्ताव भी पास हुए, जिनमें ग्रामीण अस्पतालों में नई सुविधाएं शामिल हैं।
ये फैसले बिहार चुनाव से पहले आर्थिक और सामाजिक राहत पैकेज के रूप में देखे जा रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने हैं। एनडीए सरकार, जिसमें जदयू और भाजपा मुख्य पार्टियां हैं, इन कदमों से वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि डीए वृद्धि से कर्मचारी वर्ग, जो राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा है, सरकार के पक्ष में झुक सकता है। स्टाइपेंड और बेरोजगारी भत्ता युवाओं को आकर्षित करेगा, जबकि छात्रवृत्ति से माता-पिता खुश होंगे। विपक्षी दल, जैसे राजद और कांग्रेस, ने इसे चुनावी स्टंट बताया। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर कहा कि ये फैसले आखिरी समय के हैं, असल में बिहार की समस्याएं जस की तस हैं। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि ये निर्णय पिछले कई महीनों से विचाराधीन थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक के बाद कहा कि सरकार जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
बिहार की अर्थव्यवस्था पर इन फैसलों का असर भी पड़ेगा। राज्य का बजट 2025-26 के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं पर 40 प्रतिशत खर्च होता है। डीए वृद्धि से खजाने पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन केंद्र से मिलने वाली सहायता से इसे संभाला जा सकेगा। बेरोजगारी भत्ता योजना से युवाओं को नौकरी की तैयारी में मदद मिलेगी। बिहार में बेरोजगारी दर 15 प्रतिशत से ऊपर है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। वकीलों के स्टाइपेंड से न्यायिक क्षेत्र मजबूत होगा। पटना हाईकोर्ट में वकीलों की संख्या 50 हजार से अधिक है, लेकिन नए वकीलों को संघर्ष करना पड़ता है। कैबिनेट ने पर्यावरण और कृषि से जुड़े प्रस्ताव भी पास किए। किसानों को फसल बीमा योजना में नई छूट दी गई है। ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों में नई सड़कें बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए।
ये फैसले बिहार के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेंगे। महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 2500 करोड़ रुपये वितरित किए गए, जिसका जिक्र बैठक में हुआ। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिक उपचार केंद्रों को अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया। शिक्षा विभाग ने डिजिटल क्लासरूम स्थापित करने के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया। कैबिनेट ने श्रम विभाग के कई प्रस्तावों को भी मंजूरी दी, जिसमें मजदूरों के लिए नई पेंशन योजना शामिल है। ये कदम ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को लाभ पहुंचाएंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा विकास और कल्याण पर जोर दिया है। उनकी सरकार ने पिछले दस वर्षों में कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जो गरीबों को सशक्त बनाने वाली हैं। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि कार्यान्वयन में कमी है।
राजनीतिक हलचल के बीच ये फैसले एनडीए के लिए सकारात्मक साबित हो सकते हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये निर्णय जनता की मांगों को पूरा करते हैं। भाजपा ने भी समर्थन जताया। दूसरी ओर, महागठबंधन ने कहा कि चुनाव के बाद ये वादे भूल जाएंगे। सोशल मीडिया पर NitishCabinet और BiharDAHike ट्रेंड कर रहे हैं। लोग खुशी जता रहे हैं, लेकिन कुछ सवाल भी उठा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि कर्मचारियों को राहत मिली, लेकिन किसानों को और मदद चाहिए। सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी वर्गों के लिए योजनाएं हैं।
ये फैसले बिहार के भविष्य को आकार देंगे। डीए वृद्धि से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, स्टाइपेंड से वकील युवा प्रेरित होंगे। छात्रवृत्ति से शिक्षा का स्तर सुधरेगा। बेरोजगारी भत्ता से युवा सशक्त होंगे। कैबिनेट के ये 129 निर्णय राज्य विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। आशा है कि इन्हें जल्द लागू किया जाएगा और बिहार प्रगति की राह पर चलेगा। चुनावी माहौल में ये कदम सरकार की प्रतिबद्धता दिखाते हैं। नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार बदल रहा है, और ये फैसले उस बदलाव का हिस्सा हैं।
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