लघुकथा: उत्तराधिकारी… 

अभी-अभी श्याम अपने मित्र रवि की चिता को अग्नि देकर आया था। रवि उसका बचपन का मित्र था, दोनों एक ही ऑफिस में कार्यरत् थे...

Apr 3, 2025 - 16:21
Apr 13, 2025 - 12:05
 0  91
लघुकथा: उत्तराधिकारी… 

लघुकथा

(नलिनी श्रीवास्तव, नील)

उत्तराधिकारी… 

अभी-अभी श्याम अपने मित्र रवि की चिता को अग्नि देकर आया था। रवि उसका बचपन का मित्र था, दोनों एक ही ऑफिस में कार्यरत् थे। उससे रवि के जीवन की कोई भी बात छुपी न थी। कितनी परेशानियों को झेल कर रवि ने पूरे परिवार को ग़रीबी से निकाला था। भाई-भतीजों को गाँव का घर, खेत-ट्रैक्टर सब मुहैया करवाया। ख़ुद की कोई सन्तान नहीं, इन भतीजों और उनकी बहुओं को अपनी सन्तान की तरह माना। 

पत्नी मायके गई थी, सिर में तेज सिरदर्द के कारण उन्होंने एक कप चाय के लिए घर की बहुओं से कहा… दोनों ने मना कर दिया कि दूध ख़त्म हो गया है। सुबह रवि के सामने ही दूध हर दिन की तरह आया था उसे विश्वास न हुआ, रवि ने फ्रिज़ खोलकर देखा तो दूध से भरा भगौना रखा था। यह देख रवि को गहरा सदमा लगा। 

अचानक श्याम के पास खबर आयी कि रवि के सीने में तेज़ हो रहा है। वह रवि को ले कर अस्पताल भागा। दर्द और दुःख के अतिरेक से रवि रो पड़ा और श्याम को पूरा किस्सा सुनाया। श्याम उन सबकी स्वार्थपरता देख दुखी हो गया। रवि ने कहा, “यार! अगर मुझे कभी कुछ हो गया तो मेरी बीवी का क्या होगा, वह तो पढ़ी-लिखी भी नहीं।” 
रवि का सन्देह सच हो ही गया, अस्पताल ले जाते हुए तीसरा अटैक भी पड़ गया और उसकी जान चली गई। 
   
श्मशान घाट पर उसके भतीजे ने आगे बढ़कर अपने मित्र से फ़ोटो खींचने का इशारा करते हुए धीरे से कहा, “ चाचा की नौकरी के लिए उनका एकमात्र उत्तराधिकारी मैं ही हूँ, चिता को अग्नि देते हुए साफ़ और अच्छी फ़ोटो आनी चाहिए।”

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow