लालबागचा राजा 2025- मुंबई में गणेश चतुर्थी से पहले भव्य मूर्ति का अनावरण, भक्तों में उत्साह, 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक होगा उत्सव।

Maharashtra: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में गणेश चतुर्थी के आगमन से पहले 24 अगस्त 2025 को शहर के सबसे लोकप्रिय और श्रद्धेय गणपति, लालबागचा राजा की मूर्ति का पहला दर्शन भक्तों

Aug 25, 2025 - 12:42
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लालबागचा राजा 2025- मुंबई में गणेश चतुर्थी से पहले भव्य मूर्ति का अनावरण, भक्तों में उत्साह, 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक होगा उत्सव।
लालबागचा राजा 2025- मुंबई में गणेश चतुर्थी से पहले भव्य मूर्ति का अनावरण, भक्तों में उत्साह, 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक होगा उत्सव।

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में गणेश चतुर्थी के आगमन से पहले 24 अगस्त 2025 को शहर के सबसे लोकप्रिय और श्रद्धेय गणपति, लालबागचा राजा की मूर्ति का पहला दर्शन भक्तों को कराया गया। लालबाग के पुटलाबाई चॉल में स्थित लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा आयोजित इस अनावरण समारोह में सैकड़ों भक्त शामिल हुए। जैसे ही बप्पा की भव्य मूर्ति पर से पर्दा हटाया गया, ढोल-ताशों की गूंज और ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष के साथ उत्साह का माहौल बन गया। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक चलेगी, और लालबागचा राजा के दर्शन के लिए लाखों भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है। लालबागचा राजा की मूर्ति का अनावरण रविवार शाम 7 बजे पारंपरिक लोक नृत्य और भक्ति भजनों के बीच हुआ। इस साल बप्पा को बैंगनी रंग की धोती और सुनहरे सिंहासन पर सजाया गया है। मूर्ति की सजावट में जटिल कारीगरी और रंग-बिरंगे फूलों की मालाएं शामिल हैं, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। मूर्ति की आंखों की अभिव्यक्ति और हाथों की मुद्रा ने भक्तों का ध्यान खींचा। लालबागचा राजा की मूर्ति को कम्बली परिवार पिछले आठ दशकों से तैयार कर रहा है, और इस साल भी उनकी कारीगरी ने भक्तों का दिल जीत लिया। यह मूर्ति न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का हिस्सा भी है।

लालबागचा राजा का इतिहास 1934 से शुरू होता है, जब लालबाग क्षेत्र के मछुआरों और मिल मजदूरों ने अपनी आजीविका खोने के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना की थी। उस समय लालबाग में एक लोकप्रिय बाजार बंद होने से स्थानीय समुदाय प्रभावित हुआ था। समुदाय ने गणेश जी से स्थायी बाजार की मांग की, और जब उनकी प्रार्थना पूरी हुई, तो कृतज्ञता में लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना की गई। तब से यह मंडल हर साल गणेश चतुर्थी पर भव्य मूर्ति स्थापित करता है, जिसे ‘नवसाचा गणपति’ यानी मनोकामना पूर्ण करने वाला गणपति कहा जाता है। भक्तों का मानना है कि सच्चे दिल से की गई प्रार्थना लालबागचा राजा जरूर पूरी करते हैं। गणेश चतुर्थी का यह त्योहार महाराष्ट्र में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दस दिनों का उत्सव है, जो भाद्रपद मास की चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी पर मूर्ति विसर्जन के साथ समाप्त होता है। इस दौरान मुंबई की सड़कें रंग-बिरंगी सजावट, ढोल-ताशों की धुन और भक्ति भजनों से गूंज उठती हैं। लालबागचा राजा का पंडाल हर साल 20 से 25 लाख भक्तों को आकर्षित करता है, जिसमें आम लोग, बॉलीवुड सितारे, उद्योगपति और राजनेता शामिल होते हैं। भक्तों के लिए दो अलग-अलग कतारें होती हैं—‘नवसाची लाइन’, जो मनोकामना के लिए प्रार्थना करने वालों के लिए है, और ‘मुख दर्शन लाइन’, जो केवल बप्पा के दर्शन करना चाहते हैं। कई भक्त 40 घंटे से अधिक समय तक कतार में खड़े रहते हैं ताकि बप्पा के दर्शन कर सकें। इस साल लालबागचा राजा के दर्शन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। भक्त सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। पंडाल में प्रवेश के लिए दो गेट होंगे, और प्रत्येक भक्त को दर्शन के लिए 10-15 मिनट का समय मिलेगा। शाम 7 बजे विशेष आरती होगी, जिसमें शामिल होने के लिए टिकट की सुविधा भी उपलब्ध है। लालबागचा राजा तक पहुंचने के लिए भक्त नजदीकी लोअर परेल स्टेशन (वेस्टर्न लाइन) या चिंचपोकली स्टेशन (सेंट्रल लाइन) का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, बीईएसटी बसें (रूट नंबर 124, 134, 66, 132, 172) और मुंबई मेट्रो (लोअर परेल स्टेशन) भी सुविधाजनक विकल्प हैं। हालांकि, भीड़ और ट्रैफिक के कारण टैक्सी या निजी वाहनों से आने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

लालबागचा राजा मंडल को हर साल करोड़ों रुपये का दान मिलता है, जिसमें सोने-चांदी के आभूषण और नकद राशि शामिल होती है। यह धन शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण जैसे कार्यों में उपयोग किया जाता है। मंडल की पारदर्शिता और सामाजिक कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता ने इसे भक्तों के बीच और भी सम्माननीय बनाया है। इस साल भी मंडल ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कुछ खास कदम उठाए हैं। मुंबई में एक कारीगर पिछले 10-12 वर्षों से पर्यावरण के अनुकूल कागज से बनी गणपति मूर्तियां बना रहा है। ये मूर्तियां हल्की, टिकाऊ और आसानी से पानी में घुलनशील हैं। एक सामान्य 2 फीट की मिट्टी की मूर्ति का वजन 20 किलोग्राम होता है, जबकि कागज की मूर्ति का वजन केवल 2.5-3 किलोग्राम होता है। यह पर्यावरण के साथ-साथ उन परिवारों के लिए भी सुविधाजनक है जो त्योहार के लिए अपने गांव जाते हैं। लालबागचा राजा का अनावरण मुंबई के लिए केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है। यह मूर्ति मुंबई की एकता, आस्था और सामुदायिक भावना का प्रतीक है। 1930 के दशक में शुरू हुआ यह उत्सव आज वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हो चुका है, और विदेशों से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस साल महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव को ‘राज्य उत्सव’ घोषित किया है, जिससे इसकी सांस्कृतिक और सामाजिक महत्ता और बढ़ गई है। यह घोषणा जुलाई 2025 में विधानसभा में सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने की थी। उन्होंने कहा कि गणेशोत्सव की शुरुआत 1893 में लोकमान्य तिलक ने सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के लिए की थी, और यह परंपरा आज भी जीवित है। लालबागचा राजा के अनावरण के बाद सोशल मीडिया पर मूर्ति की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गए। भक्तों ने बप्पा के बैंगनी परिधान और सुनहरे सिंहासन की खूब तारीफ की। कई लोगों ने लिखा कि लालबागचा राजा के दर्शन से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस साल गणेशोत्सव के लिए भारतीय रेलवे ने 21 अगस्त से 10 सितंबर तक 392 विशेष ट्रेनों की घोषणा की है ताकि भक्तों को यात्रा में सुविधा हो। इसके अलावा, मुंबई में चितार ओली बाजार जैसे स्थानों पर कारीगर गणेश मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, जो इस त्योहार की जीवंतता को और बढ़ाते हैं।

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