दिल्ली के नरेला में स्विमिंग पूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप- दो आरोपी गिरफ्तार।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में एक निजी स्विमिंग पूल में तैराकी सीखने गई दो नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप की दिल दहला देने वाली...
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में एक निजी स्विमिंग पूल में तैराकी सीखने गई दो नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। पीड़ित लड़कियां, जिनकी उम्र 9 और 12 वर्ष है, अपने परिवार को इस भयावह घटना के बारे में बताने में हिचक रही थीं, क्योंकि आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और निजी संस्थानों में निगरानी की कमी जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
घटना उस समय हुई जब दोनों नाबालिग लड़कियां नरेला के एक निजी स्विमिंग पूल में तैराकी का अभ्यास करने गई थीं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, 9 वर्षीय पीड़िता नियमित रूप से इस स्विमिंग पूल में तैराकी सीखने जाती थी। उस दिन, एक आरोपी, जिसकी पहचान 37 वर्षीय अनिल के रूप में हुई है, पहले से ही वहां मौजूद था। उसने 9 वर्षीय लड़की को बहला-फुसलाकर एक कमरे में ले गया, जहां 12 वर्षीय एक अन्य लड़की पहले से ही मौजूद थी। यह दूसरी लड़की भी तैराकी सीखने के लिए स्विमिंग पूल में आई थी। अनिल ने दोनों लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान उसका 24 वर्षीय साथी मुनील भी वहां पहुंच गया और उसने भी दोनों नाबालिगों के साथ गैंगरेप की घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। दोनों आरोपियों ने पीड़िताओं को धमकी दी कि अगर उन्होंने इस घटना के बारे में किसी को बताया, तो उनकी जान ले ली जाएगी। इस डर के कारण दोनों लड़कियां कई दिनों तक चुप रहीं और अपने परिवार को इस भयावह अनुभव के बारे में कुछ नहीं बता सकीं।
पीड़िताओं में से एक की मां ने बताया कि उनकी 9 वर्षीय बेटी पहले नियमित रूप से स्विमिंग पूल में तैराकी का अभ्यास करने जाती थी, लेकिन इस घटना के बाद उसने वहां जाना बंद कर दिया। जब मां ने अपनी बेटी से बार-बार स्विमिंग पूल न जाने का कारण पूछा, तो बच्ची ने दबाव में आकर अपनी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि कैसे अनिल ने उसे और दूसरी लड़की को एक कमरे में ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म किया और फिर मुनील ने भी इस अपराध में हिस्सा लिया। इस खुलासे के बाद मां ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। दूसरी पीड़िता की ओर से भी परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत मिलने के बाद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों पीड़िताओं का मेडिकल परीक्षण करवाया, जिसने दुष्कर्म की पुष्टि की। इसके आधार पर, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376D (गैंगरेप), धारा 363 (अपहरण), धारा 506 (आपराधिक धमकी), और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए एक विशेष टीम का गठन किया, जिसका नेतृत्व सब-इंस्पेक्टर ज्योति ने किया। इस टीम ने दोनों आरोपियों, अनिल और मुनील, को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि दोनों आरोपी नरेला के स्थानीय निवासी हैं और स्विमिंग पूल में उनकी मौजूदगी नियमित थी। पुलिस ने यह भी जांच शुरू की है कि क्या इस निजी स्विमिंग पूल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी और क्या वहां बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक मानकों का पालन किया जा रहा था। इस घटना ने निजी संस्थानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी और बच्चों के लिए सुरक्षित स्थानों की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं।
यह घटना दिल्ली में बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों की एक और कड़ी है। हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसने पुलिस और प्रशासन के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2023 में, दिल्ली में POCSO अधिनियम के तहत 1,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें से कई में नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाया गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान कहां हैं। नरेला की इस घटना ने सामाजिक और कानूनी स्तर पर कई मुद्दों को उजागर किया है। सबसे पहले, यह बच्चों की सुरक्षा के लिए निजी संस्थानों में कड़े नियमों और निगरानी की आवश्यकता को दर्शाता है। स्विमिंग पूल जैसे स्थान, जहां बच्चे नियमित रूप से आते हैं, वहां सीसीटीवी कैमरे, प्रशिक्षित कर्मचारी, और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल होने चाहिए। इस मामले में, यह स्पष्ट नहीं है कि स्विमिंग पूल के प्रबंधन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए थे। पुलिस ने इस दिशा में भी जांच शुरू की है और स्विमिंग पूल के मालिकों से पूछताछ की जा रही है।
दूसरा, यह घटना बच्चों में डर और अविश्वास पैदा करने वाली है। पीड़ित लड़कियों ने बताया कि आरोपियों की धमकियों के कारण वे कई दिनों तक अपनी पीड़ा को छिपाए रहीं। यह स्थिति न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समाज में बच्चों को अपनी बात खुलकर कहने के लिए एक सुरक्षित माहौल की आवश्यकता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटनाओं का बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, जिसमें अवसाद, चिंता, और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस मामले में, पुलिस ने दोनों पीड़िताओं को काउंसलिंग के लिए भेजा है ताकि वे इस सदमे से उबर सकें।
तीसरा, यह घटना समाज में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है। स्कूलों, समुदायों, और परिवारों को बच्चों को "गुड टच" और "बैड टच" के बारे में शिक्षित करना होगा। साथ ही, बच्चों को यह भी सिखाना होगा कि ऐसी किसी भी घटना के बारे में तुरंत अपने परिवार या विश्वसनीय व्यक्तियों को बताएं। इस मामले में, पीड़िताओं की चुप्पी ने अपराधियों को शुरुआती दिनों में बचने का मौका दिया। यदि समाज में ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़े, तो बच्चे अपनी बात खुलकर कहने में सक्षम होंगे।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई इस मामले में सराहनीय रही है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या ये आरोपी पहले भी ऐसी घटनाओं में शामिल रहे हैं। इसके अलावा, स्विमिंग पूल के संचालकों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। यह घटना न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करती है, बल्कि यह भी अपील करती है कि समाज और प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
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