देश- विदेश: शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा- 10 जून 2025 को ISS के लिए उड़ान, 14 दिनों तक रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 10 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन...

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 10 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरने वाले हैं, जो भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। यह मिशन, जिसे एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के नाम से जाना जाता है, नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के माध्यम से 10 जून 2025 को शाम 5:52 बजे IST (8:22 बजे EDT) लॉन्च होगा। यह मिशन पहले 29 मई को निर्धारित था, जिसे बाद में 8 जून और फिर मौसम की खराबी और अंतरिक्ष यान की अंतिम प्रक्रिया के कारण 10 जून को स्थानांतरित किया गया। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट होंगे और 14 दिनों तक ISS पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।
- मिशन का विवरण और देरी का कारण
एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) एक निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन है, जिसे नासा, स्पेसएक्स, और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। यह मिशन चार अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक ले जाएगा, जिसमें शुभांशु शुक्ला (भारत), कमांडर पैगी व्हिटसन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री, अमेरिका), मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज़नांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कपु (हंगरी) शामिल हैं। यह मिशन पोलैंड और हंगरी के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि यह इन देशों के पहले ISS मिशन हैं।
मिशन की शुरुआत पहले 29 मई 2025 को निर्धारित थी, लेकिन अंतरिक्ष यान की तकनीकी तैयारियों और ISS की उड़ान अनुसूची की समीक्षा के बाद इसे 8 जून को स्थगित किया गया। 3 जून 2025 को, एक्सिओम स्पेस ने घोषणा की कि खराब मौसम और स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान की अंतिम प्रक्रिया के कारण लॉन्च को 10 जून 2025 तक के लिए टाल दिया गया है। नासा ने अपने बयान में कहा, "यह बदलाव स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के परिवहन के दौरान अनुमानित खराब मौसम और अंतरिक्ष यान की अंतिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए किया गया है।"
- शुभांशु शुक्ला: भारत के अंतरिक्ष नायक
शुभांशु शुक्ला, जो लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं, का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था। उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), पुणे से अपनी पढ़ाई पूरी की और जून 2006 में भारतीय वायु सेना (IAF) के फाइटर विंग में कमीशन प्राप्त किया। एक अनुभवी टेस्ट पायलट के रूप में, शुभांशु ने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, और An-32 जैसे विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव हासिल किया है। उन्होंने IISc बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M.Tech की डिग्री भी प्राप्त की है।
2019 में, ISRO ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों में से एक के रूप में चुना। उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर और ISRO के बैंगलोर स्थित अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में कठिन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद, उन्होंने स्पेसएक्स के कैलिफोर्निया मुख्यालय में उन्नत सिमुलेशन और प्रायोगिक प्रशिक्षण पूरा किया। शुभांशु का यह मिशन न केवल भारत के लिए, बल्कि उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह राकेश शर्मा के बाद (1984 में सोवियत सोयुज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्रा) दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।
- मिशन के उद्देश्य और वैज्ञानिक प्रयोग
Ax-4 मिशन के दौरान, शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ISS पर 14 दिनों तक रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से सात भारतीय संस्थानों द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी में मेथी (fenugreek) और मूंग (green gram) जैसे पारंपरिक भारतीय फसलों को उगाने के अध्ययन शामिल हैं। ये बीज अंतरिक्ष की परिस्थितियों में उगाए जाएंगे और पृथ्वी पर लौटने के बाद कई पीढ़ियों तक खेती की जाएगी, ताकि माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का अध्ययन किया जा सके। इसके अलावा, शुभांशु नासा के मानव अनुसंधान कार्यक्रम के तहत पांच संयुक्त अध्ययनों में भी भाग लेंगे, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में भौतिक, संज्ञानात्मक, और कार्यात्मक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन शामिल है।
शुभांशु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैं न केवल तकनीकी उपकरण, बल्कि 1.7 अरब भारतीयों की आकांक्षाएं और सपने लेकर जा रहा हूं। ये सात वैज्ञानिक प्रयोग माइक्रोग्रैविटी की समझ को बढ़ाएंगे और भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए रास्ता बनाएंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि वह मिशन के दौरान मango nectar, मूंग दाल हलवा, और गाजर हलवा जैसे भारतीय व्यंजन अपने साथ ले जाएंगे और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रतीकात्मक आइटम्स को भी अंतरिक्ष में ले जाएंगे।
- मिशन की तैयारियां और संगरोध
Ax-4 मिशन के लिए चालक दल 25 मई 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में दो सप्ताह के अनिवार्य संगरोध में प्रवेश कर चुका है। यह "हेल्थ स्टैबिलाइज़ेशन" प्रोटोकॉल सभी मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए मानक सुरक्षा उपाय है, जो यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यात्री किसी भी संक्रामक बीमारी से मुक्त हों, जो मिशन या ISS चालक दल को खतरे में डाल सकता है। संगरोध के दौरान, अंतरिक्ष यात्रियों को एक नियंत्रित वातावरण में रखा जाता है, जहां सख्त स्वच्छता प्रोटोकॉल, दैनिक स्वास्थ्य निगरानी, और बाहरी लोगों के साथ सीमित संपर्क होता है।
शुभांशु ने संगरोध से पहले एक्सिओम स्पेस कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा, "आप सभी के योगदान के लिए धन्यवाद। मैं व्यक्तिगत रूप से आपको नहीं जानता, लेकिन मैं समझता हूं कि आप में से प्रत्येक ने इस मिशन को सफल बनाने में योगदान दिया है।
- मिशन का महत्व और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वह न केवल ISS पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे, बल्कि यह मिशन भारत की गगनयान परियोजना के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा, जो 2027 में भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। इस मिशन की लागत लगभग 60 मिलियन डॉलर (500 करोड़ रुपये) है, जो भारत सरकार द्वारा निवेश की गई है।
केंद्रीय अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक "परिभाषित अध्याय" करार दिया। उन्होंने कहा, "शुभांशु शुक्ला का मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह गगनयान मिशन की तैयारियों और वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।"
इस मिशन की घोषणा के बाद, सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, भारतीयों ने शुभांशु शुक्ला और इस मिशन के प्रति उत्साह व्यक्त किया। @news24tvchannel ने लिखा, "शुभांशु शुक्ला 10 जून को जाएंगे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन। अब मिशन को 10 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी से शाम 5:52 बजे किया जाएगा लॉन्च।" @AIRNewsHindi ने लिखा, "केंद्रीय मंत्री @DrJitendraSingh ने घोषणा की कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ISS पर भोजन और पोषण से संबंधित प्रयोग करेंगे।"
कई यूजर्स ने इस मिशन को भारत की वैज्ञानिक प्रगति और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया। हालांकि, कुछ यूजर्स ने सामाजिक मुद्दों, जैसे आरक्षण, को जोड़कर टिप्पणी की, जैसे @Ankur_mishra32 ने लिखा, "इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला, देश में मेरिट की कद्र होती तो ये काम पहले ही हो जाता।"
शुभांशु शुक्ला की 10 जून 2025 को ISS के लिए उड़ान भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करेगा। शुभांशु ने भारतीयों से इस मिशन के प्रति उत्साहित और जिज्ञासु रहने की अपील की है, और वह अपने अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से साझा करने की योजना बना रहे हैं।
यह मिशन भारत की युवा पीढ़ी को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर प्रेरित करेगा और गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा। जैसा कि शुभांशु ने कहा, "यह 1.4 अरब लोगों की यात्रा है।" भारत इस मिशन के साथ अंतरिक्ष में एक नया अध्याय शुरू करने के लिए तैयार है।
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