नीदरलैंड में राजनीतिक संकट- गीर्ट विल्डर्स के समर्थन वापस लेने से सरकार गिरी, पीएम डिक स्कोफ ने दिया इस्तीफा। 

नीदरलैंड की राजनीति में उथल-पुथल मच गई जब कट्टर दक्षिणपंथी नेता गीर्ट विल्डर्स ने अपनी पार्टी, पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी), को सत्तारूढ़ ....

Jun 4, 2025 - 11:28
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नीदरलैंड में राजनीतिक संकट- गीर्ट विल्डर्स के समर्थन वापस लेने से सरकार गिरी, पीएम डिक स्कोफ ने दिया इस्तीफा। 

Viral News:  नीदरलैंड की राजनीति में उथल-पुथल मच गई जब कट्टर दक्षिणपंथी नेता गीर्ट विल्डर्स ने अपनी पार्टी, पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी), को सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग कर लिया। इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री डिक स्कोफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देश में समय से पहले चुनाव की स्थिति बन गई है। यह गठबंधन, जिसमें पीवीवी, वीवीडी (पीपुल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी), एनएससी (न्यू सोशल कॉन्ट्रैक्ट), और बीबीबी (फार्मर-सिटिजन मूवमेंट) शामिल थे, केवल 11 महीने तक सत्ता में रह सका। नीदरलैंड की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार नवंबर 2023 के आम चुनावों के बाद बनी थी, जिसमें गीर्ट विल्डर्स की पीवीवी ने 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सबको चौंका दिया था।

हालांकि, विल्डर्स की विवादास्पद छवि और उनके इस्लाम-विरोधी बयानों के कारण अन्य दलों ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया। इसके बजाय, एक समझौते के तहत डिक स्कोफ, जो एक अननिर्वाचित नौकरशाह और पूर्व में डच खुफिया एजेंसी AIVD के प्रमुख थे, को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह गठबंधन शुरू से ही अस्थिर था, क्योंकि विल्डर्स ने बार-बार सरकार की नीतियों, विशेष रूप से आप्रवासन (इमिग्रेशन) नीति, पर असंतोष जताया। विल्डर्स ने पिछले सप्ताह एक 10-सूत्री योजना प्रस्तुत की थी, जिसमें सभी शरण (असाइलम) आवेदनों को अस्वीकार करना, सीरियाई शरणार्थियों को वापस भेजना, शरणार्थी केंद्रों को बंद करना, और डच सीमाओं पर सेना तैनात करना शामिल था। उन्होंने गठबंधन के अन्य दलों से इस योजना पर तत्काल सहमति की मांग की, लेकिन जब अन्य दलों ने इसे अस्वीकार कर दिया, तो विल्डर्स ने मंगलवार सुबह घोषणा की, "कोई हस्ताक्षर नहीं, कोई समझौता नहीं। पीवीवी गठबंधन छोड़ रही है।"

  • सरकार का पतन और स्कोफ का इस्तीफा

विल्डर्स के इस फैसले के बाद, प्रधानमंत्री डिक स्कोफ ने आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद, उन्होंने घोषणा की कि वह और उनकी सरकार किंग विलेम-अलेक्जेंडर को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। स्कोफ ने विल्डर्स के फैसले को "अनावश्यक और गैर-जिम्मेदाराना" करार दिया। उन्होंने कहा, "हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में सरकार को गिराना अनुचित है।" स्कोफ ने यह भी कहा कि पीवीवी के मंत्रियों के इस्तीफे के बाद, शेष मंत्री एक कार्यवाहक सरकार के रूप में काम करेंगे, जब तक कि नए चुनाव नहीं हो जाते। यह चुनाव संभवतः अक्टूबर 2025 से पहले नहीं होंगे। स्कोफ की कार्यवाहक सरकार को अब सीमित अधिकारों के साथ काम करना होगा, जिसमें कोई नई नीति लागू करने की शक्ति नहीं होगी। यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है, जब नीदरलैंड को इस महीने के अंत में हेग में नाटो शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी है, जहां रक्षा खर्च बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है।

  • गठबंधन सहयोगियों की प्रतिक्रियाएं

विल्डर्स के इस कदम से गठबंधन के अन्य दलों में गुस्सा और निराशा देखी गई। वीवीडी की नेता दिलन येसिलगोज ने इसे "अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना" बताया और कहा, "हमारे पास दक्षिणपंथी बहुमत था, और विल्डर्स ने अपने अहंकार के लिए इसे बर्बाद कर दिया। यूरोप में युद्ध चल रहा है, आर्थिक संकट की आशंका है, और ऐसे समय में वह देश के हितों को दरकिनार कर रहे हैं।" एनएससी की नेता निकोलियन वैन व्रूनहोवन ने इसे "अविश्वसनीय और समझ से परे" करार दिया। उन्होंने कहा, "यह समय देश को एकजुट करने और जिम्मेदारी लेने का था, लेकिन विल्डर्स ने गठबंधन को तोड़कर गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया।" बीबीबी की नेता कैरोलिन वैन डर प्लास ने भी विल्डर्स पर निशाना साधा और कहा, "वह नीदरलैंड को वामपंथियों के हवाले कर रहे हैं। यह पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है।"

  • विल्डर्स का रुख

गीर्ट विल्डर्स ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैंने सबसे सख्त शरण नीति का वादा किया था, न कि नीदरलैंड के पतन का। जब मेरे सहयोगी मेरी योजनाओं पर सहमत नहीं हुए, तो मेरे पास गठबंधन छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।" उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह आगामी चुनावों में हिस्सा लेंगे और उनका लक्ष्य पीवीवी को और मजबूत कर प्रधानमंत्री बनना है।विल्डर्स की यह रणनीति कुछ विश्लेषकों को सोची-समझी लगती है। चैथम हाउस की यूरोप प्रोग्राम की प्रमुख आर्मिडा वैन रिज का मानना है कि विल्डर्स ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि उनकी पार्टी की लोकप्रियता हाल के सर्वेक्षणों में 20% तक गिर गई है, जो विपक्षी लेबर/ग्रीन लेफ्ट गठबंधन के बराबर है। उन्होंने शायद यह सोचा कि सरकार को गिराकर और आप्रवासन के मुद्दे पर चुनाव को एक जनमत संग्रह बनाकर, वह अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

यह संकट नीदरलैंड के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, खासकर तब जब यूरोप में दक्षिणपंथी पॉपुलिज्म का उभार देखा जा रहा है। हाल ही में पोलैंड में नेशनलिस्ट कंजर्वेटिव कैरोल नावरोकी की जीत ने दक्षिणपंथी नेताओं को और प्रोत्साहित किया है। नीदरलैंड में आप्रवासन और जीवन-यापन की लागत जैसे मुद्दों ने राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दिया है, और यह संकट यूरोप में एकता को प्रभावित कर सकता है, खासकर रूस के साथ तनाव और अमेरिका के साथ व्यापारिक अनिश्चितताओं के समय। कानूनी विशेषज्ञों ने विल्डर्स की कई प्रस्तावित नीतियों, जैसे सभी शरण आवेदनों को अस्वीकार करना और सीरियाई शरणार्थियों को वापस भेजना, को यूरोपीय मानवाधिकार कानूनों और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि के उल्लंघन के रूप में देखा है। इससे नीदरलैंड की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर पड़ सकता है।

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एबीएन एमरो बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सैंड्रा फिलिपेन ने कहा कि सरकार के पतन का तत्काल आर्थिक प्रभाव सीमित हो सकता है, क्योंकि इस सरकार ने अपने 11 महीनों में कोई ठोस नीतियां लागू नहीं की थीं। हालांकि, डच सेंट्रल बैंक ने चेतावनी दी है कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। डच अर्थव्यवस्था इस साल 1.5% की वृद्धि की उम्मीद कर रही है, लेकिन यह संकट अनिश्चितता को बढ़ा सकता है। सामाजिक स्तर पर, यह संकट आप्रवासन के मुद्दे को और उभार सकता है। विल्डर्स की नीतियां, जैसे मस्जिदों, इस्लामी स्कूलों और हिजाब पर प्रतिबंध, पहले से ही विवादास्पद रही हैं। 2016 में उन्हें मोरक्कन समुदाय के खिलाफ भेदभाव भड़काने का दोषी ठहराया गया था।

जनवरी 2024 तक, नीदरलैंड में लगभग 30 लाख लोग विदेश में पैदा हुए थे, जिनमें से 1,76,000 मोरक्को में जन्मे थे। गीर्ट विल्डर्स के गठबंधन से हटने और डिक स्कोफ के इस्तीफे ने नीदरलैंड को एक अनिश्चित राजनीतिक दौर में धकेल दिया है। यह संकट न केवल नीदरलैंड की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि यूरोप में दक्षिणपंथी उभार और आप्रवासन नीतियों पर बहस को भी तेज करेगा। कार्यवाहक सरकार के सामने नाटो शिखर सम्मेलन और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने की जिम्मेदारी होगी, जबकि विल्डर्स की नजर आगामी चुनावों पर है। यह देखना बाकी है कि क्या मतदाता विल्डर्स को और मजबूत करेंगे या एक उदारवादी सरकार की ओर रुख करेंगे। नीदरलैंड अब एक नए राजनीतिक अध्याय की ओर बढ़ रहा है, जहां आप्रवासन, राष्ट्रीय हित और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां केंद्र में रहेंगी।

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