'मर्दो वाली लड़ाई लड़ कायर,... तुझे मार के मरूंगी, डॉ. रोहिणी घावरी का चंद्रशेखर आजाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद पर नया हमला
डॉ. रोहिणी घावरी का जन्म इंदौर, मध्य प्रदेश में एक सफाईकर्मी परिवार में हुआ था। उनके पिता बीमा अस्पताल में काम करते थे। बचपन से ही संघर्षों से जूझती रहीं रोहि

उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाने वाली डॉ. रोहिणी घावरी ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर निशाना साधा है। स्विट्जरलैंड में रहकर एक गैर सरकारी संगठन संचालित करने वाली डॉ. घावरी ने शुक्रवार को एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, 'मर्दों वाली लड़ाई लड़ कायर, गृहमंत्री के पीछे मत छुप समझा। और सुन इतनी जल्दी नहीं मरूंगी, तुझे मार के मरूंगी।' यह पोस्ट उनके पिछले आरोपों और आत्महत्या की धमकी के बाद आया है, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। डॉ. घावरी का कहना है कि चंद्रशेखर ने उन्हें शादी का झांसा देकर भावनात्मक और शारीरिक शोषण किया, जबकि सांसद पक्ष इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है।
डॉ. रोहिणी घावरी का जन्म इंदौर, मध्य प्रदेश में एक सफाईकर्मी परिवार में हुआ था। उनके पिता बीमा अस्पताल में काम करते थे। बचपन से ही संघर्षों से जूझती रहीं रोहिणी ने अपनी मेहनत से उच्च शिक्षा हासिल की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की और 2019 में स्विट्जरलैंड चली गईं, जहां वे जिनेवा में रहकर उच्च शिक्षा और सामाजिक कार्यों में लगी हुई हैं। वहां वे एक गैर सरकारी संगठन 'जेनपावर वेलफेयर फाउंडेशन' चलाती हैं, जो बहुजन समाज के लिए जागरूकता अभियान और शिक्षा पर काम करता है। संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि के रूप में भी वे सक्रिय रही हैं। 2023 में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी स्पीच की शुरुआत 'जय श्री राम' से की थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। रोहिणी खुद को वाल्मीकि समाज से जोड़ती हैं और दलित-बहुजन मुद्दों पर मुखर रहती हैं।
चंद्रशेखर आजाद की कहानी भी संघर्षपूर्ण है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक गरीब परिवार में जन्मे चंद्रशेखर ने बचपन में ही जातिगत भेदभाव का सामना किया। साहूकारों के अत्याचार के खिलाफ उन्होंने 2013 में भीम आर्मी की स्थापना की, जो दलित युवाओं को संगठित करने का मंच बना। 2020 में उन्होंने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बनाई। 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वे जीते और संसद पहुंचे। उनकी छवि एक मुखर दलित नेता की है, जो जातिवाद और सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं। लेकिन अब उनके निजी जीवन को लेकर उठे सवाल उनकी राजनीतिक यात्रा पर साया डाल रहे हैं।
इस विवाद की शुरुआत जून 2025 में हुई, जब डॉ. रोहिणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चंद्रशेखर पर पहला खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि 2020 में दोनों की मुलाकात हुई और 2021 से वे तीन साल तक रिलेशनशिप में रहीं। रोहिणी के अनुसार, चंद्रशेखर ने खुद को अविवाहित बताकर उन्हें शादी का भरोसा दिया, लेकिन वास्तव में वे पहले से शादीशुदा थे। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर ने होटलों और अपने आवास पर उन्हें बुलाकर शारीरिक संबंध बनाए, जो उनकी सहमति के बिना थे। रोहिणी ने लिखा, 'मैंने उनके सामाजिक अभियानों में विदेश से भी साथ दिया, लेकिन उन्होंने मेरे विश्वास का दुरुपयोग किया।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने न सिर्फ उनका, बल्कि कई अन्य लड़कियों का भी इसी तरह शोषण किया है। एक पोस्ट में उन्होंने एक 12 वर्षीय लड़की नेहा राजपूत का जिक्र किया, जिसे चंद्रशेखर ने ट्रेन में मिलने के बाद घर पर नौकर बनाकर रखा और बाद में शोषण किया।
इन आरोपों के बाद रोहिणी ने 23 जून 2025 को राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। आयोग ने मामला संज्ञान में लिया और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिए। लेकिन रोहिणी का कहना है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। उन्होंने कहा, 'मैं लंबे समय से न्याय की गुहार लगा रही हूं, लेकिन सिस्टम चंद्रशेखर को बचाने में लगा है।' जून में ही रोहिणी ने चंद्रशेखर के साथ पुरानी वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग्स और चैट्स शेयर किए, जिनमें दोनों के बीच निजी बातें दिखाई दे रही हैं। इन पोस्ट्स ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। कुछ लोग रोहिणी को साहसी बता रहे थे, तो कुछ इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे थे।
चंद्रशेखर आजाद ने शुरुआत में चुप्पी साधी रखी, लेकिन 14 जून 2025 को झांसी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, 'मेरी मां ने सिखाया है कि किसी महिला का अपमान नहीं होना चाहिए। अगर वे कोर्ट जा रही हैं, तो मैं भी कोर्ट में ही जवाब दूंगा।' चंद्रशेखर के समर्थकों ने रोहिणी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह उनकी बढ़ती लोकप्रियता को निशाना बनाने की कोशिश है। भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया, जिसमें रोहिणी को 'साजिशकर्ता' बताया गया। चंद्रशेखर के वकील ने 9 सितंबर 2025 को रोहिणी को मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा। नोटिस में कहा गया कि उनके पोस्ट्स से सांसद की छवि खराब हो रही है।
विवाद जून से सितंबर तक चला, लेकिन 24 सितंबर 2025 को यह और तीव्र हो गया। रोहिणी ने एक्स पर चंद्रशेखर की पत्नी और बच्चों वाली फोटो शेयर की और लिखा, 'मेरा जीवन बर्बाद करके खुशियां मना रहा है। आज तेरे नाम पर जहर खाऊंगी, तूने मुझे खत्म कर दिया। मेरी लाश भारत मत लाना।' उन्होंने दो वीडियो भी पोस्ट किए, जिनमें चंद्रशेखर को शराब पीते दिखाया गया। रोहिणी ने दावा किया कि यह वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग्स हैं, जो उनके रिश्ते के दौरान की हैं। इन पोस्ट्स के बाद खबरें फैलीं कि रोहिणी ने स्विट्जरलैंड में जहर खा लिया है और उनकी हालत गंभीर है। लेकिन बाद में पुष्टि हुई कि ऐसी अफवाहें गलत थीं। रोहिणी ने स्पष्ट किया कि वे जिंदा हैं और लड़ाई जारी रखेंगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस को टैग करके न्याय की मांग की।
25 सितंबर को रोहिणी ने एक और वीडियो शेयर किया, जिसमें चंद्रशेखर के साथ उनकी बातचीत दिखाई गई। उन्होंने लिखा, 'यह अय्याश बेवड़े आदमी को मैं बहुजन आंदोलन के लायक बना रही थी।' इसी बीच, चंद्रशेखर के सांसद प्रतिनिधि ने काउंटर अटैक किया। उन्होंने बिजनौर के धामपुर कोतवाली में रोहिणी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि रोहिणी ने एक फोटो शेयर की, जिसमें चंद्रशेखर ग्रीन टी पीते दिख रहे थे, लेकिन रोहिणी ने इसे शराब बताकर उनकी छवि खराब की। प्रतिनिधि ने कहा, 'यह जानबूझकर चरित्र हनन का प्रयास है।' एफआईआर आईपीसी की धारा 153ए (समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) और 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने वाली अफवाहें) के तहत दर्ज हुई। रोहिणी के पिता शिव घावरी ने इसकी निंदा की और कहा, 'हम वकील से जवाब तैयार कर रहे हैं। मेरी बेटी न्याय के लिए लड़ रही है।'
यह मामला अब सिर्फ निजी विवाद नहीं रह गया है। यह राजनीतिक रंग ले चुका है। रोहिणी ने गृह मंत्री अमित शाह को टैग करके कहा, 'आप जिसे बचा रहे हैं, वह आपके किसी काम का नहीं। चंद्रशेखर आपसे कैसे मिला, सब मालूम है।' विपक्षी दल जैसे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने रोहिणी के समर्थन में आवाज उठाई। मायावती ने ट्वीट किया, 'महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सख्ती जरूरी है।' वहीं, सत्ताधारी भाजपा ने चुप्पी साध रखी है। भीम आर्मी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। सहारनपुर और बिजनौर में प्रदर्शन हुए, जहां चंद्रशेखर के समर्थकों ने रोहिणी के खिलाफ नारे लगाए। कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा, 'यह भाजपा की साजिश है, क्योंकि चंद्रशेखर दलितों को एकजुट कर रहे हैं।'
सोशल मीडिया पर बहस तेज है। एक तरफ रोहिणी के समर्थक उन्हें बहादुर बता रहे हैं, कह रहे हैं कि महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए। दूसरी तरफ चंद्रशेखर के प्रशंसक रोहिणी पर सवाल उठा रहे हैं। वे पूछते हैं कि अगर रिश्ता सहमति से था, तो अब इतना शोर क्यों? एक यूजर ने लिखा, 'प्रेम प्रसंग टूटना सामान्य है, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार बनाना गलत है।' वाल्मीकि समाज के कुछ संगठनों ने रोहिणी का साथ दिया, जबकि जाटव समाज के लोग चंद्रशेखर के प्रति वफादार दिखे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला दलित समाज के भीतर ही विभाजन पैदा कर रहा है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, 'दोनों ही बहुजन पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन यह लड़ाई समाज को कमजोर कर रही है।'
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, रोहिणी के पास वीडियो और चैट्स जैसे सबूत हैं, जो कोर्ट में मजबूत साबित हो सकते हैं। लेकिन चंद्रशेखर पक्ष का दावा है कि ये निजी बातें हैं, जिन्हें ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को दोबारा निर्देश दिए हैं कि एफआईआर दर्ज हो। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। रोहिणी ने कहा, 'मैं स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रही हूं। पीछे नहीं हटूंगी।' चंद्रशेखर ने एक बयान में कहा, 'मैं निर्दोष हूं। कानून अपना काम करेगा।'
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