दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बॉलीवुड सितारों की आवाज, जॉन अब्राहम ने लिखा पत्र।
Delhi: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर में रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देशभर में बहस छेड़ दी है। इस फैसले के...
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर में रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देशभर में बहस छेड़ दी है। इस फैसले के बाद जहां कुछ लोग इसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं, वहीं कई लोग इसे कुत्तों के प्रति क्रूरता करार दे रहे हैं। इस मुद्दे पर बॉलीवुड और टीवी सितारों ने भी अपनी आवाज बुलंद की है। जॉन अब्राहम, जाह्नवी कपूर, वरुण धवन, रुपाली गांगुली, धनश्री वर्मा और रवीना टंडन जैसे सितारों ने इस आदेश की आलोचना की है और इसे पुनर्विचार करने की मांग की है। खास तौर पर जॉन अब्राहम ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को पत्र लिखकर इस फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर में रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को आठ सप्ताह के भीतर इस निर्देश को लागू करने के लिए कहा है। इस आदेश के तहत दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में ले जाया जाएगा, और इन्हें दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश का आधार कुत्तों के काटने और रेबीज के बढ़ते मामलों को बताया गया है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर हुए हमलों को लेकर कोर्ट ने इसे गंभीर स्थिति माना। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को 5,000 कुत्तों की क्षमता वाले शेल्टर बनाने, नसबंदी और टीकाकरण की सुविधा सुनिश्चित करने और सीसीटीवी निगरानी के साथ-साथ कुत्तों के काटने की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह फैसला न केवल 2023 के पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह कुत्तों के लिए अमानवीय भी है। एबीसी नियमों के तहत कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ने की बात कही गई है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। कार्यकर्ताओं का मानना है कि कुत्तों को शेल्टर में बंद करना उनकी आजादी छीनने और उन्हें भूख, बीमारी और मानसिक तनाव की ओर धकेलने जैसा है।
बॉलीवुड सितारों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। जॉन अब्राहम, जो लंबे समय से पशु कल्याण के लिए काम कर रहे हैं और पीईटीए इंडिया के पहले मानद निदेशक रह चुके हैं, ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि ये कुत्ते आवारा नहीं, बल्कि सामुदायिक कुत्ते हैं, जो दिल्ली-एनसीआर के लोगों के साथ पीढ़ियों से रहते आए हैं। उन्होंने इन्हें दिल्ली का हिस्सा बताते हुए कहा कि इन्हें शेल्टर में बंद करना या दूर भेजना न तो व्यावहारिक है और न ही मानवीय। जॉन ने अपने पत्र में बताया कि एबीसी नियमों के तहत नसबंदी और टीकाकरण ही कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने और रेबीज रोकने का वैज्ञानिक तरीका है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जयपुर में 70% और लखनऊ में 84% कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जॉन ने कोर्ट से इस आदेश पर पुनर्विचार करने और एबीसी नियमों को लागू करने की अपील की, जो जन स्वास्थ्य और पशु कल्याण दोनों की रक्षा करता है। जाह्नवी कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा कि ये कुत्ते कोई खतरा नहीं, बल्कि समाज का हिस्सा हैं। वे दुकानों की रक्षा करते हैं, बच्चों के साथ खेलते हैं और अकेले लोगों को सहारा देते हैं। उन्होंने कहा कि कुत्तों को शेल्टर में बंद करना उनकी आजादी छीनने और उन्हें दुख देने जैसा है। जाह्नवी ने नसबंदी, टीकाकरण, सामुदायिक भोजन क्षेत्र और गोद लेने के अभियानों को असल समाधान बताया। वरुण धवन ने भी जाह्नवी की पोस्ट को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर साझा करते हुए इस आदेश को कुत्तों के लिए “मृत्यु दंड” करार दिया।
टीवी अभिनेत्री रुपाली गांगुली, जो खुद कई कुत्तों की देखभाल करती हैं, ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कुत्तों को मंदिरों और घरों का रक्षक माना जाता है। उन्होंने इस आदेश को अमानवीय बताते हुए कहा कि यह कुत्तों को भूख और तनाव की ओर ले जाएगा। धनश्री वर्मा ने दिल्ली के लोगों से अपील की कि वे सड़कों पर रहने वाले कुत्तों को गोद लें, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। रवीना टंडन ने स्थानीय प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर नसबंदी और टीकाकरण के कार्यक्रम सही तरीके से लागू किए गए होते, तो यह स्थिति नहीं आती। अन्य सितारों जैसे सान्या मल्होत्रा, सिद्धार्थ आनंद, चिन्मयी श्रीपदा, श्रिया पिलगांवकर, मोहित चौहान, भूमि पेडनेकर, अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी, विजय वर्मा और जोया अख्तर ने भी इस आदेश की आलोचना की। सिद्धार्थ आनंद ने इसे “नरसंहार” करार देते हुए जनता से याचिका शुरू करने की मांग की। चिन्मयी ने इसे कुत्तों के लिए “मृत्यु दंड” बताया और कहा कि लोग नस्ल वाले कुत्तों को भी छोड़ देते हैं। श्रिया पिलगांवकर ने कहा कि भारत में शेल्टर की स्थिति खराब है और कुत्तों को वहां भेजना उनके लिए तकलीफदेह होगा। मोहित चौहान ने इसे मानवीय मूल्यों के खिलाफ बताया और कहा कि यह समस्या मनुष्यों द्वारा बनाई गई है।
पशु कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली में करीब 10 लाख कुत्ते हैं, और इतनी बड़ी संख्या में उन्हें शेल्टर में रखना संभव नहीं है। शेल्टर में जगह, भोजन और देखभाल की कमी के कारण कुत्तों को भूख और बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, कुत्तों को उनके परिचित क्षेत्र से हटाने से नए, गैर-नसबंदी वाले कुत्ते उन क्षेत्रों में आ सकते हैं, जिससे रेबीज और काटने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। कार्यकर्ताओं ने नसबंदी, टीकाकरण और गोद लेने के अभियानों को बढ़ावा देने की मांग की है।
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